टीवी डिबेट (TV Debate) के दौरान इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब पर कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी प्रवक्ता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से हटा दिया। जिसके बाद सोशल मीडिया पर कुछ लोगों के समर्थन में उतर गए तो वहीं कुछ लोग भाजपा की इस कार्रवाई को सही बताने लगे। इसी मसले पर पत्रकार रुबिका लियाकत (Rubika Liaquat) ने भी ट्वीट किया।
रुबिका लियाकत ने कही यह बात : पत्रकार की ओर से नूपुर शर्मा के मामले पर लिखा गया कि फैसला नहीं लिया तो रोना लगा था रुदाली गैंग का…. फैसला ले लिया तो रोना लगा है…. रोना जारी ही रहेगा। मुसलमानों को इस गैंग से दूर रहने की जरूरत है। पत्रकार द्वारा किए गए इस ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स भी कई तरह की प्रतिक्रिया देते नजर आए।
लोगों के जवाब : आतिफ अली नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘ तुम मुसलमानों को सलाह देने वाली कौन होती हो। अपने काम से काम रखो।’ जावेद नाम के एक यूजर ने कमेंट किया कि अब आप सलाह देंगी कि मुसलमानों को क्या करना चाहिए। साजिद खान नाम के एक यूजर द्वारा लिखा गया – फैसला मोहतरमा उनकी अंतरात्मा से नहीं बल्कि गल्फ में हो रही किरकिरी की वजह से हुआ है।
राजेश साहू नाम के एक यूज़र लिखते हैं कि मैडम शांति की मूर्ति नहीं हैं। भड़काऊ बयानबाजी को बढ़ावा देने में आप ही रही हैं। आपकी बात हुई क्यों माने? नदीम अहमद नाम के एक यूजर ने कमेंट किया – मुसलमान अपना अच्छा बुरा समझते हैं, उन्हें रूबिका लियाकत से सलाह लेने की जरूरत नहीं है। वारिस सिद्दीकी नाम के एक यूजर ने सवाल किया – मुसलमान यह अच्छे से समझते हैं कि कौन उनका है और कौन बेगाना, रुबिका लियाकत जी आप मुसलमानों की ठेकेदार हो या रहनुमा? इतने दिनों से कहां थीं आप?
नूपुर शर्मा ने मांगी माफी : बीजेपी से निष्कासित किए जाने के बाद नूपुर शर्मा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए माफी मांगते हुए लिखा, ‘मैं पिछले कई दिनों से टीवी डिबेट पर जा रही थी, जहां रोजाना मेरे आराध्य शिवजी का अपमान किया जा रहा था। मेरे सामने यह कहा था जा रहा था कि वो शिवलिंग नहीं फव्वारा है, दिल्ली के हर फुटपाथ पर बहुत शिवलिंग पाए जाते हैं, जाओ जा के पूजा कर लो। मेरे सामने बार-बार इस प्रकार से हमारे महादेव शिवजी के अपमान को मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और मैंने रोष में आके कुछ चीजें कह दीं। अगर मेरे शब्दों से किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं। मेरी मंशा किसी को कष्ट पहुंचाने की कभी नहीं थी।’