कर्नाटक के हिजाब विवाद में सियासत की एंट्री हो गई है। इस मुद्दे को लेकर सभी राजनैतिक दल अपनी बात कह रहे हैं। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से एक समाचार चैनल की एंकर ने इस विषय पर पूछा कि मास्क पहनने से आपकी सांस फूलती है या नहीं? ओवैसी ने इस सवाल पर भड़कते हुए जवाब दिया।
दरअसल ओवैसी ‘आज तक न्यूज़’ चैनल के एक शो में यूपी चुनाव के विषय पर चर्चा कर रहे थे। इस दौरान एंकर अंजना ओम कश्यप ने कर्नाटक में हिजाब को लेकर उठे बवाल पर सवाल किया – मास्क पहनने पर आपकी सांसे फूलती है या नहीं? ओवैसी ने भड़कते हुए कहा कि नहीं फूलती हैं। इस पर एंकर ने सख्त लहजे में पूछा कि 24 घंटे मास्क पहन कर टहल सकते हैं? ओवैसी ने जवाब दिया, ‘ अगर कोविड के लिए नियम बनाया जाएगा तो मैं मान लूंगा।’
इस पर एंकर ने उनसे सवाल पूछा कि आप चाहते हैं कि महिलाएं हमेशा बुर्के में रहें? इसके जवाब में असदुद्दीन ओवैसी ने यमन की नोबेल पुरस्कार विजेता तवाक्कुल कामरान का जिक्र कर कहा कि इस तरह के नोबेल पुरस्कार पाने वाली लड़कियां भी हिजाब में रहती है। नोबेल पुरस्कार देने वालों को इसमें कोई समस्या नहीं है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि मास्क कोरोना से बचने के लिए लगाया जाता है तो वहीं नकाब पहनने का मकसद यह है कि गैर मर्द किसी औरत को न देख सके।
अंजना ने इस पर सवाल किया कि औरत के लिए ऐसा क्यों किया गया है? ओवैसी ने इसके जवाब में कहा कि अपनी इज्जत को बचाने के लिए ऐसा किया जाता है। इस पर एंकर ने हैरानी भरे अंदाज में पूछा कि तो फिर मर्द अपनी आंखें ढंककर चलें, इसके लिए औरतें ही क्यों नकाब पहनें? इस दौरान एंकर और ओवैसी के बीच नोकझोंक शुरू हो गई।
यूजर्स के कमेंट : इस इंटरव्यू पर युवराज नाम के एक यूजर ने कमेंट किया कि 21वीं सदी में भी महिलाओं को बुर्का पहनना पड़ रहा है। इसके लिए बहुत हद तक कट्टरवादी सोच के नेता जिम्मेदार हैं।हैं। नगमा नाम की एक यूजर लिखती हैं कि जब बुर्का पहनने में हमें दिक्कत नहीं है तो और किसी को क्यों दिक्कत हो रही है? एमएच खान नाम के एक यूजर ने कमेंट किया कि सारी शर्तें महिलाओं के लिए ही क्यों? ओवैसी जी आप एक दिन बुर्का पहन कर देखिए, क्या हाल होता है?
