कतर में आठ भारतीय नौसेना के अधिकारियों को फांसी की सजा दी गई है। इसकी जानकारी सामने आते ही भारत में हड़कंप मच गया। जिन 8 भारतीयों को फांसी की सजा सुनाई गई है, उनमें इंडियन नेवी के ऐसे अधिकारी भी शामिल है जो युद्धपोतों को भी कमांड कर चुके हैं। भारत के लोग किसी भी हाल में इन अधिकारियों को बचाने के लिए भारत सरकार से मांग कर रहे हैं तो वहीं कुछ सवाल पूछते हुए तंज भी कस रहे हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सभी आठ पूर्व अधिकारियों को जासूसी के मामले में दोषी पाया गया है। न्यूज एजेंसी PTI द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भारतीय नौसेना ये 8 आठ पूर्व कर्मचारी पिछले साल अगस्त महीने से जेल में हैं। हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि इन भारतीय अधिकारियों पर आरोप क्या लगाए गए हैं। विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा कि हम इस मामले को कतर के प्रशासन के सामने उठाएंगे। हम सभी लीगल ऑप्शनंस पर विचार कर रहे हैं। वहीं सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

मोदी सरकार से पूछ रहे ऐसे सवाल

कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी ने लिखा, ‘डंका बज रहा है? जो सरकार अपने पूर्व सैन्य अधिकारियों को विदेशी धरती पर फांसी की सजा होने से नहीं बचा पायी, वो एक फोन कॉल से रूस और यूक्रेन युद्ध रुकवाने का दावा करती है। शर्म कीजिये प्रधानमंत्री जी!’ पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने लिखा, ‘सवाल ये है कि किसके कहने पर, गाजा में व्यापक नरसंहार करने वाले इजराइल के लिए, जासूसी करने गए थे? क्या इजराइल के साथ भारत की कोई गुप्त संधि थी/है? अब इजराइल का समर्थन करने के लिए क्या कतर भारत से बदला ले रहा है? आप तो कहते थे कि पूरे विश्व में डंका बज रहा है, क्यों नहीं बचा पा रहे अपने पूर्व सैनिकों को?’

नितिन अग्रवाल ने लिखा, ‘कतर में भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को वहां की सरकार ने मौत की सजा सुनाई। कांग्रेस पार्टी ने दिसंबर 2022 में संसद में आवाज़ उठाई थी, लेकिन मोदी सरकार अब तक सोती रही।’ अशोक कुमार पाण्डेय ने लिखा, ‘जिनका दावा था कि एक फोन से रूस-यूक्रेन की जंग रुकवा दी थी, वे कतर के हुक्मरान को एक फोन करके अपने 8 लोगों को क्यों नहीं छुड़वा ले रहे हैं?’

आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों में कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश शामिल हैं, जो अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज में काम कर रहे थे। भारतीय दूतावास को सबसे पहले पिछले साल सितंबर में इन अधिकारियों के गिरफ्तारी के बारे में पता चला था।