सोशल मीडिया मंच ट्विटर और उसके कर्मचारियों को भारत में चार पुलिस प्राथमिकियां, एक पुलिस नोटिस, कंपनी नीतियों के संबंध में सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति की तरफ से दो निर्देश और भारत की कानून प्रवर्तन एजंसियों और सरकार दोनों की तरफ से कम से कम 80 मामलों में सामग्रियों को लेकर कार्रवाई के निर्देश संबंधी मामलों का सामना करना पड़ा है। यह सब तब सामने आया है जब सरकार ने नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों का पालन करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
अमेरिका के सिलिकॉन वैली की इस कंपनी के साथ केंद्र सरकार के रिश्ते इस साल की शुरुआत से ही तनावपूर्ण बने हुए हैं। शुरुआत तब हुई, जब ट्विटर ने किसानों के विरोध के बीच कुछ खातों के खिलाफ कार्रवाई के अनुरोध को ठुकरा दिया था। इसके अलावा गाजियाबाद में कथित तौर पर एक बुजुर्ग व्यक्ति पर हमले संबंधी वीडियो, नए आइटी नियमों के कुछ प्रावधानों पर अमल, कथित तौर पर कॉपीराइट उल्लंघन को लेकर केंद्रीय आइटी मंत्री रविशंकर प्रसाद का अकाउंट अस्थायी तौर पर निलंबित होने और भारत के गलत मानचित्र को लेकर यह तनाव लगातार बढ़ता ही रहा है। इस महीने ट्विटर ने भारत में खुद को मिले सुरक्षित ठिकाने वाले संरक्षण यानी कानूनी छूट को गंवा दिया, क्योंकि वह फरवरी में लागू नए आइटी नियमों का पालन करने में नाकाम रहा था।
नियुक्तियों का मसला
सरकार के बार-बार कहने के बावजूद ट्विटर नए आइटी नियमों के तहत अनिवार्य सभी तीन वैधानिक अधिकारियों को नियुक्त करने में विफल रहा है। अब इस मामले को लेकर कंपनी से इन नियमों का पालन न करने को लेकर कारण बताने को कहा गया है, क्योंकि ट्विटर ने 25 मई को समाप्त होने वाले मूल समय सीमा के बाद अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर हुए देरी के लिए कोई ठोस कारण नहीं बताया है।
ट्विटर लगातार वैधानिक अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर सरकार को आश्वासन देता रहा है कि उसने एक अनुपालन अधिकारी को नियुक्त किया है और व्यापक दिशानिर्देशों के अनुरूप कार्य करने की प्रक्रिया में है, लेकिन इसके बावजूद वह उसमें विफल रहा। नियुक्तियों को लेकर कंपनी को अब कारण बताना होगा। एक अंतरिम शिकायत निवारण अधिकारी धर्मेंद्र चतुर के इस्तीफा देने के बाद ट्विटर ने इस पद के लिए अपने वैश्विक कानूनी नीति निदेशक जेरेमी केसल को नियुक्त किया, लेकिन यह नियुक्ति दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं है, क्योंकि शिकायत निवारण अधिकारी को अनिवार्य रूप से भारत से होना चाहिए।
आइटी कानूनों को लेकर खींचतान
भारत के नए आइटी कानूनों को स्वीकार करने के मामले में सरकार और दुनिया की दिग्गज सोशल मीडिया कंपनियों के बीच कई दिनों से खींचातानी चल रही है। किसी दूसरे देश में आकर व्यापार करने वाली ये कंपनियां, सरकार के आदेश- निर्देश को मानने में भी आनाकानी कर रही हैं कि उन्हें उस देश के कानूनों को मानना पड़ेगा और उसी के हिसाब से चलना होगा। ये बहुराष्ट्रीय टेक दिग्गज कंपनियां सरकारों से टकराने लगी हैं।
कॉपीराइट का तर्क
रविशंकर प्रसाद का खाता एक घंटे के लिए बंद कर देने के मामले को लेकर भी शशि थरूर ने लिखा कि एक बार उनके साथ भी ट्विटर ने ऐसा ही बर्ताव किया था। प्रसाद का खाता ब्लॉक करने वाली कार्रवाई जिस ट्वीट को लेकर की गई वह कथित रूप से तीन साल पुराना है। प्रसाद और थरूर- दोनों के ही मामले कॉपीराइट एक्ट के बताए गए। यह बात न तो नई है और न ही किसी से छिपी है कि कानून कायदों से अनजान और आंखमूंद कर कॉपी पेस्ट करने और फॉरवर्ड करने के आदी हो चुके भारतीय सोशल मीडिया उपयोक्ता धड़ल्ले से ऐसा बहुत सारा कंटेंट इधर उधर बांटते रहते हैं जो कॉपीराइट एक्ट के उल्लंघन के दायरे में आता है।
ऐसे में कॉपीराइट का तर्क आसान बन पड़ता है। जानकारों के मुताबिक, सरकार के दबाव के कारण सोशल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिम दिग्गज बहुराष्ट्रीय कंपनियां यदि झुक भी गईं, तो भी उनके पास ऐसे कई रास्ते होंगे जिनसे वे जब चाहें भारतीय नागरिकों (जिनमें हर वर्ग और हर हैसियत का नागरिक शामिल होगा) के खिलाफ कानूनी दांव खेल सकती हैं। ऐसे में सरकारों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि भारतीय उपयोगकर्ताओं के हित कैसे सुरक्षित रहें।
घटनाक्रम
21 मई : सरकार ने ट्विटर से भाजपा नेताओं के पोस्ट से ‘मैनिपुलेटिड मीडिया’ हटाने के लिए कहा, जिसमें कांग्रेस पर कोविड से निपटने को लेकर सरकार की छवि खराब करने का आरोप लगाया था।
24 मई : दिल्ली पुलिस ने ट्विटर के एनसीआर स्थित आॅफिस में जांच की।
17 जून : ट्विटर से गाजियाबाद हमले के मामले में 50 ट्वीट्स को ब्लॉक करने को कहा गया। गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक को तलब किया।
18 जून : आइटी मामलों पर संसदीय समिति की बैठक में ट्विटर के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे कंपनी के नियम-कानूनों का पालन करते हैं।
28 जून : ट्विटर के पेज पर भारत का गलत नक्शा जारी करने को लेकर केस दर्ज। ट्विटर ने उसी दिन नक्शा हटा दिया।
29 जून : संसदीय समिति की एक अन्य बैठक में ट्विटर को लिखित रूप में यह बताने को कहा गया कि आइटी मंत्री रविशंकर प्रसाद और समिति के अध्यक्ष शशि थरूर के खातों पर रोक क्यों लगी।
क्या कहते
हैं जानकार
आइटी अधिनियम की धारा एक और 75 स्पष्ट कहती है कि चाहे आप भारत हो या न हों, अगर आपकी सेवाएं देश में विद्यमान कंप्यूटर या फोन पर उपलब्ध होती हैं या उसे प्रभावित करती हैं तो आप भारतीय कानून के अधीन हैं। आइटी कानून 25 फरवरी 2021 से लागू किया जा चुका है।
– पवन दुग्गल,
साइबर कानून विशेषज्ञ
अगर सरकार ट्विटर पर प्रतिबंध लगाने की सोचे, तो फिर कानून के दायरे में फेसबुक, वॉट्सऐप, गूगल समेत सारी कंपनियां आ जाएंगी और फिर मजबूरन सरकार को चीन का मॉडल अपनाना पड़ेगा, जो आज भारत के लोकतांत्रिक परिवेश में बहुत ही मुश्किल काम लगता है।
– विराग गुप्ता,
तकनीकी मामले के कानून विशेषज्ञ