अमेरिकी सेना ने पहली बार माना है कि उसने अपने घातक मानव रहित विमान (यूएवी) आरक्यू-170 की तैनाती अफगानिस्तान में की थी। इस यूएवी ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई थी। अमेरिका का यह यूएवी या ड्रोन रहस्यमयी माना जाता है। आधिकारिक तौर पर अमेरिका ने इस यूएवी की तैनाती के बारे में कभी स्वीकार नहीं किया।

इस आरक्यू-170 सेंटिनल ड्रोन को अमेरिकी हथियार निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन के स्कंक वर्क्स ने स्टील्थ मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी) के रूप में विकसित किया है। अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना ने इस घातक ड्रोन से मिली खुफिया जानकारी के जरिए तालिबान के ठिकानों पर इतने बम दागे थे कि इसे ‘बीस्ट आॅफ कंधार’ का नाम दिया गया था। इसी किस्म के एक ड्रोन को वर्ष 2011 में ईरान ने अपने कब्जे में ले लिया था।

अमेरिका ने कभी भी इस ड्रोन की मौजूदगी को लेकर आधिकारिक रूप से सच्चाई कबूल नहीं की थी। ऐसा पहली बार हुआ है कि अमेरिकी वायुसेना ने सार्वजनिक रूप से इस बारे में खुलासा किया। अमेरिका के नेवादा में क्रीच एअरफोर्स बेस में वायुसेना की 432 वीं विंग ने इस सप्ताह के शुरू में रहस्यमयी डेल्टा विंग के आकार के स्टील्थ ड्रोन की तैनाती का खुलासा किया।

लॉकहीड मॉर्टिन के इस ड्रोन को लेकर बहुत कम जानकारी ही आधिकारिक रूप से मौजूद है। 2007 में पहली उड़ान भरने वाले इस ड्रोन के बारे में पहली बार दुनिया को दो साल पहले पता चला था। क्रीच एअरफोर्स बेस पर तैनात अमेरिकी वायुसेना का 432 वां विंग देश के अंदर प्रशिक्षण और अन्य अभियानों के साथ-साथ विदेशों में युद्ध का संचालन भी करता है। अमेरिका ने पिछले साल ही इस घातक ड्रोन को रोमानिया में 25वें अटैक ग्रुप में तैनात किया था।

पूरे इलाके पर नजर रखने के लिए अमेरिका ने एमक्यू-9 रीपर ड्रोन को भी तैनात किया हुआ है। लॉकहीड मार्टिन के फ्यूचरिस्टिक टेललेस फ्लाइंग विंग एअरक्राफ्ट के बारे कुछ ही जानकारियां सार्वजनिक की गई हैं। इसके नाम में जुड़े आरक्यू से यह पता चलता है कि इसमें कोई भी हथियार नहीं लगा हुआ है। इस ड्रोन को डेल्टा विंग आकार में बनाया गया है, जिसके आगे का सिरा नुकीला है और विमान में टेल नहीं है। इस डिजाइन के कारण इस ड्रोन का रडार सिग्नेचर (रडार पर पकड़ में आना) बहुत ही कम मिलता है।

दूसरी ओर, भारत ने अमेरिका से प्रीडेटर बी या ड्रोन खरीदने की इच्छा जताई है। अमेरिका से भारत 30 ऐसे हमलावर ड्रोन विमान खरीदना चाहता है। भारत इस समय लद्दाख में इजरायल निर्मित हेरोन ड्रोन विमानों का संचालन कर रहा है, जिसमें कोई हथियार नहीं होता है। चीन के इस खतरे को देखते हुए भारत जल्द से जल्द अमेरिकी ड्रोन विमान खरीदना चाहता है। ये 10-10 ड्रोन तीनों सेनाओं के लिए खरीदे जाएंगे।

इराक के बगदाद इंटरनेशनल एअरपोर्ट पर अमेरिकी हमले में ईरान के शीर्ष कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी। माना जाता है कि इस हमले को अमेरिका ने अपने प्रीडेटर बी ड्रोन के जरिए अंजाम दिया था। यह बेहद उन्नत किस्म का टोही और लक्ष्यभेदी ड्रोन है। इस ड्रोन की खास बात यह है कि यह जासूसी में जितना माहिर है, उतना ही खतरनाक हवाई हमले करने में भी है।

अमेरिकी एमक्यू-9 रीपर

अमेरिका ने एमक्यू-9 रीपर ड्रोन को विदेशी सैन्य अभियानों की मदद के मकसद से विकसित किया। इसमें एम शब्द अमेरिकी रक्षा विभाग के बहुउद्देश्यी कार्य का प्रतिनिधित्व करता है जबकि क्यू का मतलब दूर से संचालित वायुयान है। नौ का मतलब है कि यह अपनी तरह के विमानों की 9वां सीरीज है। 2,222 किलो वजनी यह ड्रोन छोटी-छोटी गतिविधियों का भी पता लगा लेता है और बेहद कम समय में लक्ष्य को निशाना बना लेता है।