स्टारलिंक धीरे-धीरे भारत में अपनी शुरुआत की तैयारी कर रहा है। भारत में लॉन्च से पहले एलन मस्क के सैटेलाइट इंटरनेट वेंचर ने देश में जरूरी सिक्यॉरिटी टेस्टिंग कर ली है। इससे संकेत मिलते हैं कि भारत में जल्द स्टारलिंक की सर्विसेज शुरू हो सकती हैं। सिक्यॉरिटी ट्रायल्स, भारत में कमर्शियल सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू करने से पहले की आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में से एक हैं। अब खबरों से यह संकेत मिल रहा है कि स्पेसएक्स (SpaceX) के स्वामित्व वाली यह परियोजना संभवतः 2026 की शुरुआत में ही लॉन्च हो सकती है।

भारत में सभी विदेशी और घरेलू दूरसंचार ऑपरेटरों के लिए मौजूदा सुरक्षा मूल्यांकन अनिवार्य है। यह टेस्टिंग फेज उस समय आता है जब स्टारलिंक को इस साल की शुरुआत में सरकारी मंजूरी और अस्थायी स्पेक्ट्रम आवंटन मिल चुका है। इसके बावजूद पहले संवेदनशील सीमा क्षेत्रों (sensitive border areas) में स्टारलिंक डिवाइस के अनधिकृत उपयोग (unauthorised use) को लेकर नियमों और सुरक्षा चिंताओं में बाधाएं रही थीं।

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Starlink ने भारत में किए सिक्यॉरिटी ट्रायल्स

स्टारलिंक लॉन्च के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा तैयार कर रहा है और देश भर में कम से कम नौ से दस गेटवे अर्थ स्टेशन स्थापित करने की योजना बना रहा है। ये स्टेशन लो-अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट्स को स्थानीय इंटरनेट नेटवर्क से जोड़ेंगे और इन्हें मुंबई, नोएडा, चंडीगढ़, कोलकाता और लखनऊ जैसे प्रमुख शहरों में स्थापित करने का लक्ष्य है।

मुंबई, जहां पहले से ही तीन ग्राउंड स्टेशन पूरे हो चुके हैं, यह कंपनी का ऑपरेशनल हब बनने जा रहा है। इस नेटवर्क का विस्तार इसके मुख्य प्रतिस्पर्धियों- भारती एयरटेल सपोर्टेड यूटेलसैट वनवेब (Eutelsat OneWeb) और रिलायंस जियो की सैटेलाइट इकाई जियो सैटेलाइट (Jio Satellite) की निर्माण योजनाओं से कहीं आगे है।

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भारत में स्टारलिंक की रणनीति अपने प्रतिस्पर्धियों से अलग है क्योंकि इसका फोकस मुख्य रूप से रिटेल कंज्यूमर्स पर है। इसका लक्ष्य सीधे उन लाखों-अरबों घरों तक पहुंचना है जो अभी तक पर्याप्त हाई-स्पीड इंटरनेट सुविधाओं से वंचित हैं खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। इसके उलट, जियो और वनवेब ने अपने ऑफर मुख्य रूप से एंटरप्राइज और सरकारी ग्राहकों के इर्द-गिर्द केंद्रित किए हैं।

प्रोग्रेस के बावजूद, स्टारलिंक की कमर्शियल सर्विस पर आखिरी हरी झंडी भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा सैटेलाइट सेवाओं के लिए अंतिम मूल्य निर्धारण ढांचा जारी करने पर निर्भर करती है। यदि नियामक इस साल के आखिर तक जरूरी दिशानिर्देश जारी करता है तो उद्योग विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक, स्टारलिंक 2026 की पहली छमाही में भारतीय घरों तक सिग्नल भेजना शुरू कर सकता है।

इस बीच, सरकार ने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए सख्त सुरक्षा शर्तें लागू की हैं। इसमें परीक्षण के दौरान जेनरेट हुए सभी डेटा को भारत में ही संग्रहित करने और गेटवे स्टेशनों को केवल भारतीय नागरिकों द्वारा संचालित करने की शर्त शामिल है जब तक विदेशी कर्मियों को सुरक्षा मंजूरी नहीं मिल जाती।