फेसबुक प्रोफाइल को जो लोग हर समय जांचते रहते हैं, वे इसका कम इस्तेमाल करने वालों की तुलना में ज्यादा उदास और अस्वस्थ रहते हैं। येल यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया, सैन डिएगो (यूसीएसडी) के शोधार्थियों ने 2013 से 2015 के बीच 5,208 प्रतिभागियों के फेसबुक के इस्तेमाल और मानसिक स्वास्थ्य का आकलन किया।

‘मेट्रो डॉट को डॉट यूके’ की रिपोर्ट के अनुसार, निष्कर्षो से पता चला कि फेसबुक का बढ़ता उपयोग सामाजिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य की कमी से संबंधित रहा। इससे यह भी पता चला कि अगर उपभोक्ता अपनी प्रोफाइल्स और पोस्ट को औसत से अधिक बदलते और उन्हें लाइक करते हैं तो उन्हें मानसिक स्वास्थ्य विकार होने का खतरा अधिक होता है।

यह रिपोर्ट यूसीएसडी के पब्लिक हेल्थ होली शाक्य के सहायक प्राध्यापक और येल के निकोलस क्रिस्ताकिस के नेतृत्व में तैयार की गई। यह शोध ‘अमेरिकन जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

फेसबुक ने लॉन्च किया ‘पर्सपेक्टिव्स’ फीचर्स
ब्रिटेन में आठ जून को होने वाले आम चुनाव में ‘फर्जी खबरों’ के प्रभाव से निपटने के प्रयास के तहत फेसबुक ने ‘पर्सपेक्टिव्स’ नामक एक नया फीचर लॉन्च किया है, जिससे उपयोगकर्ताओं को महत्वपूर्ण मुद्दों पर राजनीतिक पार्टियों के रुख की तुलना करने में मदद मिलेगी। बीटी डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, लोकेशन सेंसिटिव फीचर चुनाव से संबंधित लेख के नीचे दिखाई देगा और उपयोगकर्ताओं को आवास, अर्थव्यवस्था तथा विदेश मामले जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रत्येक पार्टी के रुख को पढ़ने की अनुमति देगा।

फेसबुक ने कहा है कि यह फीचर दिन में तीन बार नजर आएगा और यह लेख के प्रकार से सक्रिय होगा न कि लोगों के इसे देखने से। सोशल नेटवर्क कंपनी ने कहा कि यह मुद्दे पर हर पार्टी के रुख को क्रमरहित तरीके से दर्शाएगा। फेसबुक ने फ्रांस के राष्ट्रपति चुनाव से पहले इसका पहली बार इस्तेमाल किया था। फेसबुक को तथाकथित ‘फर्जी खबरों’ तथा अन्य सामग्रियों की निगरानी को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।