अगर आप यह सोच रहे हैं कि EMI पर नए आईफोन 17 (iPhone 17) को खरीदें या नहीं, तो फिलहाल रुक जाइये। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) Fair Practice Code को रिवाइज करना चाहते हैं और अगर नया नियम पास हो जाता है तो ग्राहकों के लिए EMI पर स्मार्टफोन खरीदना जोखिमभर हो सकता है। जी हां नए नियम के मुताबिक, अगर ग्राहक मंथली EMI नहीं भर पाते हैं तो उनके फोन को लॉक कर दिया जाएगा।

यह फैसला, खासकर स्मार्टफोन बाजार में consumer finance के परिदृश्य को काफी प्रभावित कर सकता है। RBI एक नीति पर विचार कर रहा है जिसके तहत अगर कोई ग्राहक अपनी EMI भुगतान नहीं करता है तो लोन प्रोवाइडर (lenders) उसके मोबाइल फोन को रिमोटली लॉक करने का हक पा कर सकेंगे। यह प्रस्तावित नियम, भारत में बढ़ती bad debt की समस्या, खासतौर से छोटे-टिकट वाले उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स लोन से जुड़े मामलों के चलते आ सकता है।

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अगर लागू हो जाता है तो नया नियम लेंडिंग इंडस्ट्री और लाखों ग्राहकों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।

EMI पर फोन खरीदने वालों के लिए RBI का नया नियम

फेयर प्रैक्टिसेस कोड (Fair Practices Code) के हिस्से के रूप में RBI आने वाले महीनों में इस प्रैक्टिस को नियंत्रित करने के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी करने की उम्मीद कर रहा है। Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, ये नए नियम ऋणदाताओं और कर्जदारों दोनों के लिए सख्त शर्तों के साथ लागू होंगे:

  • -ऋणदाताओं को कर्जदारों से स्पष्ट और पूर्व सहमति प्राप्त करनी होगी।

-दिशा-निर्देश यह भी स्पष्ट रूप से निषेध करते हैं कि लोन प्रोवाइडर लॉक किए गए डिवाइस पर किसी भी व्यक्तिगत डेटा तक पहुंच न बना सकें जिससे प्राइवेसी संबंधी चिंताएं दूर हो सकें।

आरबीआई क्यों ले रहा है यह फैसला?

RBI द्वारा इस तरह का कड़ा कदम उठाने का एक मुख्य कारण, कंज्यूमर फाइनेंस में तेजी से हो रही बढ़ोत्तरी है। गैर-बैंकिंग ऋणदाता अब मोबाइल फोन जैसे प्रोडक्ट्स के लिए दिए जाने वाले लोन का 85 प्रतिशत हिस्सा संभालते हैं, खासकर Apple, Samsung और Google जैसे प्रीमियम ब्रांड्स के लिए। प्रीमियम स्मार्टफोन, जैसे Apple के iPhones, की बिक्री और मार्केट शेयर में जबरदस्त वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण इन डिवाइसों के लिए EMI विकल्पों की आसान उपलब्धता है।

हालांकि, इस तरह के विस्तार ने उच्च डिफॉल्ट रेट की समस्या भी पैदा की है, जिससे कर्ज वसूली, लोन प्रोवाइडर्स के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।

ऋणदाताओं को डिवाइस को रिमोटली लॉक करने की अनुमति देकर, RBI और वित्तीय क्षेत्रों को उम्मीद है कि यह उपभोक्ताओं को समय पर भुगतान करने के लिए प्रेरित करेगा और इसके परिणामस्वरूप लोन पोर्टफोलियो की सेहत बेहतर होगी।

ऋणदाताओं के लिए इसका मतलब होगा बेहतर लोन रिकवरी रेट्स और अधिक ग्राहकों को क्रेडिट देने की क्षमता, यहां तक कि उन लोगों के लिए भी जिनका क्रेडिट हिस्ट्री सीमित या कमजोर हो।

नए नियम का होगा गलत इस्तेमाल?

जहां लोन प्रोवाइडर्स इस तरह के नियम का स्वागत कर रहे हैं, वहीं इस प्रस्ताव की उपभोक्ता अधिकार संगठनों (consumer advocates) ने तीखी आलोचना की है। उनका तर्क है कि यह नीति, जरूरी तकनीक को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करती है। CashlessConsumer समूह के संस्थापक Srikanth L. ने कहा, “यह प्रैक्टिस आवश्यक तकनीक तक पहुंच को व्यवहारिक अनुपालन के लिए हथियार बनाती है, जिससे उपयोगकर्ता अपनी आजीविका, शिक्षा और वित्तीय सेवाओं से वंचित हो सकते हैं, जब तक कि भुगतान न हो जाए।”

कहा जा रहा है कि आधुनिक मोबाइल फोन सिर्फ एक कम्युनिकेशन डिवाइस नहीं है; यह आजीविका, वित्तीय सेवाओं, शिक्षा और सामाजिक संपर्क का एक गेटवे है। ऋणदाता की क्षमता कि वे डिवाइस को रिमोटली डिसेबल या लॉक कर सकें, इसके भयानक परिणाम हो सकते हैं। और व्यक्ति को उनके दैनिक जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं से वंचित कर सकती है।

अब यह देखना बाकी है कि अगर RBI इस प्रस्ताव को लागू करता है, तो नई नियमावली ऋणदाताओं को जोखिम प्रबंधन की अनुमति कैसे देगी, जबकि उपभोक्ता कर्ज के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके।