नए शोधों से पता चला है कि पुष्पक-विमान एक ऐसा चामत्कारिक यात्री विमान था, जिसमें चाहे जितने भी यात्री सवार हो जाएं, एक कुर्सी हमेशा रिक्त रहती थी। यही नहीं, यह विमान यात्रियों की संख्या और वायु के घनत्व के हिसाब से स्वयमेव अपना आकार छोटा या बड़ा कर सकता था। इस तथ्य के पीछे वैज्ञानिकों का यह तर्क है कि वर्तमान समय में हम पदार्थ को जड़ मानते हैं, लेकिन हम पदार्थ की चेतना को जागृत कर लें तो उसमें भी संवेदना सृजित हो सकती है और वह वातावरण तथा परिस्थितियों के अनुरूप अपने आप को ढालने में सक्षम हो सकता है।
रामायण काल में विज्ञान ने पदार्थ की इस चेतना को संभवत: जागृत कर लिया था, इसी कारण पुष्पक विमान स्व-संवेदना से क्रियाशील होकर आवश्यकता के अनुसार आकार परिवर्तित कर लेने की विलक्षणता रखता था। ताजा शोधों से पता चला है कि अगर उस युग का पुष्पक या अन्य विमान आज आकाश गमन कर ले तो उनके विद्युत चुंबकीय प्रभाव से मौजूदा विद्युत और संचार जैसी व्यवस्थाएं ध्वस्त हो जाएंगी।
पुष्पक विमान के बारे में यह भी पता चला है कि वह उसी व्यक्ति से संचालित होता था, जिसने विमान संचालन से संबंधित मंत्र सिद्ध किया हो, मसलन जिसके हाथ में विमान को संचालित करने वाला रिमोट हो। शोधकर्ता भी इसे कंपन तकनीक (वाइब्रेशन टेक्नोलाजी) से जोड़ कर देख रहे हैं। पुष्पक की एक विलक्षणता यह भी थी कि वह केवल एक स्थान से दूसरे स्थान तक ही उड़ान नहीं भरता था, बल्कि एक ग्रह से दूसरे ग्रह तक आवागमन में भी सक्षम था। यानी यह अंतरिक्षयान की क्षमताओं से भी युक्त था।