नासा ने सोशल मीडिया के जरिए पूरी दुनिया को दोनों तस्वीरें दिखाईं। यही नहीं, पहली बार किसी दूसरे ग्रह पर पहुंचे इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर ने भी अपनी पहली रिपोर्ट नासा को भेजी है। इसमें हेलिकॉप्टर ने बताया है कि उसके मंगल की सतह पर उतरने के बाद वहां सब कुछ ठीक है। रिपोर्ट में रात का तापमान शून्य से नीचे 90 डिग्री सेल्सियस बताया गया है।

पर्सीवेरेंस रोवर ने जजीरो नामक एक 820 फुट गहरे क्रेटर पर लैंडिंग की। वहां से अपनी पहली सेल्फी दुनिया के साथ साझा की। पर्सीवरेंस रोवर के सोशल मीडिया अकाउंट से मंगल की फोटो और सेल्फी जारी की गई है। इसमें लिखा है, ‘हैलो वर्ल्ड, मेरे हमेशा के लिए घर से मेरा पहला लुक।’ एक अन्य पोस्ट में लिखा गया है, ‘एक दूसरा दृश्य मेरे पीछे दिख रहा है।

स्वागत है जेजेरो में।’ पर्सीवरेंस रोवर ने भारतीय समय के अनुसार, गुरुवार और शुक्रवार की दरमियानी रात करीब दो बजे मंगल ग्रह की सबसे खतरनाक सतह जजीरो क्रेटर पर लैंडिंग की। रोवर लाल ग्रह से चट्टानों के नमूने भी लेकर आएगा। छह पहियों वाला रोबोट सात महीने में 47 करोड़ किलोमीटर की यात्रा पूरी कर तेजी से अपने लक्ष्य के करीब पहुंचा।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, जजीरो क्रेटर मंगल ग्रह का वह सतह है, जहां कभी विशाल झील होती थी। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अगर मंगल पर कभी जीवन था, तो उसके संकेत यहां जीवाश्म के रूप में मिल सकेंगे। पर्सीवरेंस रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर मंगल ग्रह पर कार्बन डाईआॅक्साइड से आॅक्सीजन बनाने का काम करेंगे। यह जमीन के नीचे जीवन संकेतों के अलावा पानी की खोज और उनसे संबंधित जांच भी करेगा। इसका मार्स एनवायनर्मेंटल डायनामिक्स ऐनालाइजर मौसम और जलवायु का अध्ययन करेगा।

पर्सीवरेंस रोवर 1000 किलोग्राम वजनी है। यह परमाण ु ऊर्जा से चलेगा। पहली बार किसी रोवर में प्लूटोनियम को ईंधन के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। यह रोवर मंगल ग्रह पर 10 साल तक काम करेगा। इसमें सात फीट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन है। वहीं, हेलिकॉप्टर का वजन दो किलोग्राम है।

इस अभियान से भारत को भी काफी उम्मीदें हैं। 30 सितंबर 2014 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी नासा के बीच एक समझौता हुआ था। इस समझौते में धरती और मंगल ग्रह के मिशन साथ में मिलकर करने की बात हुई थी। उस समय इसरो प्रमुख थे डॉ. के राधाकृष्णन और नासा के प्रमुख थे चार्ल्स बोल्डेन।

टोरंटो में इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉटिकल कांग्रेस में शामिल होने गए दोनों वैज्ञानिक अलग से मिले। दोनों ने एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद नासा और इसरो ने मिलकर ‘नासा-इसरो मंगल ग्रह वर्किंग ग्रुप’ बनाया था। मकसद था दोनों देशों की संस्थाओं के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देना। इसके अलावा ‘नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार मिशन’ के लिए भी आपसी समझौता हुआ।

इसरो और नासा वर्ष 2022 में इस उपग्रह को प्रक्षेपित करने की योजना पर काम कर रहे हैं। यह उपग्रह प्राकृतिक आपदाओं सतर्क करेगा। यह दुनिया का सबसे महंगा ‘अर्थ आॅब्जरवेशन सैटेलाइट’ होगा। इसकी संभावित लागत करीब 10 हजार करोड़ रुपए आ रही है। भारत अपने मंगलयान-2 की तैयारी कर रहा है। इसके लिए नासा के मंगल ग्रह पर्सीवरेंस रोवर से मिलने वाली जानकारियां काम आएंगी।

मंगल ग्रह के लिए नासा के द्वारा भेजे गए पर्सीवरेंस मंगल ग्रह रोवर इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर अपने मुकाम पर पहुंच गए हैं। रोवर ने मंगल ग्रह की सबसे खतरनाक सतह जजीरो क्रेटर पर लैंडिंग की। इस सतह पर कभी पानी होता था। रोवर लाल ग्रह से चट्टानों के नमूने भी लेकर आएगा। रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर मंगल ग्रह पर कार्बन डाईआॅक्साइड से आॅक्सीजन बनाने का काम करेंगे। नासा अपने इस मिशन की जानकारियां भारत को भी देगा, जिनका इस्तेमाल इसरो अपने मंगलयान-2 अभियान की तैयारी में करेगा।

मंगल ग्रह के लिए नासा के द्वारा भेजे गए पर्सीवरेंस मंगल ग्रह रोवर इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर अपने मुकाम पर पहुंच गए हैं। रोवर ने मंगल ग्रह की सबसे खतरनाक सतह जजीरो क्रेटर पर लैंडिंग की। इस सतह पर कभी पानी होता था। रोवर लाल ग्रह से चट्टानों के नमूने भी लेकर आएगा। रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर मंगल ग्रह पर कार्बन डाईआॅक्साइड से आॅक्सीजन बनाने का काम करेंगे। नासा अपने इस मिशन की जानकारियां भारत को भी देगा, जिनका इस्तेमाल इसरो अपने मंगलयान-2 अभियान की तैयारी में करेगा।