import duty slashed for mobile phone components: अंतरिम बजट से एक दिन पहले मोदी सरकार ने मोबाइल फोन कंपोनेंट की इंपोर्ट ड्यूटी कम करने का ऐलान किया है। बता दें कि यह फैसला एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से एक्सपोर्ट को बूस्ट करने के इरादे से लिया गया है। जानकारी के मुताबिक, सरकार ने मोबाइल फोन मैन्युफैक्चर करने में इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी को 10 से 15 प्रतिशत तक घटाने का फैसला किया है।

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वित्त मंत्रालय ने फोन के बैटरी कवर, मुख्य लेंस, बैक कवर और दूसरे प्लास्टिक व मेटल मेकैनिकल आइटम समेत कई कंपोनेंट की इंपोर्ट ड्यूटी कम कर दी है। इसके बाद इन कंपोनेंट का दाम 10 प्रतिशत तक कम हो गया है।

उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देना मुख्य मकसद

सरकार के इस कदम का मकसद स्थानीय उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देना के साथ ही स्थानीय बाजारों में उत्पाद की कीमतें कम करना है। वित्त मंत्रालय ने सेल्युलर मोबाइल फोन के लिए स्क्रू, सिम सॉकेट या धातु की अन्य यांत्रिक वस्तुओं सहित कलपुर्जों के आयात पर शुल्क में कटौती संबंधी अधिसूचना 30 जनवरी को जारी की।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि शुल्क में कटौती का भारत में निर्मित मोबाइल फोन की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि निर्यात के लिए मोबाइल फोन बनाने में उपयोग किए जाने वाले सभी कलपुर्जों तथा घटकों को पहले से ही विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड), एडवांस ऑथराइजेशन जैसी विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत शून्य शुल्क पर आयात किया जा सकता है। एप्पल जैसी कंपनियां इन योजनाओं का लाभ लेती हैं।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ सरकार को इस बात पर गौर करना चाहिए कि शुल्क में कटौती का लाभ कीमतों में कटौती के जरिये घरेलू मोबाइल फोन खरीदारों को दिया जाता है या नहीं।’’ इंडियन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के चेयरमैन पंकज महेंद्रू ने कहा कि यह भारत में मोबाइल विनिर्माण को प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में सरकार का एक महत्वपूर्ण नीतिगत हस्तक्षेप है।

महेंद्रू ने कहा, ‘‘इलेक्ट्रॉनिक 2024 में भारत का 5वां सबसे बड़ा निर्यात क्षेत्र बन गया है, जो कुछ साल पहले 9वें स्थान पर था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना की बदौलत इलेक्ट्रॉनिक निर्यात में 52 प्रतिशत से अधिक मोबाइल का योगदान है। यह पिछले आठ वर्षों के भीतर आयात से निर्यात आधारित विकास में योगदान देने वाला पहला उद्योग है।’’

एजेंसी इनपुट के साथ