मोबाइल निर्माता कंपनियों के लिए एक अप्रैल से भारतीय लैब्‍स में टेलीकॉम उपकरणों की टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन अनिवार्य कर दिया जाएगा। साइबर हमलों और जासूसी से रोकथाम के लिए सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी किया था। दूरसंचार मंत्रालय (DoT) के मातहत तकनीकी संस्‍था दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र (TEC) से कहा गया है कि वह 50 तरह के उपकरणों की जांच करे, इनमें मोबाइल डिवाइसेज भी शामिल हैं। वहीं, राष्‍ट्रीय मानक ब्‍यूरो (BIS) भी फोन्‍स को टेस्‍ट करने पर अपना दावा कर रहा है। BIS पहले से ही उन मोबाइल हैंडसेट्स, बैटरीज और चार्जर्स की जांच करता है, जो एक साथ बेचे जाते हैं।

TEC के उपमहानिदेशक शकील अहमद ने अंग्रेजी अखबार मिंट से बातचीत में कहा, “फोन निर्माताओं को एक अप्रैल से TEC सर्टिफिकेशन की आवश्‍यकता पड़ेगी।” उन्‍होंने कहा, “इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, BIS केवल सुरक्षा की दृष्टि से मोबाइल फोन्‍स की टेस्टिंग और सर्टिफाई करता है। चूंकि मोबाइल फोन एक रेडियोकम्‍युनिकेशन डिवाइस है, इसके इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेटिक इंटरफेरेंस और इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेटिक कम्‍पैटिबिल्‍टी, रेडियो कॉन्‍फर्मैंस और रेडिएशन की जांच जरूरी है। DoT ने मंत्रालय से कहा है कि वह BIS सर्टिफिकेकशन वाली नोटिफिकेशन वापस ले ले, ताकि मोबाइल को पूरी तरह से TEC ही सर्टिफाई करे। इस बारे में मंत्रालय से पुष्टि का इंतजार है।”

इंडस्‍ट्री के लोग इस बदलाव से खुश नहीं हैं। एक वरिष्‍ठ एक्‍जीक्‍यूटिव ने अखबार से कहा कि “तीन साल के बाद BIS पूरी तरह स्थिर हो चुका है, अब उसे अस्थिर क्‍यों करना?” 1 अप्रैल से एक और उलझन यह होगी कि क्‍या TEC मोबाइल डिवाइस टेस्‍ट करेगा और BIS बैटरी, चार्जर जैसे अन्‍य पार्ट्स। एक मोबाइल निर्माता के दो एजेंसियों के पास जाकर जांच कराने से भारत में स्‍मार्टफोन की लॉन्चिंग में देरी होगी।

TEC के पास आठ लैब्‍स हैं, इसके अलावा उसने दिल्‍ली, बेंगलुरु, गुरुग्राम और चेन्‍नई की 31 निजी लैब्‍स को सर्टिफाई किया है। इनमें से 15 को पिछले छह माह में टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन के अधिकार दिए गए हैं।