सेमीकॉन इंडिया 2025 के उद्घाटन और पीएम नरेंद्र मोदी के इस इवेंट में शिरकत करने के बाद सेमीकंडक्टर चिप को लेकर हलचल तेज हो गई है। पीएम मोदी का कहना है कि सरकार ‘भारत सेमीकंडक्टर मिशन’ और उसको तैयार करने से जुड़ी प्रोत्साहन (DLI) योजना के अगले फेज पर काम कर रही है। सेमीकॉन इंडिया 2025 के उद्घाटन के मौके पर पीएम मोदी ने कहा, ”हम भारत सेमीकंडक्टर मिशन के अगले चरण पर काम कर रहे हैं। वह दिन दूर नहीं जब भारत में बनी सबसे छोटी चिप दुनिया में सबसे बड़ा बदलाव लाएगी। सरकार नई डीएलआई (डिजाइन-लिंक्ड इंसेंटिव) योजना को आकार देने जा रही है।’ लेकिन बहुत सारे लोगों के मन में यह सवाल है कि सेमीकंडक्टर चिप क्या होती है? दुनिया में क्यों सेमीकंडक्टर चिप को लेकर लड़ाई छिड़ी है और भारत अब इस रेस में शामिल होने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है।

डिजिटल डिवाइस का दिमाग है ‘सेमीकंडक्टर’

मोबाइल, कंप्यूटर, राउटर, कार, सैटेलाइट जैसे एडवांस्ड डिजिटल डिवाइस का ‘दिमाग’ सेमीकंडक्टर चिप है। जी हां, इन सब आधुनिक डिवाइसेज की ताकत इस एक छोटी-सी चिप में बसती है।

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2 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में Semicon India 2025 के उद्घाटन पर भारत ने इस दिशा में एक प्रतीकात्मक लेकिन बड़ी छलांग लगाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश में बनी पहली चिप/प्रोसेसर को तोहफे में दिया गया। कार्यक्रम में ‘Vikram’ नाम का 32-bit इंडिजिनस माइक्रोप्रोसेसर भी प्रदर्शित किया गया जिसे खुद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने PM को दिखाया।

सेमीकंडक्टर चिप क्या होती है?

आसान भाषा में समझें तो चिप पतली सिलिकॉन वेफर पर बने लाखों-करोड़ों ट्रांजिस्टरों का जाल है। यही कम्प्यूट करती है, मेमोरी मैनेज करती है, सिग्नल प्रोसेस करती है और डिवाइस को ‘स्मार्ट’ बनाती है। अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग तरह की चिप्स जैसे CPU/GPU (प्रोसेसिंग), MCU (कंट्रोल), मेमोरी (DRAM/NAND), RF/एनालॉग (नेटवर्किंग/सेंसर) वगैरह इस्तेमाल होती हैं।

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सेमीकंडक्टर चिप को लेकर अभी चर्चा क्यों?

Semicon India 2025 के मंच से सरकार ने कहा कि भारत का सेमीकंडक्टर सफर निर्णायक मोड़ पर है। बड़े-बड़े कारोबारियों की मौजूदगी में पीएम को देश में बने चिप/टेस्ट-चिप्स का प्रदर्शन किया गया। इसमें ISRO की Semi-Conductor Laboratory (SCL) द्वारा विकसित ‘Vikram’ 32-bit प्रोसेसर प्रमुख था। इसे स्पेस लॉन्च व्हीकल जैसे हाई-रिलायबिलिटी इस्तेमाल के लिए डिजाइन किया गया है।

कार्यक्रम में यह भी जानकारी दी गई कि देश में अभी पांच सेमीकंडक्टर यूनिट्स का निर्माण तेजी से चल रहा है और सरकार का लक्ष्य स्वदेशी चिप्स को बाजार में 2025 के आखिर तक लाना है।

‘Vikram’ प्रोसेसर क्या है और क्यों है अहम?

Vikram भारत का पूरी तरह स्वदेशी 32-bit माइक्रोप्रोसेसर बताया जा रहा है। इसकी डिजाइन से लेकर वैरिफिकेशन तक सब कुछ देश में ही हुआ है। यह हाई-रिलायबिलिटी/स्पेस-ग्रेड इस्तेमाल के लिए बनाया गया है। जहां कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स की तुलना में गलती ना होना और लॉन्ग-लाइफ सबसे जरूरी होती है।

गौर करने वाली बात है कि स्पेस-ग्रेड चिप्स का नोड (nm) अक्सर कंज्यूमर-ग्रेड से बड़ा होता है क्योंकि यहां रेडिएशन टॉलरेंस, प्रोसेस स्टेबिलिटी और विश्वसनीयता सबसे पहले आती है।

“Made in India” मतलब, डिजाइन Vs फैब्रिकेशन Vs पैकेजिंग

सेमीकंडक्टर वैल्यू-चेन तीन बड़े हिस्सों में बांटी जाती है:

-डिजाइन (Fabless/IP/EDA) – चिप का आर्किटेक्चर और लॉजिक।
-फैब्रिकेशन (Foundry) – वेफर पर नैनो-स्केल पर ट्रांजिस्टर बनाना।
-ATMP/OSAT (Assembly, Testing, Marking & Packaging) – वेफर से डाई काटकर पैकेजिंग करना और क्वालिफिकेशन/टेस्टिंग।

भारत पहले से डिजाइन में मजबूत रहा है (कई MNCs के डिज़ाइन सेंटर), लेकिन फैब्रिकेशन और ATMP/OSAT में अभी ईकोसिस्टम बन रहा है। हाल के दिनों में सानंद (गुजरात) में CG-Semi का OSAT पायलट तेजी से आगे बढ़ रहा है, जहां से पहली ‘Made in India’ चिप के रोल-आउट की बात सरकार कर रही है। यानी आने वाले वक्त में पैकेज्ड चिप्स का प्रोडक्शन भारत में होगा और नई फाउंड्री/फैब यूनिट्स भी बन रही हैं।

कहां-कहां होगा सेमीकंडक्टर चिप का इस्तेमाल?

-मोबाइल/कंप्यूटिंग: बेसबैंड, पावर मैनेजमेंट, मेमोरी, एप्लिकेशन प्रोसेसर
-ऑटो/EV: बैटरी मैनेजमेंट, ADAS सेंसर, इंफोटेनमेंट
-टेलीकॉम/5G: RF फ्रंट-एंड, स्विच/राउटर ASICs
-इंडस्ट्रियल/IoT: माइक्रोकंट्रोलर्स, मोटर ड्राइव, सेंसर-नोड्स
-एयरोस्पेस/डिफेंस/स्पेस: रेड-हार्डनड प्रोसेसर/कंट्रोलर (जैसे ‘Vikram’ का क्षेत्र)

भारत के लिए सेमीकंडक्टर चिप के देश में ही बनने से सबसे बड़ा रणनीतिक फायदा होगा कि इससे आयात पर निर्भरता घटेगी। स्पलाई-चेन शॉक्स जैसे जियोपॉलिटिक्स का असर कम होगा और रोजगार का बड़ा ईकोसिस्टम बनेगा।

नीति और निवेश

2019 के बाद से भारत ने Production-Linked Incentive (PLI), Design-Linked Incentive (DLI) और India Semiconductor Mission (ISM) जैसे टूल्स से पूंजी-व्यय, टेक-ट्रांसफर और टैलेंट पाइपलाइन पर फोकस किया। Semicon India 2025 के मंच से भी पीएम मोदी ने यही मैसेज दिया गया कि ग्लोबल पार्टनरशिप के साथ भारत डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग व पैकेजिंग तीनों मोर्चों पर आगे बढ़ना चाहता है।

सेमीकंडक्टर चिप: अभी चुनिंदा देशों का शिकंजा

गौर करने वाली बात है कि अभी दुनिया में कुछ देशों और कंपनियों में ही चिप मैन्युफेक्चरिंग होती है। सप्लाई में रुकावट, भूराजनीतिक तनाव और नई तकनीक (AI, 5G/6G, EV) की मांग ने विविधता की जरूरत को बढ़ा दिया है। अब भारत का इरादा इस सेक्टर में अपने बड़े बाजार, इंजीनियरिंग टैलेंट, नीतिगत सपोर्ट और कॉस्ट-कॉम्पटीशन की ताकत पर अपनी जगह बनाना है। और भारत केवल बाजार नहीं बल्कि को-डेवलपमेंट और को-इनोवेशन पार्टनर बनना चाहता है।

सेमीकंडक्टर चिप: घरेलू उत्पादन में क्या हैं चुनौतियां?

कैपेक्स और लीड-टाइम: एक आधुनिक फाउंड्री/OSAT खड़ा करने में अरबों डॉलर और सालों का वक्त लगता है। यील्ड (कितनी डाई काम की निकली) पर प्रॉफिट निर्भर करता है। इसे स्थिर करने में समय लगता है।

इकोसिस्टम डेप्थ: केमिकल्स, गैसेज़, फोटोरेसिस्ट, अल्ट्रा-शुद्ध पानी, क्लीनरूम इन्फ्रा, मेंटेनेंस/मेट्रोलॉजी- ये सब साथ-साथ बनाना पड़ता है।

टैलेंट पाइपलाइन: डिवाइस फिजिक्स, प्रॉसेस इंटीग्रेशन, EDA, पॅकेजिंग-टेस्ट में प्रशिक्षित जनशक्ति चाहिए, इंडस्ट्री-एकेडेमिया लिंक मजबूत करना होगा।

टेक-ट्रांसफर/लाइसेंसिंग: एडवांस्ड नोड्स में IP/लाइसेंस और जियोपॉलिटिकल कंट्रोल अहम रहते हैं।

डिमांड एंकरिंग: घरेलू OEMs को ‘India-made’ चिप्स अपनाने के लिए क्वालिफिकेशन/स्टैंडर्ड्स/कंसोर्टियम चाहिए—ताकि वॉल्यूम विज़िबिलिटी बढ़े और लागत नीचे आए।

सेमीकंडक्टर चिप का भारत में बनना: आम उपभोक्ता के लिए क्या है इसका मतलब?

आपको बता दें कि सेमीकंडक्टर चिप का भारत में बनने से मतलब यह नहीं है कि तुरंत डिवाइस सस्ते हो जाएंगे। जहां वैल्यू-एड हाई है, शुरुआत मे इंडस्ट्रियल/ऑटो/स्पेस सेगमेंट्स में इस्तेमाल बढ़ेगा। कंज्यूमर डिवाइसेज में प्रतिस्पर्धी बनने के लिए वॉल्यूम, सप्लाई-चेन और यील्ड को मजबूत करना होगा। हाई-स्‍किल नौकरियां पैदा होंगी। स्टार्टअप को नए मौके मिलेंगे।

Semicon India 2025 के मंच से पीएम मोदी द्वारा दिया गया संदेश साफ है कि भारत अब चिप्स की दुनिया में दर्शक नहीं बल्कि खिलाड़ी बनना चाहता है। ‘Vikram’ 32-bit इंडिजिनस प्रोसेसर का प्रदर्शन डिजाइन-क्षमता का संकेत देता है और Sanand OSAT पायलट जैसे प्रयास मैन्युफैक्चरिंग/पैकेजिंग की जमीनी तैयारी दिखाते हैं। लक्ष्य है कि 2025 के अंत तक बाजार-तैयार स्वदेशी चिप्स की आपूर्ति शुरू हो जाए। यह रास्ता लंबा जरूर है, पर दिशा सही होगी तो मंजिल पा ली जाएगी।