भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सोमवार को अभी तक के अपने सबसे बड़े प्रक्षेपण अभियान को अंजाम देगा। इसरो अपने इस अभियान के तहत पोलर उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) राकेट से आठ उपग्रहों को प्रक्षेपित करेगा। पीएसएलवी राकेट की यह अब तक की सबसे लंबी उड़ान होगी। इसरो ने शनिवार सुबह 8.42 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्‍द्र से पीएसएलवी के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू कर दी। इस प्रक्षेपण के तहत एक मौसम संबंधी और अन्य सात उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाना है।

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 26 सितंबर को सुबह 9:12 मिनट पर 320 टन का पीएसएलवी-सी35 आठ उपग्रहों को लेकर रवाना होगा। यह प्रक्षेपण अभियान दो घंटे 15 मिनट में पूरा होगा। पीएसएल वीपीएसएलवी से प्रक्षेपित होने वाले आठ उपग्रहों में भारत सहित अन्य दूसरे देशों के उपग्रह भी शामिल हैं। जिसमें भारत के तीन, अमेरिका का एक, कनाडा का एक और अल्जीरिया के तीन उपग्रह हैं। रॉकेट का मुख्य भार 371 किलोग्राम का स्कैटसैट-1 भारतीय उपग्रह होगा, जो समुद्री व मौसम संबंधी अध्ययन से जुड़ा है। इसे उड़ान के 17 मिनट के भीतर 730 किलोमीटर ध्रुवीय सूर्य समकालिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा।

दो अन्य भारतीय उपग्रहों में मुंबई की भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा तैयार प्रथम (10 किलोग्राम) और पीईएस विश्वविद्यालय, बेंगलुरू का पिसैट शामिल है। इसके आलावा अल्जीरिया, कनाडा और अमेरिका के उपग्रहों को भी इस मिशन के जरिए पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करना है। अल्जीरिया के उपग्रहों के नाम हैं, अल्सैट-1 बी, अल्सैट-2 बी, अल्सैट-1 एन। कनाडा के उपग्रह का नाम ‘एनएलएस-19’ और अमेरिकी उपग्रह का नाम ‘पाथफाइंडर’ है। भारतीय उपग्रहों में से 10 किलोग्राम के ‘प्रथम’ को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) बांबे के छात्रों ने विदेशी विश्वविद्यालय की मदद से तैयार किया है और 5.25 किलोग्राम के ‘पिसैट’ को पीईएस विश्वविद्यालय बेंगलुरु ने तैयार किया है। इसरो ने बताया कि एससीएटीएसएटी-1 को 720 किलोमीटर पोलर एसएसओ में स्थापित किया जाएगा वहीं, दो अकादमिक संस्थानों के उपग्रह और पांच विदेशी उपग्रहों को 670 किलोमीटर पोलर कक्षा में स्थापित किया जाएगा।

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