टेलीकॉम विभाग (DoT) ने भारत में स्मार्टफोन कंपनियों से कहा है कि वे अपने सभी नए स्मार्टफोन्स में सरकार द्वारा डिवेलप किया गया साइबर सुरक्षा ऐप ‘संचार साथी’ (Sanchar Saathi) को प्री-इंस्टॉल करें। यह ऐप यूजर्स को धोखाधड़ी वाले कॉल और मैसेज की रिपोर्ट करने के साथ-साथ चोरी हुए मोबाइल फोन की जानकारी देने में मदद करता है।

सूत्रों के अनुसार, DoT ने स्मार्टफोन कंपनियों को यह भी कहा है कि यूज़र्स इस ऐप को डिलीट न कर सकें। इसके अलावा, जिन फोन्स को पहले ही बेचा जा चुका है, उनमें भी इस ऐप को जोड़ने के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट जारी किया जाए।

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स्मार्टफोन कंपनियों को इस निर्देश का पालन करने के लिए तीन महीने की समय-सीमा दी गई है। इंडस्ट्री से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि कई कंपनियां इस फैसले पर आपत्ति जता सकती हैं। Apple, Samsung, Xiaomi, Oppo, Vivo जैसे बड़े मैन्युफैक्चरर्स पर इसका सीधा असर पड़ेगा।DoT और स्मार्टफोन कंपनियों को भेजे गए सवालों का अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह निर्देश साइबर सुरक्षा और एंटी-स्पैम उपायों को मजबूत करने की बड़ी रणनीति का हिस्सा है। इसी रणनीति के तहत हाल ही में DoT ने WhatsApp और Telegram जैसे ऑनलाइन कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म्स को SIM Binding लागू करने का निर्देश भी दिया है यानी ये ऐप्स उसी फोन पर चल पाएंगे, जिसमें रजिस्ट्रेशन वाला SIM कार्ड मौजूद हो।

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Sanchar Saathi ऐप

आपको बता दें कि संचार साथी ऐप अभी ऐप्पल और गूगल प्ले स्टोर पर डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध है। लेकिन यूजर्स के पास अभी यह विकल्प है कि वे इस ऐप को अपने फोन में इंस्टॉल करें या ना करें। अगर स्मार्टफोन कंपनियां सरकार के निर्देश को फॉलो करती हैं तो नई डिवाइसेज में यह ऐप पहले से इंस्टॉल आएगा और मौजूदा डिवाइसेज में इसे एक सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए उपलब्ध कराया जाएगा।

आपको बता दें कि संचार साथी ऐप को जनवरी 2025 में लॉन्च किया गया था और अगस्त तक इस ऐप को 50 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है। सरकार द्वारा सितंबर 2025 में जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, 37.28 लाख से ज्यादा चोरी या खोए हुए मोबाइल डिवाइसेज को इस ऐप का इस्तेमाल कर ब्लॉक कर दिया गया और 22.76 लाख से ज्यादा डिवाइसेज को ट्रेस किया गया।

Sanchar Saathi ऐप

आपको बता दें कि संचार साथी ऐप अभी ऐप्पल और गूगल प्ले स्टोर पर डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध है। लेकिन यूजर्स के पास अभी यह विकल्प है कि वे इस ऐप को अपने फोन में इंस्टॉल करें या ना करें। अगर स्मार्टफोन कंपनियां सरकार के निर्देश को फॉलो करती हैं तो नई डिवाइसेज में यह ऐप पहले से इंस्टॉल आएगा और मौजूदा डिवाइसेज में इसे एक सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए उपलब्ध कराया जाएगा।

आपको बता दें कि संचार साथी ऐप को जनवरी 2025 में लॉन्च किया गया था और अगस्त तक इस ऐप को 50 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है। सरकार द्वारा सितंबर 2025 में जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, 37.28 लाख से ज्यादा चोरी या खोए हुए मोबाइल डिवाइसेज को इस ऐप का इस्तेमाल कर ब्लॉक कर दिया गया और 22.76 लाख से ज्यादा डिवाइसेज को ट्रेस किया गया।

गौर करने वाली बात है कि ‘संचार साथी’ ऐप के जरिए देशभर में फोन के IMEI नंबर के जरिए खोए या चोरी किए गए फोन्स को ट्रेस और ब्लॉक किया जा सकता है। International Mobile Equipment Identity (IMEI) एक 15 अंकों वाला कोड है जिसके जरिए फोन कंपनियों और मोबाइल नेटवर्क्स को किसी डिवाइस को पहचानने और ऑथेंटिकेट करने में मदद मिलती है।

यह ऐप पुलिस अथॉरिटीज को चोरी या खोए हुए डिवाइसेज का पता लगाने में भी मदद कर सकता है, जिससे नकली फोन को काले बाजार में प्रवेश को रोका जा सकता है। यह ऐप यूजर्स को संदिग्ध कॉल, एसएमएस या व्हाट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म पर आने वाले फ्रॉड कम्युनिकेशंस की रिपोर्ट करने की सुविधा भी देता है।

आपको बता दें कि पिछले हफ्ते, दूरसंचार विभाग (DoT) ने व्हाट्सऐप, सिग्नल और टेलीग्राम जैसी कंपनियों को एक निर्देश जारी किया, जिसके तहत यूजर्स अब उन ऐप्स को उस सिम कार्ड के बिना एक्सेस नहीं कर सकेंगे, जिसके साथ उन्होंने अपने फोन पर इन सर्विसेज के लिए रजिस्ट्रेशन किया था। इस निर्देश का मतलब यह भी होगा कि व्हाट्सऐप वेब जैसी सहायक वेब सर्विसेज यूजर्स के लिए लगातार उपलब्ध नहीं रहेंगी क्योंकि यूजर्स हर छह घंटे में अपने-आप लॉग आउट हो जाएंगे।

अभी, व्हाट्सऐप जैसी सर्विसेज यूजर्स की पहचान, उनके मोबाइल नंबर पर वन-टाइम पासवर्ड (OTP) भेजकर वेरिफाइड करती हैं। लेकिन DoT के निर्देश का पालन करने के लिए, उन्हें अपने सिम कार्ड के IMSI तक पहुंच बनानी होगी। IMSI का अर्थ है इंटरनेशनल मोबाइल सब्सक्राइबर आइडेंटिटी, जो हर मोबाइल उपभोक्ता की ग्लोबल स्तर पर पहचान करने वाला एक विशिष्ट नंबर होता है।