इंटरनेट आज सभी लोगों की जरूरत बन चुकी है। रेल टिकट बुक करना हो या पैसे ट्रांजेक्शन या फिर घर का बिजली बिल जमा करना हो, सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक लोग अपने आवश्यक कार्यों का निपटारा करने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। अधिकांश इंटरनेट यूजर्स फेसबुक और ईमेल का इस्तेमाल करते हैं। यूं कहें तो इंटरनेट हमारी जरूरत बन चुकी है। लेकिन जैसे-जैसे इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ा है, इससे जुडे फ्राॅड के मामले भी बढ़ने लगे हैं। निजी जानकारियां चुराई जाने लगी है और इसकी खरीद-बिक्री शुरू हो गई है। इंटरनेट के इस ‘काले बाजार’ में हर जानकारी को खरीदने और बेचने की कीमत तय होती है। एक रिसर्च रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि बैंक खाते, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, ईमेल से जुड़ी जानकारियों को मामूली रकम पर बेचा जाता है। इस काले बाजार (डार्क वेब) में फेसबुक पासवर्ड की कीमत मात्र 285 रुपये है तो 71 हजार रुपये में पूरा ऑनलाइन इतिहास बिकता है।
मनीगुरु द्वारा किए गए रिसर्च के बाद यह बात सामने आयी है कि, काले बाजार में सोशल मीडिया अकाउंट फेसबुक की औसत कीमत 285 रुपये, रेडिट की 152 रुपये, इंस्टाग्राम की 457 रुपये, टि्वटर की 238 रुपये और पिंटरेस्ट की 619 रुपये है। वहीं, जीमेल की 238 रुपये, एओएल की 200 रुपये अौर हॉटमेल की 219 रुपये। रिपोर्ट के मुताबिक 71 हजार रुपये में किसी व्यक्ति विशेष का पूरा ऑनलाइन कुंडली उपलब्ध हो जाता है। इसी तरह ऑन लाइन शॉपिंग अमेजन प्राइम का लॉग इन और पासवर्ड 933 रुपये, ईबे का 923 रुपये और ग्रुपऑन का 771 रुपये में बेचा जाता है। यहां क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड की जानकारियों की भी खरीद-बिक्री होती है। पे पॉल की औसत कीमत 24 हजार 562 रुपये है। नेट बैंकिंग की 19 हजार 374 रुपये, क्रेडिट कार्ड की 8 हजार 816 रुपये और डेबिट कार्ड की 3 हजार 361 रुपये है।
चोरी के डाटा को विभिन्न कंपनियों को बेच दिया जाता है। ये कंपनियां अपने फायदे के अनुसार इसका इस्तेमाल करती है। हालांकि, इससे बचाव के भी तरीके हैं। इंटरनेट यूजर्स थोड़ी सी सावधानी बरत खुद के डाटा को सुरक्षित रख सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि पासवर्ड हमेशा दो लेवल का होना चाहिए, ताकि किसी भी लॉगिन के समय मोबाइल पर ओटीपी आए। इससे जानकारी चोरी होने की संभावना न के बराबर होती है।