एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट प्रोवाइडर भारत में अपनी सर्विसेज लॉन्च करने के लिए तैयार है। सार्वजनिक एंट्री से पहले Starlink ने दिल्ली के नैरोजी नगर के World Trade Centre (WTC) में पहला ऑफिस खोल लिया है। गौर करने वाली बात है कि सैम ऑल्टमैन की कंपनी OpenAI का ऑफिस भी इसी बिल्डिंग में है। SpaceX के मालिकाना हक वाली यह कंपनी भारत के तेजी से बढ़ते दूरसंचार बाजार में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस की एक नई कैटेगिरी स्थापित करने के लिए तैयार है।

ET की रिपोर्टों के अनुसार, Starlink ने प्रीमियम फ़्लेक्सिबल वर्कस्पेस प्रोवाइडर CorporatEdge के जरिए 50 सीटों वाला एक वर्कप्लेस लीज़ पर लिया है। यह कदम भारत में कमर्शियल लॉन्च के करीब पहुंच रही SpaceX की सैटेलाइट इंटरनेट यूनिट के लिए एक बड़ा और महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।

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टेक कॉरिडोर बना दिल्ली का World Trade Center

World Trade Centre में ऑफिस बनाने का यह फैसला उन मल्टीनेशनल टेक कंपनियों के बीच बढ़ते रुझान को दिखाता है जो ‘हॉस्पिटैलिटी-स्टाइल सर्विसेज और ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी’ की तलाश में हैं।

इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया, “ये कंपनियां अब ऐसे मैनेज्ड ऑफिस प्रोवाइडर को तेजी से चुन रही हैं जो प्रीमियम सर्विसेज के साथ हाई-लेवल वर्कप्लेस उपलब्ध कराते हैं।” हाल ही में इसी कॉम्प्लेक्स में अपने इंडिया ऑफिस को फाइल करने वाली OpenAI के साथ एक ही छत के नीचे जगह साझा करके, Starlink खुद को दिल्ली के नए कॉरपोरेट एलीट के तौर पर स्थापित कर रहा है।

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भारत में लॉन्च को तैयार स्टारलिंक

अब जबकि भारत में स्टारलिंक ने अपना पहला ऑफिस खोल लिया है, लेकिन स्टारलिंक का कमर्शियल संचालन अभी भी फाइनल रेगुलेटरी मंज़ूरियों पर निर्भर है। कंपनी को जून 2025 में दूरसंचार विभाग (DoT) से ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) परमिट मिल गया था।

हालांकि, स्टारलिंक और इसके प्रतिस्पर्धियों जैसे रिलायंस जियो और एयरटेल की लॉन्च टाइमलाइन में देरी हुई है। इसका कारण टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) और DoT के बीच स्पेक्ट्रम की कीमत तय करने को लेकर जारी मतभेद है। इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों के अनुसार, फुल कमर्शियल रोलआउट में अभी तीन से छह महीने और लग सकते हैं।

इस महीने की शुरुआत में स्टारलिंक की भारतीय वेबसाइट पर एक टेक्नोलॉजिकल गड़बड़ी के कारण रेजिडेंशियल सब्सक्रिप्शन प्लान्स की कीमत लगभग ₹8,600 प्रति माह दिखाई गई थी।

कंपनी ने तुरंत इन आंकड़ों को तकनीकी गलती बताते हुए खारिज कर दिया। लेकिन इस ‘लीक’ ने इस बात को लेकर जबरदस्त अटकलों को जन्म दे दिया कि स्टारलिंक भारत में अपने ‘आसमान से मिलने वाले ब्रॉडबैंड’ की कीमतें कैसे तय करेगा जिससे वह देश के कम-लागत वाले टेरेस्ट्रियल फाइबर इंटरनेट प्रोवाइडर्स से प्रतिस्पर्धा कर सके।