Aarogya Setu: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology) ने हाल ही में डेटा एक्सेस और नॉलेज शेयरिंग प्रोटोकॉल को जारी किया था। नई गाइडलाइंस के अनुसार, डेटा को सिर्फ सरकार और उन एजेंसियों के साथ शेयर किया जा सकता है जिनके पास डेटा को एक्सेस करने की इज़ाजत है।

सरकार ने क्यों जारी की गाइडलाइंस?

आईटी के सचिव अजय प्रकाश साहनी ने बताया कि COVID 19 महामारी के लिए उपयुक्त हेल्थ रिस्पांस बनाने के लिए, व्यक्तियों से संबंधित डेटा की आवश्यकता है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए और सुनिश्चित करने के लिए ऐप से एकत्रित किए गए डेटा को उपयुक्त तरीके से प्रोसेस्ड और साझा किया जाए सरकार ने दिशा निर्देश जारी किए हैं।

Aarogya Setu: कौन सा डेटा करता है एकत्रित और शेयर?

आरोग्य सेतु ऐप द्वारा एकत्रित किए गए डेटा को चार श्रेणियों में बांटा गया है – डेमोग्राफिक डेटा, कॉन्टैक्ट डेटा, सेल्फ-असेसमेंट डेटा और लोकेशन डेटा। आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि इन सभी डेटा को रिस्पांस डेटा कहा जाता है।

सबसे पहले बात डेमोग्राफिक डेटा की, इस डेटा में आपका नाम, मोबाइल नंबर, उम्र, जेंडर, प्रोफेशन और ट्रैवल हिस्ट्री शामिल होती है। कॉन्टैक्ट डेटा किसी भी अन्य व्यक्ति के बारे में है जो आपके पास आए हो या फिर आपके पास से गुजरे हो। इसमें संपर्क की अवधि, आपके और अन्य व्यक्ति के बीच की दूरी और लोकेशन जहां आपका और सामने वाले व्यक्ति का संपर्क हुआ।

सेल्फ-असेसमेंट डेटा का मतलब है कि ऐप में आपके द्वारा सेल्फ असेसमेंट टेस्ट के लिए दी गई प्रतिक्रियाएं। लोकेशन डेटा में latitude और longitude में किसी व्यक्ति की लोकेशन होती है।

Aarogya Setu data: कौन कर सकता है डेटा को एक्सेस?

प्रोटोकॉल के अनुसार, रिस्पांस डेटा जिसमें आपका पर्सनल डेटा शामिल होता है वह केवल एप डेवलपर नेशनल इंर्फोमेटिक्स सेंटर, स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों / स्थानीय सरकारों के स्वास्थ्य विभाग,

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, केंद्र और राज्य सरकारों के अन्य मंत्रालय और विभाग, केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों के अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान के साथ साझा किया जाता है।

प्रोटोकॉल में इस बात का भी जिक्र है कि यदि जरूरी हुआ तो डेटा थर्ड पार्टी के साथ भी साझा किया जा सकता है। इसके अलावा, रिसर्च उद्देश्यों के लिए रिस्पांस डेटा को भारत में रजिस्टर भारतीय विश्वविद्यालयों या रिसर्च इंस्टीट्यूशन के साथ साझा किया जाता है।

What are the checks and balances?

प्रोटोकॉल के अनुसार, रिस्पांस डेटा मंत्रालयों, सरकारी विभागों और अन्य प्रशासनिक एजेंसियों के साथ साझा किया जा सकता है लेकिन वह डी-आइडेंटिफाइड रूप में होना चाहिए।

एनआईसी उन सभी एजेंसियों की सूची भी बनाएगी जिनके साथ डेटा को शेयर किया जा रहा है। इसमें लिस्ट में डेटा को किस समय शेयर किया गया और किसके साथ, डेटा कैटेगरी और डेटा शेयर करने का उद्देश्य जैसी जरूरी बातों का उल्लेख होगा।

नए प्रोटोकॉल के मुताबिक, एप का उपयोग करने वाले यूजर का पर्सनल डेटा (कॉन्टैक्ट और लोकेशन) 180 दिन बाद स्थायी रूप में डिलीट हो जाएगा। जिस भी दिन से डेटा एकत्रित हुआ है उसके ठीक 180 दिन बाद डेटा डिलीट हो जाएगा और डेटा का इस्तेमाल केवल हे स्वास्थ्य से जुड़े उद्देश्य के लिए ही होगा।

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