अब तक तो सभी यही जानते थे कि ब्लैकहोल से निकलना असंभव है। लेकिन मशहूर भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग का कहना है कि ब्लैकहोल की गहरी खाई से निकल पाना संभव है। स्टीफन हॉकिंग ने ब्लैकहोल के बारे में यह नई जानकारी देकर सभी को चौंका दिया है। उन्होंने बताया कि ब्लैकहोल के भीतर से बचकर निकलना संभव हो सकता है। ब्लैकहोल ऐसी खगोलीय चीज है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि प्रकाश तक भी इसके खिंचाव से नहीं बच सकता तो फिर इससे बाहर कैसे निकला जा सकता है, यह बात वैज्ञानिकों को अचंभे में डालने वाली है। लेकिन स्टीफन हॉकिंग ने अपने नए शोध से यह नई जानकारी दी है कि इससे निकल पाना संभव है। हॉकिंग का यह शोध प्रपत्र, फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित हुआ है। इसमें हॉकिंग ने लिखा है कि जैसा पहले ब्लैकहोल के बारे में जानकारी थी कि ये अंतहीन कैदखाने हैं, ऐसा यह है नहीं। अगर आप दुर्भाग्यवश किसी ब्लैकहोल में फंस जाते हैं तो हार मत मानें, वहां से बच निकलने का रास्ता है। हॉकिंग द्वारा दी गई यह नई जानकारी न केवल ब्लैकहोल की परिभाषा को बदल देगा बल्कि इस बात से भी परदा हट जाएगा कि ब्लैकहोल द्वारा निगल ली गई वस्तुओं और जानकारियों का आखिर हुआ क्या?

इस नए शोध से पहले हॉकिंग भी यह मानते थे कि ब्लैकहोल में समा गई सारी वस्तुएं खो जाती हैं। लेकिन अब उन्होंने इस शोध में बताया है कि ब्लैकहोल के भीतर समा गई वस्तुओं के बारे में फिर से पता लगना संभव है। अब तक वैज्ञानिकों का मानना था कि ब्लैकहोल सपाट होते हैं। लेकिन हॉकिंग का कहना है कि ब्लैकहोल असल में मुलायम बालों सरीखे अभामंडल से घिरे रहते हैं। ये रोएं उन सभी चीजों की जानकारी संजो कर रखते हैं जो भी ब्लैकहोल में जा समाती हैं। लेकिन हॉकिंग के इस दावे का यह मतलब कतई न निकालें कि आप ब्लैकहोल में गोता लगाएं और दूसरी तरफ से साबुत जिंदा बच कर निकल जाएं। दरअसल इसका मतलब यह है कि आपकी जानकारी वहां सुरक्षित रहेगी न कि आपका शरीर। बीते कल की जानकारियों का रिसाव इसमें संभव है।

अगर आप ब्लैकहोल में गिर जाएं तो क्या होगा? शायद आप सोचते हों कि आपकी मौत हो जाएगी। ऐसा संभव तो है लेकिन इसके अलावा कई और भी चीजें वहां आपके साथ हो सकती हैं। दरअसल ब्लैकहोल अंतरिक्ष में वह जगह है जहां भौतिक विज्ञान का कोई नियम काम नहीं करता क्योंकि इसका गुरुत्वाकर्षण बल बहुत शक्तिशाली होता है। इसके खिंचाव से कुछ भी नहीं बच सकता। प्रकाश भी यहां प्रवेश करने के बाद बाहर नहीं निकल पाता है। यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है। इसलिए यह एक अंधकारमय गुफा की तरह होता है जिसमें कोई भी वस्तु विलीन हो जाएगी। ब्लैकहोल के बाहरी हिस्से को इवेंट हॉराइजन कहते हैं। क्वांटम प्रभाव के कारण इससे गर्म कण टूट-टूट कर ब्रह्मांड में फैलने लगते हैं। स्टीफन हॉकिंग की खोज के मुताबिक हॉकिंग रेडिएशन के चलते एक दिन ब्लैकहोल पूरी तरह द्रव्यमान मुक्त हो कर गायब हो सकता है। ब्लैकहोल का केंद्र असीम घुमावदार होता है। इसमें प्रवेश करते ही भौतिक विज्ञान का कोई नियम काम नहीं करता। यहां पहुंचने के बाद क्या होगा, यह कोई नहीं जानता, क्यांकि अभी तक वहां कोई भी नहीं पहुंच सका है। इसके अंदर जाने पर कोई दूसरा ब्रह्मांड आ जाएगा या फिर आप सब कुछ भूल कर नई दुनिया में पहुंच जाएगे। यह रहस्य अभी तक बना हुआ है।

ऐसा नहीं कि सभी तारे मरने के बाद ब्लैकहोल ही बन जाते हैं। पृथ्वी जैसे छोटे तारे तो बस सफेद छोटे छोटे कण बन कर ही रह जाते हैं। जो आप बड़े तारे देखते हैं वे न्यूट्रॉन तारे होते हैं जिनका द्रव्यमान बहुत ज्यादा होता है। ब्लैकहोल को उनके आकार के आधार पर अलग किया गया है। ये दो प्रकार के होते हैं। छोटे ब्लैकहोल स्टेलर ब्लैकहोल कहलाते हैं जबकि बड़े वालों को सुपरमैसिव ब्लैकहोल कहा जाता है। इनका भार इतना ज्यादा होता है कि एक एक ब्लैकहोल लाखों करोड़ों सूरज के बराबर होते हैं। आप आंखों से ब्लैकहोल देख नहीं सकते। इनका न तो कोई द्रव्यमान होता और न आयतन। इनकी हम केवल कल्पना ही करते हैं। ये बड़े रहस्यमय होते हैं। ब्लैकहोल को सिर्फ उसके आसपास चक्कर लगाते भंवर जैसी चीजों से पहचाना जा सकता है।

आपको ऐसा लगता होगा कि ब्लैकहोल वास्तव में कोई काला बड़ा छेद होगा, ऐसा नहीं है। यह तो मरे हुए तारों के अवशेष हैं। जब तारे मरते हैं तो ब्लैकहोल पैदा होते हैं। जब करोड़ों, अरबों सालों के बाद किसी तारे की जिंदगी खत्म होती है तो ब्लैकहोल का जन्म होता है। यह तेज और चमकते सूरज या किसी दूसरे तारे के जीवन का आखिरी पल होता है और तब इसे सुपरनोवा कहा जाता है। जब किसी तारे में विशाल धमाका होता है तो वह तबाह हो जाता है। उसके पदार्थ अंतरिक्ष में फैल जाते हैं। इन पलों की चमक किसी गैलेक्सी से कम नहीं होती। मरने वाले तारे में इतना आकर्षण होता है कि उसका सारा पदार्थ आपस में बहुत गहनता से सिमट जाता है और एक छोटे काले बॉल की आकृति ले लेता है।

यही ब्लैकहोल होता है इसका कोई आयतन नहीं होता लेकिन घनत्व अनंत होता है। यह घनत्व और आकर्षण बल इतना ज्यादा होता कि पूरे पूरे ग्रह को अपने अंदर समा सकता है। जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। पैदा होते ही ब्लैकहोल ग्रह, चांद, सूरज समेत सभी अंतरिक्षीय पिंडों को अपनी ओर खींचने लगता है। जितने ज्यादा पदार्थ इसके अंदर आते हैं इसका आकर्षण बल और भी बढ़ता जाता है। यहां तक कि यह आसपास के प्रकाश को भी सोख लेता है और वह क्षेत्र अंधकारमय हो जाता है।

ब्लैकहोल में मोबाइल काम नहीं करेगा। अगर आप अपने आईफोन से किसी ऐप के जरिए किसी को संदेश भेजना चाहते हैं तो यह जल्द नहीं मिलेगा। क्योंकि आपके शब्द तो वहां बहुत देरी से पहुंच रहे होंगे। इसका कारण यह है कि ब्लैकहोल के अंदर फ्रीक्वेंसी लगातार कम होती जाती है जो आपको सुनाई ही नहीं देगी। यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला के वैज्ञानिको ने हाल ही में अब तक का सबसे विशाल ब्लैकहोल ढूंढ़ निकाला है। यह अपने मेजबान गैलेक्सी एडीसी 1277 का 14 फीसद द्रव्यमान अपने अंदर समा लेगा। 1972 में सबसे पहले सिग्नस एक्स-1 के बी स्टार की ब्लैकहोल के रूप में पहचान हुई। अब तो ब्रह्मांड को टटोलने के लिए सबसे बड़ी मशीनी आंख बनाई जा रही है। इससे मिलने वाली तस्वीरें नासा की हब्बल दूरबीन से 15 गुना ज्यादा साफ होंगी। यूरोपियन एक्ट्रीम्ली लार्ज टेलिस्कोप बनाने की शुरुआती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। चालीस करोड़ यूरो का प्रोजेक्ट यूरोपियन सदर्न आॅब्जरवेट्री को मिला है। यूरोपियन एक्ट्रीम्ली लार्ज टेलिस्कोप (इ-इएलटी), इंसानी इतिहास की सबसे बड़ी दूरबीन होगी। इसे उत्तरी चिली में 3,000 मीटर ऊंची सेरो अमाजानेस पहाड़ी पर स्थापित किया जायेगा। इ-इएलटी दूरबीन के मुख्य दर्पण का व्यास चालीस मीटर होगा। ऐसी आशा है कि इ-इएलटी ऐसा खोजें करेगी जिसकी आज हम कल्पना भी नहीं कर सकते, जिसमें ब्लैकहोल का रहस्य भी शामिल है।