Health News: ज्यादातर लोग मुंह की स्वच्छता के महत्त्व से अनजान होते हैं, इसलिए वे मुंह और दांतों की सफाई पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। कमोबेश यह हाल सभी देशों का है। अमेरिका में करीब बानबे फीसद लोग दांतों की किसी न किसी बीमारी से पीड़ित होते हैं, वहीं भारत में साठ से पैंसठ फीसद जनसंख्या दांतों की खराबी से प्रभावित है। दांतों में दर्द या सड़न होने पर अधिकतर लोग बिना दंत चिकित्सक की राय के दर्द की दवा ले लेते हैं। दर्द की दवा से थोड़ी देर के लिए राहत जरूर मिलती है, पर समस्या जस की तस बनी रहती है। यही नहीं, समय के साथ दांतों की सड़न भी बढ़ती जाती है।

दांतों की सड़न सिर्फ दांतों को नहीं, हृदय को भी प्रभावित करती है। एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि रूट इंफेक्शन यानी खराब दांत के स्वास्थ्य से हृदय रोगों सहित कई संबंधित जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। वहीं जर्नल ऑफ डेंटल रिसर्च में प्रकाशित शोध के मुताबिक, मुंह का संक्रमण शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करता है। इसलिए दांतों में होने वाली बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। अगर कोई बीमारी दांतों में लग गई है, तो तत्काल विशेषज्ञ से परामर्श लें, क्योंकि जरा-सी लापरवाही खतरनाक हो सकती है।

कारण
कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों जैसे बिस्कुट, चॉकलेट और अन्य प्रोसेस्ड फूड में चीनी और नमक दोनों की अधिकता होती है, जो मुंह की समस्या यानी दांतों और मसूढ़ों की समस्याओं को जन्म देता है। दरअसल, मुंह में बैक्टीरिया बेकार उत्पादों (या एसिड) को उत्पन्न करते हैं, जो दांतों में छोटे छिद्र कर देते हैं। यह दंतक्षय का पहला चरण होता है। सही समय पर इसका इलाज करवा लेना चाहिए, अन्यथा एसिड दांतों में प्रवेश करके उन्हें अंदर से नष्ट कर देता है।

समस्याएं

सांस में बदबू
खाने के बाद ब्रश नहीं करने, मुंह की सफाई नहीं होने और सही ढंग से ब्रश नहीं करने के कारण यह समस्या होती है। पायरिया में भी सांसों की बदबू की परेशानी होती है। बदबू से छुटकारा पाने के लिए नियमित ब्रश करें और गुनगुने पानी में नमक डालकर कुल्ला करें। इससे भी समस्या का समाधान नहीं होता तो डॉक्टर से परामर्श लें।

दांतों की कमजोरी
सफाई की कमी और दांतों में पिन वगैरह डालने और सड़न की वजह से दांत कमजोर होते हैं। सही तरीके से ब्रश नहीं करने के कारण भी दांत कमजोर होते हैं।

जंक फूड

बड़े शहरों में एक बड़ा तबका तुरंता आहार यानी जंक फूड का प्रेमी है। जंक फूड की खपत अधिक होने के कारण स्कूली बच्चों में यह समस्या काफी अधिक है। दांतों का खराब होना कैरीज इनेमल पर एसिड की क्रिया के कारण होती है। एसिड तब पैदा होता है, जब दांत की सतह पर प्लाक में मौजूद बैक्टीरिया के साथ खाद्य पदार्थ या पेयों में मौजूद शुगर (मुख्य रूप से सुक्रोज) प्रतिक्रिया करता है। उत्पादित एसिड इनेमल में कैल्शियम और फॉस्फेट की कमी का कारण बनता है। इसलिए न सिर्फ बच्चों को, बल्कि बड़ों को भी जंक फूड और प्रोसेस्ड भोजन खाने से बचना चाहिए।

दूध और दूध से बनी चीजें
हम सभी जानते हैं कि दूध और दूध से बनी चीजों में कैल्शियम और प्रोटीन की अधिकता होती है। प्रोटीन और कैल्शियम दांतों की मजबूती और इनेमल बनाने में मददगार होते हैं। यही कारण कि ज्यादातर दंत चिकित्सक खाने में दूध और दूध से बनी चीजों को शामिल करने की सलाह देते है।

मीठा से करें परहेज
मीठा खाने के बाद दांतों को साफ जरूर करें। कारण कि जब दांत मीठा चबाते हैं, तो वह टूट कर दांतों पर चिपक जाता है और दांतों में सड़न पैदा कर देता है। इसलिए किसी तरह की कैंडी खाने से परहेज करना चाहिए। हालांकि थोड़ा बहुत चॉकलेट खाया जा सकता है, क्योंकि यह दांतों पर चिपकता नहीं है और साफ पानी से धोने पर आसानी से निकल जाता है।

खूब पानी पीएं
आपके दांतों की सलामती में पानी भी एक अहम भूमिका निभाता है। इसलिए पानी ऐसा पीएं जिसमें सारे खनिज मौजूद हों।

कुछ उपाय
सही टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें।
दिन में दो बार ब्रश और एक बार फ्लॉसिंग करें। दांतों की सफाई प्लाक और बैक्टीरिया के निर्माण को रोकने में मदद मिलती है।
ब्रश करने के बाद जीभी से जीभ को भी साफ करना न भूलें।
मसूड़ों से खून आने या सूजन होने पर दंत चिकित्सक की राय लें।
दांतों में सेंसटिविटी होने या कैविटी होने या दर्द पर दंत चिकित्सक को जरूर दिखाएं।
हर छह महीने में अपने दांतों की जांच करवाएं।
साल में दो बार डेंटल क्लीनिंग करवाएं। ऐसा करवाने से समय रहते ही दांतों की बीमारी प्रारंभिक चरण में ही पकड़ी जाती है और उसे आसानी से ठीक किया जा सकता है।