पहले बच्चों के लिए घर में आंगन हुआ करता था, कमरा नहीं। अब इसे बदलते दौर का चलन कहिए या जरूरत, लेकिन अब घर में एक कोना नन्हे सदस्यों को भी चाहिए। पर बच्चों को लुभाना भी एक टेढ़ी खीर है, क्योंकि उनकी पंसद रोज बदलती है। बच्चों का जोर जहां पसंद पर होता है, वहीं मां-बाप जरूरत को प्राथमिकता देते हैं। बच्चों की ख्वाहिश और जरूरत में तालमेल बिठा कर आइए सजाते हैं इन छोटे और बड़े नवाबों का कमरा।
उम्र और पंसद को तवज्जो दें
बच्चे की उम्र का सबसे पहले ध्यान रखें। हम हमेशा चीजें भविष्य को दिमाग में रख कर तय करते हैं, यह गलत भी नहीं है, लेकिन पांच साल के बच्चे की जरूरत पंद्रह साल के बच्चे से अलग होगी। और पंद्रह साल के किशोर को पच्चीस साल के युवक का कमरा नहीं जंचेगा। एक-दो साल के हिसाब से ही कमरे की योजना बनाएं, दशक के लिए नहीं। कमरों का रंग बच्चों की पंसद के हिसाब से ही तय करें। रंग के मामले में छुटके शैतानों पर आप अपनी मनमानी चला सकते हैं, लेकिन बड़े बच्चों को, राय-मशविरा जरूर दें, पर थोपें नहीं, क्योंकि कमरा इस्तेमाल उन्हें करना हैं आपको नहीं।
रंगों से खेलने दें
विशेषज्ञ भी मानते हैं कि चटख रंग बच्चों को आकर्षित करते हैं और ये उर्जावान होते हैं। इसलिए छोटे बच्चों के कमरे में इनका खुल कर इस्तेमाल करें। बड़े बच्चों के कमरों में इनकी शेड हल्की रखिए या फिर रंगों को कंट्रास्ट में पुतवाएं। वॉलपेपर की जगह वॉलआर्ट स्टीकर लें। बाजार में इनकी ढेरों रेंज मौजूद हैं। किफायती होने के साथ-साथ ये वॉलपेपर के बजाय कमरे को ज्यादा जीवंत अहसास देते हैं। छोटे कमरों के लिए ये स्टीकर एक बढ़िया विकल्प हैं। इनसे कमरे में डिजाइन की कसर पूरी हो जाती है और कमरा बड़ा भी महसूस होता है। इन्हें आप नन्हे-मुन्नों की पसंद के हिसाब से जल्दी-जल्दी बदल भी सकते हैं। इसके अलावा कमरे की सबसे छोटी किसी खाली दीवार को बच्चे के पंसदीदा खेल, गतिविधि वगैरह के चाकबोर्ड से पेंट करा सकते हैं, जिसे बतौर ब्लैकबोर्ड भी बच्चा इस्तेमाल कर सकता है और यह देखने में भी काफी रोचक लगेगा। चाकबोर्ड भी अब काले रंग से निकल कर रंगीन हो चला है, नीला, गुलाबी, हरा यानी जो भी रंग आपके बच्चे को लुभाए, उसी से उसका चाकबोर्ड सजाएं।
पढ़ाई को आराम से अलग करें
आमतौर पर हम बच्चों का अध्ययन और शयन कक्ष एक ही रखते हैं। कोशिश करें कि पढ़ाई का कमरा सोने के कमरे से अलग हो। दो बच्चों को अलग-अलग कमरा देने के बजाय एक कमरे को अध्ययन कक्ष और दूसरे को शयन कक्ष रखें। इससे इन्हें व्यवस्थित करने में भी आसानी होगी और बच्चों के लिए भी पढ़ाई का माहौल बनेगा। छोटे बच्चों के स्टडी रूम में अंग्रेजी, हिंदी के अक्षरों और सामान्य ज्ञान से जुड़े चार्ट जरूर रखें। पेन, पेंसिल, रंग और दूसरे सामान को अलग और रंग-बिरंगे डिब्बों में सजाएं। पुराने डिब्बों को नए रंग, डिजाइन में आप खुद भी सजा सकते हैं। बच्चों के पंसदीदा कार्टून चरित्रों के सामान का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा किताबें रखने के लिए अलग से दराजें और अलमारी बनाएं। साथ ही हर सामान की एक स्थायी जगह जरूर तय करें, जिससे बच्चों को अपनी चीजें सही जगह पर रखने के आदत भी बनेगी।
जरूरत के मुताबिक हो बदलाव
बड़े बच्चों की जरूरतें छोटे बच्चों से अलग हैं, तो इसके इंतजाम भी खास होंगे। आजकल हर अभिभावक की चिंता है कि बच्चा स्टडी रूम के बजाय टीवी, इंटरनेट और फोन पर ज्यादा समय बिताता है। इसमें पढ़ाई और प्रोजेक्ट की जरूरत जोड़ देने की वजह से मां-बाप भी कुछ नहीं कह और कर पाते। पढ़ाई की मेज पर कंप्यूटर, लैपटॉप और लैंप के अलावा ग्लोब और सामान्य जानकारी की किताबों, पत्रिकाओं को जरूर जगह दें। सिर्फ स्कूल के कोर्स की किताबों के अलावा कमरे के किताब घर में बच्चों की पसंद के विषयों की किताबों को भी तवज्जो दें, क्योंकि इंटरनेट की तेज तकनीक भी सूचना ही दे सकती हैं, पढ़ने की ललक नहीं। यह सिर्फ माहौल से ही मिल सकती हैं। अध्ययन कक्ष को बोरियत से निकालें। दीवारों पर अलग-अलग मानचित्र लगा सकते हैं। इसके अलावा पे्ररणादायक वाक्य और लोकोक्तियां भी जरूर लगाएं। कमरे में नोटिस बोर्ड भी रखें, जरूरी कामों और दिनों की जानकारी के अलावा अलग-अलग क्षेत्रों की महान हस्तियों की संक्षिप्त जानकारी को भी नोटिस बोर्ड का हिस्सा बना सकते हैं। साथ ही थोड़े-थोड़े अंतराल में इन्हें बदलते भी रहें। उम्र के कच्चे और बड़े, दोनों ही बच्चों के लिए यह बदलाव मनोरंजक भी होगा और उनकी व्यस्तता के साधन भी बदलेंगे।
जहां हो आराम और मौज-मस्ती
अध्ययन कक्ष से निकल कर शयन कक्ष सबसे खास कमरा होता है बच्चों के आराम और मौजमस्ती का। पर छोटे उस्तादों के इस कमरे की सजावट की मिठास पूरी तरह आपके खर्चे के गुड़ पर निर्भर है। दीवारों को वॉलआर्ट के अलावा आप बच्चों के लुभावने खिलौनों से सजा सकते हैं। बच्चों के सीढ़ीदार बिस्तर एक बार फिर से बाजार में दस्तक दे चुके हैं। इनमें मॉडयूलर, लकड़ी से लेकर स्टील और लोहे के अनगिनत डिजाइन उपल्बध हैं। बिस्तर की चादरों के साथ भी थोड़ा फेर-बदल करें। पशु-पक्षी, फल-फूल, नंबर और आकार के ढेरों डिजाइनों को बिस्तर पर बिछाएं। इसी तरह फर्श पर अलग-अलग पैटर्न और डिजाइन के कालीन या हल्के मैट भी बच्चों को खूब लुभाएंगे। किसी खास विचार या चीज पर आधारित डिजाइन को थीम बेस्ड डिजाइन कहते हैं, आजकल यह बाजार का नया चलन है। बड़े बच्चों के कमरे में उनकी पसंद के मुताबिक आप डिजाइन चुन सकते हैं। डिजाइन चुनने में इंटरनेट से भी मदद ले सकते हैं। इन नए अंदाजों को उनकी पसंद के चटकीले रंगों का साथ देकर छोटे ही नहीं, बड़े बच्चों को भी लुभा सकते हैं। बच्चों के कमरे में खिलौनों और दूसरे सामान का बिखराव मम्मियों के लिए हमेशा सिरदर्दी का सबब रहता है। थोड़ा मेकओवर इस बार बच्चों के स्टोर जगह को भी दीजिए। एक बड़ी मेज बना कर उसमें प्लास्टिक और लकड़ी की टोकरियों की दराज लगाएं। खिलौनों और दूसरे सामान के लिए टोकरियों पर नामपट्टी लगा सकते हैं, जिससे सामान रखने और निकालने में भी सहूलियत रहेगी।
जब घर छोटा हो
अगर अलग से कमरे की व्यवस्था न हो, तो भी घबराने की जरूरत नहीं। एक ही कमरे को पढ़ा़ई और सोने के लिए आप आधा-आधा बांट सकते हैं। कमरे को एक पूरा विभाजन दें। इसे आप दीवारों के रंग से भी आधा कर सकते हैं, साजो-सामान की व्यवस्था से भी और चाहे तो बीच में एक परदे की दीवार भी डाल सकते हैं। व्यवस्था पूरी तरह हमारे आराम और सहूलियत पर आधारित होनी चाहिए, परेशानियों पर नहीं। थोड़े से बदलाव आपको सहूलियत देंगें और आपके बच्चों को ताजगी।