बरसात के समय आंखों की विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इस मौसम में चूंकि वातावरण में नमी होती है, जगह-जगह पानी भरा होता है, अनेक जगहों पर कूड़ा-कचरा जमा और सड़ता रहता है, इसलिए उन पर बैक्टीरिया पैदा होते हैं, जो आंखों में संक्रमण का कारण बनते हैं। इसके अलावा इस मौसम में कभी बादलों की वजह से छाया रहती है, तो कभी तेज और तीखी चमक वाली धूप निकली होती है, जो आंखों में चौंध पैदा करती है। इससे रेटिना पर असर पड़ता है। इसलिए इस मौसम में कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है।

संक्रमण
इस मौसम में अंखों में संक्रमण तेजी से फैलता है, जिससे आई फ्लू हो जाता है, जिससे रेटिना पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कई बार समय से और उचित इलाज न मिल पाने के कारण आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा बना रहता है। इसलिए संक्रमण से बचने के लिए घर से बाहर निकलते समय धूप का चश्मा जरूर पहनें। इससे धूप की चौंध से आंखों पर असर नहीं पड़ेगा। फिर हवा के साथ उड़ते बैक्टीरिया से भी बचाव होगा। रोज सुबह सोकर उठते ही पानी के छींटे मार कर अंखों की सफाई करें। जब नहाने जाएं, तब भी साफ पानी से अंखों को ठीक से धोएं। इस तरह संक्रमण से काफी हद तक बचा जा सकता है। अगर आपको तैराकी का शौक है या बच्चों को तैराकी के लिए भेजते हैं, तो तैराकी का चश्मा जरूर पहनें, इससे दूसरों की अंखों का संक्रमण आपको लगने से बच जाएगा। गंदे पानी से आंखों के संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। अगर आंखों का संक्रमण हो जाता है, तो तुरंत चिकित्सक को दिखाना और उचित इलाज कराना चाहिए।

खुजली न करें
बारिश में भीगने या फिर तेज धूप में घूमने-फिरने से आंखों में खुजली होने लगती है। आंखों में धूल-मिट्टी जाने और वैक्टीरिया के प्रकोप से भी आंखों में खुजली होती है। इसलिए कभी भी अंखों को गंदे हाथों से न खुजलाएं। अंखों में अंगुली न डालें। अगर खुजली होे रही हो, तो पानी के छींटे मार कर खुजली को शांत करें। रगड़ने या अंगुली डालने से तत्काल खुजली तो शांत हो सकती है, पर फिर उसमें जलन शुरू हो जाती है। आंखों में कीचड़ आने लगता है और आंखें लाल हो जाती हैं। क्या पता, हाथों में बैक्टीरिया चिपके हों और वे आंखों के संक्रमण को बढ़ा दें।

नमी वाली जगहों पर जाने से बचें
बरसात में कई जगहों पर पानी भर जाता है और लंबे समय तक जमा रहता है। ऐसे पानी में बैक्टीरिया और संक्रमण फैलाने वाले जीवाणु पनपते रहते हैं। इसलिए ऐसी जगहों पर जाने से बचना चाहिए। अगर कहीं घूमने-फिरने के क्रम में किसी नदी-तालाब की तरफ जाते हैं, तो वहां संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया की गिरफ्त में आ सकते हैं। जिन पार्कों में नियमित साफ-सफाई नहीं रहती और नमी अधिक रहती है या खर-पतवार सड़ते रहते हैं, उनमें टहलने या खेलने से बचें।

पानी के छींटे मारें
देर रात तक जग कर पढ़ने या कंप्यूटर पर काम करने से आंखों की मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है। थोड़े-थोड़े समय बाद आंखों को आराम दें। बीच-बीच में उठ कर अंखों पर पानी के छींटे मार लिया करें। इस तरह आंखों की सफाई भी होती रहेगी और आंखों की मांसपेशियों को आराम भी मिलेगा।

शृंगार के समय बरतें सावधानी
महिलाएं शृंगार करते समय आंखों में काजल, मस्कारा वगैरह का इस्तेमाल करती हैं। चूंकि सौंदर्य प्रसाधन की वस्तुएं जल्दी खराब हो जाती हैं, इसलिए वे इस मौसम में आंखों पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं। अव्वल तो सौंदर्य प्रसाधन की वस्तुओं की एक्सपायरी डेट देखते रहना चाहिए। फिर अगर ज्यादा जरूरी न हो तो बरसात में काजल, मस्कारा आदि के उपयोग से परहेज करना चाहिए। इनका इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें कि ये आंखों की पुतलियों के संपर्क में न आएं।

गुलाब जल डालें
आंखों की सफाई के लिए गुलाब जल उत्तम औषधि है। दिन भर बाहर रहने, कंप्यूटर पर काम करने या पढ़ने-लिखने से आंखों में गंदगी जाती है, मांस पेशियों में तनाव उत्पन्न होता है। ऐसे में गुलाब जल आंखों की गंदगी बाहर निकालता और उनको ठंडक पहुंचाता है। रात को सोने से पहले अगर आंखों में एक-एक बूंद गुलाब जल डाल कर थोड़ी देर आंखों को बंद रखें, तो आंखों की सारी गंदगी बाहर निकल जाती है, आंखों को आराम मिलता है। इस तरह सुबह उठने पर आंखों में कीचड़ नहीं बनता।