डॉ लोकराज शर्मा
एक पुरानी कहावत है, ‘दांत गया, स्वाद गया, बाल गया सिंगार गया’। इसलिए बालों की तरह दांतों की देखभाल भी बहुत जरूरी है। लेकिन आजकल भागती-दौड़ती जिंदगी में लोगों के पास समय ही नहीं रह गया है। पचास फीसद लोग अपने दांतों का बिल्कुल ध्यान नहीं रखते। इस कारण उनके दांत किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त रहते हैं। दांतो में कीड़ा लगना, एक आम समस्या है। जो किसी भी उम्र के व्यक्ति में देखी जा सकती है। दांतों में कीड़ा लगना कोई बीमारी या आनुवंशिक कारण नहीं है बल्कि एक आम समस्या है जो दांतो के साथ की गई लापरवाही के कारण उत्पन्न होती है। दांत व्यक्ति की पहचान माने जाते हैं, जिनकी सुंदरता और खूबसूरती किसी को भी आकर्षित करने के लिए पर्याप्त होती है। दांतों का स्वस्थ और अच्छा होना उतना ही अहम है, जितना की इंसान के शरीर का स्वस्थ होना। क्योंकि दांतो से शरीर की सभी क्रियाएं प्रारंभ होती हैं और अगर वे ही स्वस्थ नहीं होंगे तो हमारा शरीर स्वस्थ कैसे रह सकता है। दांतो में कीड़ा एक दिन में या एक हफ्ते में नहीं लगता बल्कि लंबे समय से दांतों के प्रति की जा रही लापरवाही के कारण लगता है। दांतों में कीड़ा लगने से व्यक्ति न तो ठीक प्रकार से खा पाता है और न ही पी पाता है। क्योकि दांतों में कीड़ा लगने के बाद वह दांतों की जड़ों तक पहुंच जाता है जिसके बाद दांतों में असहनीय दर्द होता है। कई बार यह दर्द इतना बढ़ जाता है की व्यक्ति को तेज बुखार और मसूढ़ों में सूजन भी हो जाती है।
वास्तव में दांतों में कीड़ा लगना सच में कीड़ा लगना नहीं है बल्कि यह एक मैल की परत होती है जो ठीक से साफ-सफाई न करने के कारण दांतों पर जमने लगती है और धीरे-धीरे बढ़ने लगती है। इसके कारण दांतों की सबसे ऊपरी परत नष्ट हो जाती है और दांत खराब होने लगते है। इसे सामान्य भाषा में दांतों में कीड़ा लगना कहा जाता है। दांतों में मैल जमने के प्रमुख कारण मुंह के अंदर मौजूद बैक्टीरिया, लार, अम्ल और भोजन के कण होते है। जो सीधे हमारे दांतो की परत को नष्ट कर देते हैं, जिसकी वजह से मैल दांतों पर इकट्ठा होने लगता है। दरअसल हमारे मुंह में एक प्रकार का बैक्टीरिया होता है जो शुगर को अम्ल में परिवर्तित करने का काम करता है। जब हम भोजन खाते हैं और उसमें किसी भी प्रकार का शुगर मौजूद होता है तो वह बैक्टीरिया उसे अम्ल में बदलने का काम करता है। ऊपरी परत दांतों को इस अम्ल से बचाने का काम करती है लेकिन अगर किसी कारणवश वह परत कमजोर हो जाती है तो अम्ल हमारे दांतों को नुक्सान पहुंचाने लगता है और उन्हें अंदर से खोखला कर देता है। लेकिन बाहर से वह केवल एक काले बिंदु की तरह दिखाई देता है जो वास्तविकता में अंदर से पूरी तरह नष्ट हो चुका होता है। ऐसे में अपने दांतों को इस समस्या से बचाना बेहद महत्त्वपूर्ण हो जाता है। आज के जमाने में ऐसी कई तकनीकें हैं, जिनका प्रयोग करके इस समस्या को खत्म किया जा सकता है। लेकिन कई बार चिकित्सकों की लापरवाही के कारण हमें हानि भी हो सकती है। अक्सर लोग दांत दर्द की दवाएं अनाप-शनाप खरीद लेते हैं, जिसके सेवन से नुकसान भी हो सकता है।
विदेशी दवाइयों के अलावा और भी कई उपाय है जिनका प्रयोग करके आप अपने दांतों के कीड़ो को कम कर सकते हैं। कुछ घरेलू उपचार भी हैं, जिनका इस्तेमाल करने से इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है। असल में दांत में कीड़े तब लगते हैं जब इनेमल कमजोर हो जाता है। इनेमल के कमजोर होने से किसी भी व्यक्ति के दांतों में कीड़ा लगने जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है, चाहे वह छोटा बच्चा हो या कोई बड़ा व्यक्ति। इसलिए दांतों को स्वस्थ और सही रखना आवश्यक है जिसके लिए समय-समय पर अपने दांतों की जांच भी जरूरी होती है। दांत मे कीड़ा लगने के और भी कई कारण हैं जैसे- अधिक मात्रा में मीठे पदार्थों का सेवन करने से, दांतों की ठीक प्रकार से सफाई न करने से, लंबे समय तक खट्टी डकार आने से। कैल्शियम, मैग्नीशियम,और मिनरल की कमी से। तनाव आदि के कारण और मुंह को ज्यादा देर तक सूखा रखने से।
जिन बच्चों के दांत दूध के होते हैं, वे थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाते पीते रहते है जिस कारण उनके दांतों की देखभाल ठीक से नहीं हो पाती। जिसके बाद उन्हें दांत में कीड़े लगने जैसी समस्या परेशान करने लगती है ऐसे में उनका ठीक इलाज न करवाना उनके लिए हानिकारक हो सकता है। कई लोग सोचते हैं कि कहीं इलाज की वजह से उनके बच्चे के दांत टूट न जाएं। यह धारणा गलत है, क्योंकि इस समस्या में की गई छोटी-से-छोटी लापरवाही भी बच्चे के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती है। शुरू में ये बहुत छोटा सा काले रंग का धब्बा होता है जो धीरे-धीरे बड़ा हो जाता है और उसमे खोखलापन आने लगता है। इसके कारण दांत की जड़ें कमजोर होने लगती है और उनमें बहुत तेज दर्द होने लगता है। विषम परिस्थितियो में तो मसूढ़ों से खून आने की भी आशंका रहती है। इसलिए सही समय पर सही इलाज जरूरी है। बड़ी उम्र में यह समस्या पीछे के दांतों से प्रारंभ होती है क्योंकि दांतों का आकार आड़ा-टेढ़ा होता है जिनमें खाना फंस जाता है। दांत के पीछे ठीक प्रकार से ब्रश नहीं पहुंचने के कारण वहां यह खाना अंदर फंसा रह जाता है। जो बाद में मैल बन जाता है और दांतों को संक्रमित करता है। कुछ लोगों के मुंह से बदबू भी आतने लगती है। इसलिए हमेशा अपने दांतो की सफाई ठीक प्रकार से करनी चाहिए।