मूंगफली-तिल के लड्डू
आयुर्वेद में सर्दी के मौसम में तिल से बने व्यंजन खाना स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत गुणकारी माना गया है। तिल की तासीर गरम होती है। सर्दी के मौसम में यह शरीर को गरम रखता है। कफ और पित्त का असंतुलन दूर करता है। आंतों में चिकनाई बढ़ाता और पेट को साफ रखता है। देश के विभिन्न हिस्सों में तिल के अलग-अलग व्यंजन बनते हैं। कहीं तिल-गुड़ को कूट कर गज्जक बनता है, तो कहीं तिलपट्टी, रेवड़ी। कहीं चावल के मुरमुरे के साथ मिला कर गुड़ के तिलवा बनते हैं, तो कहीं तिल के लड्डू बनते हैं। तिल के व्यंजन बनाने के सबके अपने-अपने तरीके हैं। पर जिस भी रूप में खाएं, इस मौसम में तिल स्वास्थ्य के लिए गुणकारी होता है।
तिल की तरह मूंगफली भी तैलीय गुणों से भरपूर होती है। सर्दी में मूंगफली खाने का मजा ही अलग होता है। इसका स्वाद सोंधा और मुंह में पानी लाने वाला तो होता ही है, तिल की तरह सर्दी में यह भी शरीर को गरम रखती और आंतों में चिकनाई बनाए रखने में मदद करती है। इस तरह तिल और मूंगफली के मेल से स्वाद और गुण दोनों बढ़ जाते हैं।
इसी तरह गुड़ के औषधीय गुणों से आप परिचित हैं। सर्दी में यह शरीर को गरम रखने, गले और छाती में जमा कफ और गंदगी को साफ करने में मददगार होता है। इसके अलावा लौहतत्त्व की कमी को भी पूरा करता है। तो, मूंगफली, तिल और गुड़ से लड्डू बनाएं और इस मौसम में खाएं, तो यह स्वाद और सेहत की दृष्टि से बहुत उत्तम होगा।
मूंगफली और तिल-गुड़ का लड््डू बनाना बहुत आसान है। इसमें न तो घी की जरूरत पड़ती है, न दूध या मावे वगैरह की। इसमें सूखे मेवे डालना भी जरूरी नहीं होता। अगर चाहें, तो कुछ काजू, बादाम के टुकड़े और कुछ किशमिश डाल सकते हैं। न भी डालें, तो कोई हर्ज नहीं। मूंगफली, तिल और गुड़ का लड््डू बनाना बहुत आसान है। इसके लिए मूंगफली, तिल और गुड़ की मात्रा बराबर-बराबर रखें। जैसे एक कप मूंगफली लें तो इतनी ही मात्रा में गुड़ और तिल भी लें। लड्डू बनाने के लिए सफेद तिल का ही इस्तेमाल करें।
एक पैन या तवा गरम करें और उस पर धीमी आंच पर पहले मूंगफली को सेंक लें। उलटते-पलटते रहें। जब मूंगफली सिंक कर चिटकने न लगे, तब तक सेंकें। फिर इन्हें ठंडा होने के लिए रख दें। इसी तरह तिल को हल्की आंच पर पलटते हुए गुलाबी रंगत आने तक सेंकें और फिर ठंडा होने के लिए अलग रख दें।
गुड़ को तोड़ कर छोटे टुकड़े कर लें या चाकू से पतला-पतला कतर लें। सबसे बेहतर होगा कि कद्दूकस कर लें।
अब मूंगफली को एक कपड़े में रख कर मसलें और छिलका उतार लें। फिर मिक्सर में डाल कर पीस लें। इसे अलग बर्तन में निकाल लें। इसी जार में तिल और गुड़ को एक साथ डालें और पीसें। इसे बहुत बारीक पीसने की जरूरत नहीं होती। इस तरह पीसें कि तिल दरदरा बना रहे। इसे निकाल कर पिसी हुई मूंगफली के साथ मिलाएं। अब अगर चाहें तो इसी में मेवे डाल दें। सारी चीजों को अच्छी तरह मिलाने के बाद हाथ में घी लगा कर लड््डू बनाते जाएं। यों तिल और मूंगफली खुद इतना तेल छोड़ते हैं कि हाथ पर बार-बार घी लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मनचाहे लड््डू बनाते जाएं।
इसे घर में खाएं, मेहमानों को खिलाएं और दान में भी दें।
मसालेदार खिचड़ी
क्रांति के दिन चूंकि पूरे दिन मीठे व्यंजन खाने से मुंह मीठा-मीठा बना रहता है, इसलिए कुछ इलाकों में रात को मसालेदार, चटपटी खिचड़ी बनती है। कुछ इलाकों में सुबह ही खिचड़ी बनती है और प्रसाद के रूप में भी बांटी जाती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में संक्रांति के दिन सुबह चिड़वा-दही खाने की परंपरा है और रात को खिचड़ी। दक्षिण भारत में प्रसाद के रूप में खिचड़ी बनती है, उसका सामूहिक भोज होता है।
सर्दी के मौसम में मसालेदार खिचड़ी का स्वाद बढ़ जाता है। खिचड़ी कई तरह की बनती है, जैसे साबूदाने की, बाजरे की, दलिया, चावल आदि की। मगर संक्रांति के दिन नए चावल की खिचड़ी खाने की परंपरा है। खिचड़ी बनाने के लिए पहले एक कटोरी चावल और एक कटोरी के बराबर समान मात्रा में छिलके वाली मूंग, चना और अरहर की दाल को मिला कर भिगो दें। कम से कम आधा घंटा भिगोए रखें। यह मात्रा चार लोगों के खाने के लिए पर्याप्त है।
अब इसमें डालने के लिए कुछ सब्जियां लें। थोड़ी फूल गोभी, थोड़े हरी मटर के दाने, थोड़ी हरी बीन्स और एक गाजर छोटा-छोटा काट लें।
एक कुकर में दो-तीन चम्मच घी गरम करें। उसमें जीरा, एक टुकड़ा दालचीनी, एक तेजपत्ता और आठ-दस साबुत काली मिर्च का तड़का दें। इस खिचड़ी में काली मिर्च का स्वाद बहुत अच्छा लगता है, इसलिए यह जरूर डालें। अब इसमें सब्जियों को छौंक दें। सब्जियों को ठीक से चलाएं और इसमें हल्दी, चुटकी भर हींग, एक से डेढ़ चम्मच सब्जी मसाला और जरूरत भर नमक डालें और ठीक से मिला लें।
अब इसमें भिगोए हुए चावल-दाल डालें और चार से पांच गिलास पानी डाल कर ढक्कन लगा दें। आंच मध्यम कर दें और दो सीटी आने तक पकाएं। खिचड़ी पतली ही खाने में अच्छी लगती है, इसलिए पानी की मात्रा का ध्यान रखें। जब भाप निकल जाए, तो खिचड़ी में ऊपर से हरा धनिया पत्ता, अदरक के लच्छे और एक बारीक कटी हरी मिर्च डाल कर गरमा-गरम परोसें।
