अगर बगैर काम-काज के
संसद चल रही है
तो राज्य की
अन्य संस्थाएं भी
इतनी ही नाकामी से
चल रही होंगी
कम-से-कम इस मानी में
संसद सिर्फ अपना नहीं
लोकतंत्र के दूसरे
खंभों का भी
हाल कहती है
आशय
जब भी कोई अभियुक्त कहता है-
उसे देश के कानून में
पूरी आस्था है
तो वह दरअसल
कहना चाहता है
कि उसे पक्का यकीन है
कि अभियोग से छूटने में
कानून उसकी मदद करेगा
ईश्वर
जहां जितना भय
वहां उतना ईश्वर
विपत्ति
सौंदर्य के अभाव के लिए
कोशिश नहीं करनी पड़ती
वह एक विपत्ति है
अधिक अपनी
कल छुट्टी का दिन है
इसलिए रात अधिक अपनी लग रही
मुक्ति ही जीवन को और प्रिय बनाती है