प्रकाश मनु

मैं नवजीवन की हलचल हूं

मैं कलियों जैसा चंचल हूं

मैं रंग-बिरंगे बादल सा
मैं हूं धरती के आंचल सा

मैं नन्ही का नन्हा बस्ता
मैं छुटकी का हूं गुलदस्ता
मैं आंगन की हंसती क्यारी
मैं मन की मीठी फुलवारी

सब कहते ऋतुओं का राजा
सिर पर फूलों का मुकुट सजा
आओ, मेरे संग गाओ तो
हंस दो थोड़ा मुसकाओ तो
मैं हूं वसंत मैं हूं वसंत!

पेड़ों के संग-संग गाता हूं
फूलों के संग मुसकाता हूं
नदियों की कल-कल के संग ही
मैं अपनी तान मिलाता हूं
मैं घोल रहा हूं चुपके से
मौसम में एक मीठी उमंग
मेरे स्वागत में धरती ने
बिखराए इंद्रधनुष के रंग

मैं चपल हवा की खिड़की से
हौले-हौले हूं झांक रहा
अनगिनत चित्र प्यारे-प्यारे
फूलों-पत्तों में आंक रहा

जब रंगों की चादर ओढ़े
मैं हंसता हूं खिल-खिल करके
यह हवा सुरीली हंस पड़ती
मेरे संग ही हिल-मिल करके

मैं पास तुम्हारे आया हूं
चुस्ती-फुर्ती का राज लिए
गाओ, गाओ, मिलकर गाओ
मन का मोहक अंदाज लिए।

गीतों की सरगम छलकाओ
मैं खड़ा अनूठा साज लिए
देखो, मुझको पहचानो तो
मैं हूं वसंत मैं हूं वसंत!

धरती पर आया है वसंत

गेंदे के हंसते फूलों सा
धरती पर आया है वसंत
छुटकी के सुंदर झूलों सा
धरती पर आया है वसंत
मम्मी की पीली साड़ी सा
धरती पर आया है वसंत
पप्पूजी की किलकारी सा
धरती पर आया है वसंत
तितली की चंचल बातों सा
धरती पर आया है वसंत
मीठे दिन मीठी रातों सा
धरती पर आया है वसंत
लेकर के चिट्ठी फूलों की
धरती पर आया है वसंत
चिट्ठी में मिट्ठी फूलों की
धरती पर लाया है वसंत
आया वसंत तो मस्ती में
हर डाली-डाली झूम रही
फूलों की खुशबू मतवाली
है डगर-डगर पर घूम रही
आया वसंत तो धरती का
सब रूप-रंग ही बदल गया
सरसों के पीले फूल हंसे
लो पत्ता-पत्ता मचल गया
वेणी में सुंदर फूल सजा
धरती हौले से मुसकाई
चंचल तितली उड़ते-उड़ते
बैठी गुलाब पर इतराई।
आया वसंत कह चली हवा
गालों को चुपके सहलाती
कुछ किस्से नए सुनोगे क्या
हंस करके शायद कह जाती
आया वसंत फूलों-पत्तों
में लिखता मधुर कहानी सी
है नई बात कुछ नई बात
लेकिन फिर भी पहचानी सी
फहराता खुशबू का आंचल
धरती पर आया है वसंत
महकाता जीवन को पल-पल
धरती पर आया है वसंत
पत्तों में छिप कोयल बोली
धरती पर आया है वसंत
किसने मन में मिसरी घोली
धरती पर आया है वसंत!