इस संसार में कुछ स्थान ऐसे भी हैं, जहां जीव-जंतुओं के स्मारक भी बने हुए हैं। ये स्मारक अपने आप में बड़े अनोखे हैं।राजस्थान के झालरा पाटन शहर में एक जैन मंदिर के परिसर में हाथी के दो स्मारक बने हुए हैं। कहते हैं इन दोनों हाथियों ने अपनी सूझ-बूझ से सत्ताईस डूबते आदमियों को बचाया था। जब इन दोनों हाथियों की मृत्यु हुई तो नगरवासियों ने इनकी याद में मंदिर परिसर में इनके स्मारक बना दिए।
सुप्रसिद्ध सेंट बर्नार्ड ने अपने प्यारे कुत्ते की याद में एक शानदार मीनार बनवाई थी। यह मीनार अमेरिका में ‘टेल्स टावर’ के नाम से चर्चित है। वेस्ट मोरलैंड के बीक नामक गांव में 1844 में ततैयों ने भयंकर आक्रमण कर दिया, जिससे बहुत बर्बादी हुई। इस घटना की याद में वहां एक स्मृति स्तंभ बनाया गया था, जहां आज भी प्रतिवर्ष मेला लगता है और हजारों लोग उसमें शामिल होते हैं। मेला समाप्त हो जाने पर वहां ततैया के सर्वनाश के लिए लोग सामूहिक अभियान करते हैं।
क्वींस लैंड के घूनर्गा शहर में एक तिमंजिला मेमोरियल हाल है, जिसे एक कनखजूरे की स्मृति में स्थापित किया गया है। बिल्कुल इसी तरह एक बिच्छू का स्मारक कोरिया के ओटर्न नामक स्थान पर बना हुआ है। दरअसल इस बिच्छू ने एक डाकू को डंस लिया था, जिससे उसकी मृत्यु हो गई थी। लोगों को जब डाकू के आतंक से छुटकारा मिला तो उन्होंने बिच्छू का एक स्मारक बना दिया।
रोम के प्रसिद्ध कवि वर्जिल के घर एक मक्खी थी, जो उन्हें बड़ी प्यारी लगती थी। वह मक्खी उनसे बहुत हिल-मिल गई थी। उसके मरने के बाद कवि ने पांच हजार पौंड खर्च करके बड़ी धूमधाम से मक्खी का जनाजा निकाला और शोक मनाने के लिए अपने सभी अजीजों को आक्टेवियन में इकट्ठा किया। इस मक्खी के कफन को सोने से मढ़ा गया था और उसकी आत्मा की शांति के लिए सात सौर पादरियों से कब्र पर प्रार्थना करवाई गई थी।
एक बार रोम की टाइवर नदी में भयंकर बाढ़ आई थी, तब एक मुर्गे ने बांग देकर सब लोगों को जगा दिया था, जिससे लोग सुरक्षित स्थान पर पहुंच गए। उन लोगों ने उस मुर्गे की मृत्यु के बाद उसकी स्मृति में एक पुल टाइवर नदी पर बनवाया था, जो आज भी सुरक्षित है। डेढ़-दो दशक पूर्व यूगोस्लाविया के एक किसान का जवान काला बकरा मर गया था। तब किसान ने उसकी शवयात्रा बड़ी धूमधाम से निकाली और अपने प्यारे बकरे के लिए उसने लाल संगमरमर की एक सुंदर कब्र बनवाई। यहां कब्र के पास ही एक पत्थर पर बकरे की गाथा भी लिखी हुई है।