सुबह का कलेवा मन का मिल जाए, तो न सिर्फ ठीक से खाया जाता है, बल्कि दिन भर ऊर्जा और ताजगी बनी रहती है। बहुत सारे लोग चटपटा खाना पसंद करते हैं, तो कुछ लोग सादा और सुपाच्य। आपका शरीर जिस भोजन को सहजता से पचा सके, वही खाना चाहिए। वैसे ज्यादा गरिष्ठ खाने से बचें, तो अच्छा है। बहुत सारे लोग बाजार का नाश्ता जैसे कचौड़ी, छोले-भटूरे वगैरह पसंद करते हैं। उससे बेहतर है कि घर पर कुछ कम तेल-घी के इस्तेमाल से बनाएं, तो वह स्वाद और सेहत दोनों की दृष्टि से बेहतर होगा।
बेसन भरा परांठा
परांठे तो तरह-तरह की चीजें भर कर बनाए जाते हैं। चने की दाल भर कर बने परांठे तो आपने खाए होंगे, पर बेसन भरा परांठा कम लोगों ने खाए होंगे। यह राजस्थान के मारवाड़ी समाज में खूब चलन में है। इस परांठे की खूबी यह है कि इसे कई दिन तक रखा जा सकता है और खराब नहीं होता। इसलिए यात्रा वगैरह में लेकर चलने के लिए यह परांठा अक्सर बनाया जाता है। वैसे नाश्ते के रूप में यह परांठा बहुत स्वादिष्ट, चटपटा और सुपाच्य होता है। राजस्थान में इसे बेसन की पूरी भी कहते हैं।
बेसन भरा परांठा बनाना बहुत आसान है। यह सामान्य परांठे से थोड़ा ही अलग तरीके से बनाया जाता है। इसमें सबसे कुशलता वाला काम है इसका मसाला तैयार करना। सो, इसके लिए एक कप बेसन लें। उसमें चुटकी भर हींग, आधा चम्मच चममच हल्दी और जरूरत भर का नमक डालें। अब एक चम्मच अजवाइन, आधा चम्मच साबुत सौंफ, एक चम्मच साबुत धनिया को दरदरा कूट कर डालें। इसके साथ ही एक से डेढ़ चम्मच कुटी लाल मिर्च और एक चम्मच कसूरी मेथी को हथेली पर रगड़ कर डालें।
फिर एक कटोरी या तड़का पैन में एक से डेढ़ चम्मच खाने का तेल गरम करें। तेल की मात्रा आप अपने अनुसार रखें। इसमें यह ध्यान रखें कि तेल की मात्रा इतनी हो कि उससे बेसन का ठीक से पेस्ट बनाया जा सके। जब तेल ठीक से गरम हो जाए, तो मसाला मिले बेसन में डालें और चम्मच से मिलाते हुए पेस्ट बना लें। ध्यान रखें कि पेस्ट बहुत पतला न हो और न बहुत गाढ़ा हो। ऐसा हो कि उसे रोटी पर ठीक से फैलाया जा सके। अब आटे की रोटी बैलें। उस पर बेसन का पेस्ट ठीक से फैलाएं और रोटी को गोल-गोल लपेटते हुए बेलनाकार बना लें। फिर इसे एक सिरे से पकड़ कर चकरी की तरह बना लें, जैसे लच्छा परांठा बनाने के लिए लपेटते हैं।
फिर दोनों तरफ सूखा आटा लगाते हुए चकरी को सावधानी से हल्के हाथों से बेल कर मनचाहा आकार दें। चाहें तो इसे गोल रोटी की तरह बेल सकते हैं और चाहें तो चौकोर भी बना सकते हैं।
फिर तवा गरम करें और उस पर परांठे को डाल कर तेल या घी लगाते हुए पलट-पलट कर दोनों तरफ से सेंक लें। परांछा सेंकते समय आंच को मध्यम ही रखें। तेज आंच पर परांठे जलने लगते हैं और खाने का स्वाद बिगाड़ देते हैं। इसलिए पलटते हुए सुनहरा होने तक दोनों तरफ से सेंकना चाहिए।
इस बेसन भरे परांठे को आलू-टमाटर की तरी वाली सब्जी या फिर अचार या चटनी, रायते, जिससे भी खाना चाहें, खाएं। ठंडा होने के बाद भी इसका स्वाद मजेदार रहता है। इसलिए नाश्ते के अलावा इसका उपयोग दोपहर के खाने, रात के खाने या फिर बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए टिफिन में भी कर सकते हैं।
खिला खिला उपमा
सूजी की खासियत यह है कि जिन लोगों को मधुमेह आदि की शिकायत है, डॉक्टरों ने उन्हें चावल खाने से मना किया हुआ है, वे भी इसे खा सकते हैं, क्योंकि यह गेहूं से बनती है। उपमा भी सूजी से बनता है। यों उपमा बनाने की सामग्री बाजार में पैकेट में भी मिलने लगी है, पर लंबे समय से पैकेट में बंद होने की वजह से कई बार उस सामग्री के खराब होने की आशंका रहती है। इसलिए घर पर ताजा उपमा बनाएं। कई लोगों को लगता है कि घर पर बना उपमा बाजार की तरह खिला-खिला नहीं होता। उसमें वैसा स्वाद नहीं आ पाता, जैसा रेस्तरां या दुकानों पर मिलने वाले उपमा में आता है। मगर ऐसा बिल्कुल नहीं। घर पर भी बाजार से बेहतर और स्वादिष्ट, खिला-खिला उपमा बनाया जा सकता है।
इसके लिए पहले एक कड़ाही में एक से डेढ़ चम्मच तेल गरम करें और फिर एक कप मोटी सूजी डाल कर भूनें। आंच मध्यम ही रखें। सूजी को चलाते रहें, ताकि उसके सभी दाने बराबर सिंकें और जलने न पाएं। जब सूजी रंग बदलने लगे यानी बादामी रंग की होने लगे, तो आंच बंद कर दें सूजी को ठंडा होने के लिए रख दें। अब इसमें डालने के लिए कुछ सब्जियां काटें। जो भी सब्जी उपलब्ध हो उसे लें। वैसे उपमा में हरी मटर, बीन्स, गाजर, गोभी, ब्रोकली, प्याज वगैरह डाली जाती है। टमाटर का उपयोग न करें, वह पानी अधिक छोड़ता है और पोहा को गीला करेगा। सभी सब्जियों को धोकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
एक कड़ाही में एक चम्मच तेल तड़का के लिए गरम करें। उसमें राई, जीरा और कड़ी पत्ते का तड़का दें। इसके साथ ही एक चम्मच धुली मूंग और एक चम्मच चने की दाल भी डालें। इसके साथ कुछ काजू के टुकड़े या छिलके उतरे मूंगफली के दाने डाल दें। सारी चीजों को भुन जाने दें। फिर सब्जियां डालें और उन्हें चलाते हुए पांच से सात मिनट तक पकाएं। फिर जितना सूजी ली है, उससे दोगुनी मात्रा में पानी डाल दें और उबाल आने तक पकाएं। अब इसमें जरूरत भर का नमक डालें और ऊपर से भुनी हुई सूजी डालें।
सूजी को चम्मच से चलाते रहें, ताकि गांठें न पड़ें। जब सूजी ठीक से पानी में मिल जाए, तो आंच को मद्धिम कर दें और कड़ाही पर ढक्कन लगा कर पांच मिनट तक पकने दें। जब सूजी पूरा पानी सोख ले और उसके दाने खिल उठें तो आंच बंद कर दें। कुछ देर तक कड़ाही पर ढक्कन लगा कर रखें। फिर चम्मच से उपमा को चला कर सारी चीजों को मिला लें। खिला-खिला, मुंह में घुल जाने वाला उपमा तैयार है।
