मानस मनोहर
सूजी के मेदू वड़े
मेदू वड़ा महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में खाया जाने वाला लोकप्रिय नाश्ता है। यह मुख्य रूप से उड़द की दाल से बनता है। इसके लिए पहले उड़द की दाल को रात भर भिगोना पड़ता है, फिर उसे पीस कर मसाले वगैरह मिला कर उसके वड़े बनाए जाते हैं। यह वड़ा नारियल की चटनी और सांभर के साथ खाया जाता है। कुछ लोग इसे दही के साथ भी खाना पसंद करते हैं। पर इस तरह मेदू वड़ा बनाना खासा झंझट का काम है, इसलिए प्राय: लोग आलस्य कर जाते हैं। मगर सूजी से मेदू वड़ा बनाना बहुत आसान होता है। यह स्वाद में किसी भी तरह उड़द दाल के वड़े से कम नहीं होता। फिर इसका एक फायदा और है। उड़द की वादी होती है, गैस बनाती है। अगर उड़द की दाल को दही के साथ खाते हैं, तो वह विरुद्ध आहार है। पेट में परेशानी पैदा करता है। इसलिए सूजी के मेदू वड़े स्वास्थ्य की दृष्टि से भी उपयुक्त नाश्ता है। इसे ठंडा होने के बाद भी खाया जा सकता है।
मेदू वड़े बनाने के लिए दो कप सूजी लें। उसमें एक कप दही मिलाएं। ऊपर से स्वाद के मुताबिक बारीक कटी हरी मिर्चें, अदरक और हरे धनिया की पत्तियां डालें। इसमें कढ़ी पत्ते का स्वाद बहुत अच्छा होता है, इसलिए भरपूर मात्रा में कढ़ी पत्ता बारीक काट कर डालें। जरूरत भर का नमक डालें और सारी चीजों को मिलाएं। अगर सूजी में दही की मात्रा पर्याप्त नहीं लग रही, तो थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए सारी चीजों को मिलाएं। ध्यान रहे कि घोल पतला नहीं होना चाहिए। चूंकि इससे वड़े बनाने हैं, इसलिए घोल ऐसा रखें, जो हाथ पर टिक सके। सख्त भी नहीं होना चाहिए। इसे पांच से दस मिनट तक ढंक कर रख दें। तब तक एक कड़ाही में वड़े तलने के लिए तेल गरम करें। जब तेल ठीक से गरम हो जाए तो आंच मध्यम कर दें। आंच तेज रहेगी, तो वड़े जल्दी गहरे रंग के हो जाएंगे और अंदर से पकेंगे भी नहीं।
अब हाथों में पानी लगाएं और मुट्ठी से गोल करते हुए मेदू वड़े को आकार दें। एक अंगुली से बीच में छेद बनाएं और वड़ों को तेल में डालते जाएं। सुनहरा होने तक तलें। आंच को मध्यम ही रखें। आप देखेंगे कि वड़े ऊपर से सख्त और कुरकुरे हो गए हैं और भीतर से पक कर नरम और मुलायम हैं। इन्हें नारियल की चटनी और सांभर के साथ परोसें या चाहें तो अपनी मनपसंद किसी भी चटनी से खाएं। इसके साथ भुने प्याज और टमाटर की चटनी भी बहुत अच्छी लगती है।
मुंबई का वड़ा-पाव
महाराष्ट्र में वड़ा-पाव बहुत लोकप्रिय नाश्ता है। हल्की-फुल्की भूख हो, तो इसे किसी भी वक्त खाया जा सकता है। पाव के साथ खाया जाने वाला वड़ा आलू से बनता है। इसे थोड़ा तीखा और चटपटा रखा जाता है। पाव के साथ खाने वाला वड़ा बनाने के लिए पहले आलुओं को उबाल लें। इन्हें ठीक से मसल कर एक सार कर लें। इसमें लहसुन और अदरक का स्वाद अच्छा लगता है, इसलिए लहसुन और अदरक कूट लें। आलू की मात्रा के मुताबिक इसकी मात्रा रखें। जैसे एक कप मसले हुए आलू हैं, तो एक चम्मच अदरक-लहसुन का पेस्ट पर्याप्त रहता है। इसमें कढ़ी पत्ते का स्वाद भी बहुत अच्छा लगता है। इसलिए पर्याप्त मात्रा में कढ़ी पत्ता काट कर रख लें।
अब एक कड़ाही में एक-दो चम्मच तेल गरम करें। उसमें हींग, जीरा और अजवाइन का तड़का लगाएं। उसी में अदरक-लहसुन का पेस्ट और कड़े हुए कढ़ी पत्ते डालें। फिर आधा चम्मच कुटी लाल मिर्च, एक से डेढ़ चम्मच गरम मसाला डालें और फिर मसले हुए आलुओं को डालें और धीमी आंच पर चलाते हुए मिलाएं। स्वाद के अनुसार नमक डालें और सारी चीजों को तब तक भूनें, जब तक कि मसाला पूरी तरह आलुओं में मिल न जाए। इसे ठंडा होने के लिए रख दें।
वड़े बनाने के लिए बेसन का घोल तैयार करना भी कौशल की मांग करता है। एक बड़े कटोरे में एक कप बेसन लें। उसमें चुटकी भर हींग, आधा चम्मच कुटी लाल मिर्च, स्वाद के अनुसार नमक, चौथाई चम्मच हल्दी और आधा चम्मच अजवाइन के दाने डाल कर थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए एक ही दिशा में चलाते हुए फेंटें। घोल ऐसा गाढ़ा होना चाहिए कि वह आलू की पिट्ठी पर चढ़ सके, इसलिए इसे पतला न होने दें। इसे जितना फेटेंगे, उतना ही नरम और गाढ़ा होता जाएगा।
अब आलू की पिट्ठी को मनचाहे आकार में गोल-गोल बना लें। एक कड़ाही में तेल गरम करें और आंच मध्यम रखें। आलू की गोलियों को बेसन में डुबोते जाएं और तेल में डालते जाएं। जब तक वड़े पक कर सुनहरे रंग के न हो जाएं, तब तक तलें। बाजार में पाव आसानी से मिल जाते हैं। पाव के बीच में चीरा लगाएं और उसकी निचले हिस्से पर सॉस या चटनी लगाएं और उस पर वड़ा रख कर खाएं। चाहें, तो इसके साथ तली हुई हरी मिर्च भी रख सकते हैं।
