स्कूल से लौटी ईशू ने जैसे ही घंटी की तरफ हाथ बढ़ाया, उसकी नजर ताले पर गई। ‘उफ, मां फिर आज नहीं हैं।’ वह भनभना कर बोली। फिर अचानक खुश हो गई। ‘आज तो मन भरके टीवी देखूंगी।’ और वह जाकर बगल वाली आंटी से चाबी ले आई। ताला खोल कर जल्दी से कपड़े बदले और डाइनिंग टेबल पर खाना देखा। दाल और चावल रखे हुए थे। यह पीली दाल उसे बहुत पसंद है।
‘मगर मां गई कहां हैं?’ ईशू ने सोचा, पर वह कुछ सोच नहीं पाई। उसने देखा, मां का लैपटॉप और फोन भी घर पर है। यह देख कर ईशू को लगा कि शायद मां आसपास गई होंगी। लैपटॉप देख कर ईशू खुश हो गई। मां जब देखो तब लैपटॉप पर अपना काम करती रहती हैं, और उसे नहीं देतीं। ईशू मन ही मन सोच रही थी कि आज वह जी-भर कर लैपटॉप पर वीडियो देखेगी। उसने जल्दी-जल्दी खाना खत्म किया और लैपटॉप की तरफ बढ़ी। काला चमकीला लैपटॉप, जिसमें न जाने कितने सारे वीडियो थे और दुनिया भर की जानकारियां। सारी सहेलियां अपने पापा के लैपटॉप की बातें करती हैं, मगर एक उसी की मां है जो अपना लैपटॉप छूने नहीं देतीं। न जाने क्यों। कल रात भी मां से उसका काफी झगड़ा हुआ था। हालांकि मां ने उसे हर जरूरी चीज देखने दी थी। तभी तो उसने नेट से अपने सारे जरूरी सवाल हल कर लिए थे, मगर उसके बाद जैसे ही वह कार्टून देखने बैठी, मां धम से धमक आर्इं और लैपटॉप ले लिया। मां ने उसके लिए समय तय कर रखा है। उसकी आंखों में आंसू आ गए। मां की आंखों में भी कल आंसू आ गए थे, जब उसने मां से कहा था, ‘सबके पापा देते हैं लैपटॉप अपने बच्चों को, मेरे भी पापा होते तो मुझे देते, आप नहीं देतीं।’ ईशू रोती हुई अपने कमरे में चली गई थी और मां की तरफ ध्यान नहीं दिया। पापा की फोटो लेकर रोती रही थी वह। पापा को उसने देखा ही नहीं था। वह मां के साथ अकेली रहती थी। मां उसकी छोटी से छोटी इच्छा पूरी करती हैं। उसकी सहेलियों से अच्छी फ्रॉक लाती हैं, ड्रेस लाती हैं। जब वह कहती है तब पिज्जा और मोमोज भी लाती हैं।
एक रात पहले मां के लिए मन में भरा हुआ गुस्सा अब मां के इंतजार में धीरे-धीरे प्यार में बदल गया। ईशू ने लैपटॉप आॅन किया। गूगल पर गई, यू-ट्यूब खोला। अपना कार्टून लगाया, मगर उसका मन नहीं लगा। अब तक ऐसा नहीं हुआ था कि मां इतनी देर तक बाहर रही हों। मां घर से ही काम किया करती थीं। मां को नौकरी तो मिल सकती थी, मगर उन्होंने उसके लिए नौकरी नहीं की कि उसकी देखभाल कैसे होगी। ईशू को स्कूल से आए दो घंटे हो गए थे और अब उसका जी यू-ट्यूब से उब चुका था। उसकी आंखें बार-बार दरवाजे की तरफ जाती थीं। मां अब तक क्यों नहीं आर्इं? कहीं उन्हें कुछ हो तो नहीं गया? कहीं कोई दुर्घटना तो नहीं हो गई! धीरे-धीरे समय बीतता जा रहा था और ईशू को मां का पता नहीं लग पा रहा था। ईशू को मां के साथ झगड़े की सारी बातें याद आ रही थीं कि कैसे वह लड़ती है छोटी-छोटी बातों पर। उसकी सहेलियां उसकी चीजों की तारीफ करती हैं, और कहती हैं कि उनके पापा भी नहीं ला पाते ऐसी चीजें। उसकी मां कितनी प्यारी हैं और वह है कि बस जिद करती रहती है। कभी नई ड्रेस की जिद, तो कभी…। अगर मां न होती तो? घड़ी में छह बजने को थे और अंधेरा होने लगा था। ईशू का मन अब लैपटॉप में नहीं लग रहा था। अब उसे डर लगने लगा था। कहीं मां भी पापा के पास तो नहीं चली गर्इं। क्या वह मां को भी खो देगी? वह डरते-डरते रोने लगी। वह दौड़ कर अंदर वाले कमरे में भागी। मां वहीं पूजा करती थीं। वह जोर-जोर से भगवान के सामने बोलने लगी, ‘प्लीज गॉड, मेरी ममा को भेज दीजिए। अब मैं कभी जिद नहीं करूंगी। मुझे लैपटॉप में कुछ नहीं देखना। मुझे बस मेरी ममा चाहिए।’
वह जोर-जोर से रो रही थी। रोते-रोते उसकी आंखें लाल हो गई थीं। तब तक साढ़े छह बज गए थे। वह दरवाजे पर ही बैठ गई थी। तभी उसे अचानक से अपने बालों में किसी का हाथ महसूस हुआ। उसने देखा, उसकी मां सामने खड़ी हैं और उनके हाथों में एक काले रंग की कोई चमकीली चीज है। एकदम लैपटॉप जैसी। मां बहुत थकी लग रही थीं। ‘बाहर क्यों बैठी हो ईशू। मच्छर नहीं काटेंगे क्या?’ वह डांटते हुए बोलीं। आज ईशू को अपनी मां की डांट बहुत प्यारी लग रही थी। उसने रोते-रोते पूछा, ‘आप आ गर्इं, मुझे लगा कि कल की बात से आप इतना गुस्सा हुर्इं कि…’
‘… कि मैं घर छोड़ कर चली गई?’ मां हंसने लगीं। ईशू उनसे लिपट गई- ‘हां।’
‘नहीं मेरी बच्ची, तुम्हारे लिए पढ़ाई वाला टैबलेट लेने गई थी।’ ईशू मां से लिपट गई, ‘मुझे बस आप चाहिए और आपके अलावा कुछ नहीं।’ उसने लैपटॉप से आंखें फेर कर मां को और कस कर जकड़ लिया।

