मानस मनोहर

ढोकला
आजकल चर्बी और कैलोरी को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। इसलिए वे भोजन में कम से कम तेल, घी का इस्तेमाल करते हैं। जो लोग शारीरिक श्रम कम करते हैं, सुबह-शाम का टहलना, योग या व्यायाम नहीं कर पाते, उनके कम घी-तेल वाली चीजें खाना उचित भी है। मगर शरीर को उचित पोषण मिलता रहे, इसका भी ध्यान रखना उतना ही जरूरी है। ऐसे में कुछ ऐसे व्यंजन खाए जा सकते हैं, जिन्हें पकाने में तेल-घी का कम से कम उपयोग होता हो और वे खाने में स्वादिष्ट और पोषण से भरपूर हों, पाचन तंत्र को सुचारु बनाए रखें। पेश हैं कुछ ऐसे ही व्यंजन। ढोकला गुजरात का लोकप्रिय व्यंजन है। इसे पकाने में नाममात्र का तेल इस्तेमाल होता है। इसे चूंकि भाप में पकाया जाता है और मसालों का उपयोग बिल्कुल नहीं होता, इसलिए यह सुपाच्य भी होता है। यूं तो ढोकला कई तरह से बनाया जाता है, मसलन दाल को पीस कर, सूजी से और चने के बेसन से। ढोकला एक तरह से मिठाई और नमकीन दोनों की श्रेणी में आता है। ढोकला बनाना बहुत आसान है। इसे घर में बिना किसी झंझट के बनाया जा सकता है। ढोकला बनाने के लिए दो कप बेसन, चुटकी भर हल्दी, एक चम्मच नमक, दो चम्मच चीनी, एक चम्मच ईनो पाउडर, एक चम्मच छोटे दाने की राई, थोड़ा-सा कटा हुआ हरा धनिया और कुछ हरी मिर्चों की जरूरत पड़ती है। इसके लिए स्टीमर, इडली पकाने वाले कुकर या रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले बड़े कुकर की जरूरत होती है, जिसमें रख कर ढोकले को भाप में पकाया जा सके।

ढोकला बनाने के लिए सबसे पहले एक बड़े कटोरे में बेसन लें। उसमें हल्दी पाउडर और नमक मिला दें। फिर थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए सावधानी से फेंटें। ध्यान रखें कि बेसन में गांठ न रहने पाए। बेसन का घोल न तो बहुत पतला हो और न बहुत मोटा। जैसा पकौड़े के लिए बेसन घोलते हैं, उसकी एक बूंद पानी में डाल कर देखें, अगर वह तैरने लगता है, तो बेसन का घोल सही बना है। अब बेसन में ईनो पाउडर डाल कर ठीक से मिला दें। ईनो मिलाने के बाद घोल को ज्यादा फेंटना नहीं चाहिए। इससे बेसन में बनने वाले बुलबुले निकल आएंगे और ढोकला नरम नहीं बनेगा। ईनो मिलाने के बाद बेसन के घोल को अधिक समय तक न छोड़ें, तुरंत पकने के लिए रख दें अब कुकर में रखी जा सकने वाली एक थाली लें। उसमें हल्का तेल लगाएं और बेसन का घोल डाल दें।कुकर में पानी गरम करें। पानी इतना ही लें, जिससे कि थाली की पेंदी भर छुए, डूबे नहीं। इसके लिए जरूरी है कि थाली रखने से पहले कुकर में नीचे कटोरी या कोई ऐसी चीज रखें, जिससे थाली की पेंदी पानी से ऊपर रहे। अगर रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले कुकर में ढोकला बना रहे हैं, तो उसकी सीटी निकाल दें। इस तरह दस से पंद्रह मिनट तक धीमी आंच पर पकने दें। ढोकला पका कि नहीं, इसे जांचने के लिए उसमें चाकू धंसा कर देखें। अगर वह साफ बाहर निकल आता है, तो ढोकला पक चुका है। ढोकले को कुकर से बाहर निकालें। उसे टुकड़ों में काटें और किसी दूसरे बर्तन में रख दें। अब एक कड़ाही में आधा चम्मच तेल गरम करें। उसमें राई का तड़का लगाएं। उसी के साथ हरी मिर्च को बीच से फाड़ कर डाल दें। उन्हें थोड़ा-सा तल लें। उसमें दो चम्मच चीनी डालें और दो गिलास पानी डाल कर उबाल लें। इस तड़के वाले पानी को ढोकले के टुकड़ों पर डाल दें। ऊपर से बारीक कटे धनिया पत्ते को सजा दें। स्वादिष्ट, सुपाच्य और पोषणयुक्त ढोकला तैयार है। यह सर्वोत्तम नाश्ता है।

छोले कुल्चे

कुल्चे आजकल हर जगह मिल जाते हैं। वैसे घर में भी आटे में खमीर डाल कर रोटी की तरह तवे पर पका कर ताजा कुल्चे बनाए जा सकते हैं, लेकिन ढाबों और रेस्तरां में जो कुल्चे बनते हैं, उनमें तेल, घी, मक्खन का उपयोग बहुत होता है। इसलिए बाजार से डबलरोटी की दुकान वाले कुल्चे खरीदना ज्यादा सुविधाजनक है। इसमें अहम हिस्सा है छोले बनाना। कुल्चे के साथ खाया जाने वाला छोला सूखी मटर से बनता है। इसमें सफेद चने का उपयोग न करें। सूखी मटर को रात भर के लिए भिगो दें। सुबह उसे कुकर में तीन से चार सीटी तक उबाल कर उसका पानी निकाल लें।अब एक प्याज, एक टमाटर, आधा खीरा और कुछ हरी मिर्चें बारीक-बारीक काट लें। उबली हुई मटर में इन्हें डालें और ऊपर से नमक, भुना हुआ जीरा पाउडर, चाट मसाला और नींबू का रस डाल कर ठीक से मिलाएं। अगर आपको अधिक चटपटा और खट्टा पसंद हो तो उसमें एक छोटा चम्मच अमचूर और आधा छोटा चम्मच कुटी लाल मिर्च भी डाल लें। अब कटे हुए धनिया पत्ते और अदरक के लच्छे डाल कर फिर से फेंट लें। छोले तैयार हैं। तवे पर कुल्चों को चाहें तो थोड़ा मक्खन लगा कर या फिर बिना मक्खन के गरम करें और छोले के साथ गरमागरम खाएं। बिना तेल-घी का स्वादिष्ट, सुपाच्य, फाइबर से भरपूर नाश्ते का आनंद लें।