मानस मनोहर 

कमल ककड़ी यानी कमल के फूल की जड़। यह देश के लगभग हर हिस्से में सब्जी की दुकानों पर आसानी से मिल जाती है। मगर बहुत सारे लोग इसे खाने से परहेज करते हैं। उन्हें लगता है कि यह गंदे पानी में होता है, इसलिए इसे खाने से पेट की परेशानी बढ़ सकती है। मगर यह गलत धारणा है। कमल ककड़ी में बहुत सारे गुण होते हैं। इसका इस्तेमाल अनेक दवाएं बनाने में होता है। आयुर्वेद में भी अनेक रोगों के इलाज में इसे कारगर बताया गया है। कमल ककड़ी में ढेर सारा फाइबर होता है, जो खून में शर्करा की मात्रा यानी शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है। यह कब्ज से बचाता है और कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है। इसमें ढेर सारा विटामिन सी होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता और संक्रमण से बचाता है। इसको खाने से हड्डियां भी मजबूत बनती हैं। इसमें भारी मात्रा में आयरन, मैगनीशियम, कॉपर, पोटैशियम, जिंक और मैगनीशियम पाया जाता है, जो रेड ब्लड सेल्स बनाने का काम तेजी से करते हैं। इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं और खून बनता है।

जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें कमल ककड़ी का सेवन करना चाहिये। यह कम कैलोरी वाली होती है, जिसमें ढेर सारे पोषक तत्त्व और फाइबर होता है। इसे खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है। कमल ककड़ी के रस में शक्कर या मिश्री मिला कर सेवन करने से पेशाब की रुकावट दूर होती है।  इसके अलावा भी कमल ककड़ी के अनेक औषधीय गुण होते हैं। इतना सब जानने के बाद भी क्या आप इसे खाने से परहेज करेंगे!  ध्यान रखें- कमल ककड़ी को कभी कच्चा न खाएं। पूरी तरह साफ करके और पका कर ही खाएं।  कमल ककड़ी के अनेक व्यंजन बनाए जाते हैं। इनमें सूखी से लेकर रसेदार सब्जी, विभिन्न तरीकों से पकौड़े और अचार भी। आज हम कमल ककड़ी के कोफ्ते बनाएंगे।

कमल ककड़ी के कोफ्ते
कमल ककड़ी के कोफ्ते बनाने के लिए सबसे पहले कमल ककड़ी को नमक मिले गरम पानी से ठीक से धो लें। फिर उसके छोटे टुकड़े करके कुकर में दो-तीन सीटी तक उबाल लें। उसे निथार कर ठंडा होने दें।
अब एक बड़े कटोरे में एक-डेढ़ चम्मच बेसन लें। उसमें पंद्रह-बीस कच्ची मूंगफली के दानों को खरल में दरदरा कूट कर, उसका छिलका अलग कर, मिला लें। (अगर चाहें तो मूंगफली के बजाय हरी मटर के दाने का उपयोग कर सकते हैं। कुछ लोग इसमें उबला हुआ आलू भी मिलाना पसंद करते हैं। अपनी सुविधानुसार इन चीजों का चुनाव कर सकते हैं।) फिर हरी मिर्च, धनिया पत्ता और अदरक के बारीक टुकड़े काट कर मिलाएं। फिर आधा चम्मच लाल मिर्च पाउडर, आधा चम्मच गरम मसाला, आधा चम्मच साबुत अजवाइन, आधा चम्मच सौंफ, आधा चम्मच हल्दी और थोड़ा-सा हींग पाउडर डालें। जरूरत भर का नमक मिला लें। अब इसमें उबली कमल ककड़ी के टुकड़े डालें और हल्का-सा पानी डाल कर कड़ा मिश्रण तैयार करें।
इस मिश्रण से कोफ्ते की छोटी-छोटी गोलियां तैयार कर लीजिए।
कड़ाही में तेल गरम करें और मध्यम आंच पर इन कोफ्तों को सुनहरा होने तक तल लें, जैसे बाकी कोफ्ते बनाते हैं।

ग्रेवी बनाने की विधि
कमल ककड़ी की ग्रेवी बनाने की दो विधियां हो सकती हैं। पहली तो वही जो पारंपरिक तरीके से प्याज, लहसुन और टमाटर को पीस कर बनाते हैं। दूसरी विधि सिर्फ दही की ग्रेवी बनाने की है।
आमतौर पर लोग प्याज, लहसुन टमाटर को मिक्सर में पीस लेते हैं और कड़ाही में खूब सारा तेल डाल कर ग्रेवी तैयार करने के लिए उन्हें भूनते हैं। मगर कम तेल इस्तेमाल करने का एक तरीका यह है कि प्याज, लहसुन और टमाटर को मोटा-मोटा काट लें। कड़ाही में डेढ़ से दो चम्मच तेल डालें। जीरा, राई, सौंफ और बड़ी इलाइची का तड़का लगाएं। तड़का तैयार हो जाए तो उसमें कटे हुए प्याज, लहसुन और टमाटर डाल दें। ऊपर से गरम मसाला, हल्दी और नमक डाल कर कड़ाही को ठीक से ढंक दें। आंच धीमी रखें और उसे करीब पंद्रह मिनट तक पकने दें। ध्यान रखें कि प्याज-टमाटर कड़ाही में चिपकने न पाए। आंच धीमी होगी तो ये चीजें अपने रस में धीरे-धीरे पक जाएंगी। जब सारी चीजें नरम हो जाएं तो गैस बंद कर दें। उन्हें कड़ाही में कुछ देर ढंक कर रखा रहने दें और ठंडा हो जाने के बाद उन्हें मिक्सर में डाल कर पीस लें।
अब एक दूसरी कड़ाही में एक चम्मच देसी घी गरम करें। उसमें जीरे का तड़का लगाएं और पिसी हुई ग्रेवी को धीमी आंच पर थोड़ी देर लगातार चलाते हुए भूनें। जब ग्रेवी घी छोड़ने लगे तो उसमें जरूरत भर का गरम पानी डाल कर गाढ़ा घोल तैयार कर लें और उबाल आने के बाद उसमें कोफ्ते डाल दें। ऊपर से हरा धनिया पत्ता, अदरक और हरी मिर्च के टुकड़े डाल कर परोसें।

दही की ग्रेवी
जो लोग लहसुन-प्याज-टमाटर नहीं खाते उनके लिए दही की ग्रेवी बनाना उचित होगा। इसके लिए दही को महीन कपड़े में बांध कर थोड़ी देर लटका दें, जिससे कि उसका पानी निथर जाए। उस पानी को अलग बर्तन में रखें। अब एक कड़ाही में एक चम्मच देसी घी गरम करें। उसमें जीरा, राई, अजवाइन, हींग पाउडर का तड़का लगाएं। तड़का तैयार हो जाए तो उसमें निथरा हुआ दही मिला दें और लगातार चलाते रहें, ताकि दही फटने न पाए। ध्यान रखें आंच धीमी रहे।  दही का ग्रेवी बनाते समय सौंफ पाउडर अधिक डालें। इसके अलावा अपनी रुचि के मुताबिक गरम या सब्जी मसाला, लाल मिर्च पाउडर और नमक डालें। इस मिश्रण को चलाते हुए तब तक भूनें जब तक कि दही घी न छोड़ने लगे। अब इसमें दही का निथरा हुआ पानी मिला कर घोल को गाढ़ा करें और चलाते हुए उबाल आने दें। उबाल आने के बाद कोफ्ते डालें और हरा धनिया पत्ता, अदरक, हरी मिर्च के टुकड़े डाल कर परोसें। १