एसिडिटी एक आम समस्या है और आज हर तीसरा-चौथा आदमी इससे पीड़ित है। एसिडिटी होने पर हममें से ज्यादातर लोग तुरंत एंटासिड्स दवाओं के शरण में चले जाते हैं और आराम मिलते ही लगता है जैसे सब ठीक हो गया। लेकिन ऐसा होता नहीं और एसिडिटी अगले ही पल वापस आ जाती है। वहीं एक अध्ययन के मुताबिक एसिडिटी के लिए जो दवाएं खाई जाती हैं, उनका किडनी पर गलत असर पड़ता है। इतना ही नहीं इन दवाओं से कैंसर का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक रवींद्र सिंह बताते हैं कि चार से पांच चम्मच धनिया के रस को थोड़ी-सी चीनी के साथ लेने से एसिडिटी में आराम मिलता है। हालांकि यह स्थायी उपचार नहीं है, लेकिन यह उपाय तुरंत राहत जरूर देता है। एसिडिटी को जड़ से खत्म करने के लिए प्रकृति के अनुरूप आहार लेना जरूरी है।
कारण
हमारे पेट के अंदर हाइड्रोक्लोरिक एसिड प्राकृतिक रूप में मौजूद होता है और जब हम अत्यधिक एसिडिक भोजन लेते हैं, तो पेट में प्राकृतिक तौर पर मौजूद एसिड बढ़ जाता है और रासायनिक प्रतिक्रिया के फलस्वरूप रिफ्लक्स आता है या फिर पेट में गैस बनती है। पेट द्वारा उत्पादित एसिड (पित्त) के बार-बार आहार नली में आने की वजह से एसिडिटी की समस्या होती है।
डॉ. रवींद्र सिंह कहते हैं कि भोजन हमारी जीवन समर्थन प्रणाली है। अगर किसी व्यक्ति की प्रकृति कफ और वात की है और उसने कफ और वात को बढ़ाने वाला भोजन किया तो उसे एसिडिटी होगी या फिर न्यूरो या हार्ड ब्लॉक की समस्या भी हो सकती है। जानवरों में भी वात, पित्त और कफ होता है, लेकिन ये अपनी प्रकृति का आहार ग्रहण करते है। वहीं हम इंसान अपनी प्रकृति से विरुद्ध आहार लेते है। इसलिए जो भी व्यक्ति अपनी प्रकृति के विरुद्ध आहार लेगा वह बीमार पड़ जाएगा।
’ देर तक खाली पेट रहना ’मसालेदार भोजन, मांसाहार और जंक फूड का अधिक सेवन करना भी एसिडिटी का प्रमुख कारण है। ’पानी कम पीना। ’चटपटा और तीखा खाना। ’तनाव का होना।
एसिडिटी बढ़ाने वाले कारक
’अत्यधिक भोजन करना या खाने के तुरंत बाद सो जाना। ’मोटापा। ’खट्टे फल, टमाटर, चॉकलेट, पुदीना, लहसुन, प्याज, या मसालेदार या वसायुक्त भोजन का सेवन करना। ’कार्बोनेट पेय पदार्थ, कॉफी और चाय का सेवन। ’धूम्रपान। ’दर्द की दवा या मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाओं का सेवन करने से भी एसिडिटी हो जाती है। ’शराब से भी एसिडिटी होती है।
एसिडिटी के लक्षण
’सीने में जलन, मितली आना। ’डकार भी एसिडिटी का लक्षण है। ’एसिडिटी से दिल में जलन और दर्द भी होने लगता है। ’हरेक व्यक्ति का शरीर एक-दूसरे से भिन्न होता है, इसलिए एसिडिटी के लक्षण भी सभी में अलग-अलग होते हैं। एसिडिटी का सबसे पहला लक्षण ब्लॉटिंग (सूजन) होता है। कई बार ब्लॉटिंग इतनी बढ़ जाती है कि उल्टी में खून या काला मल या खूनी मल भी आना शुरू हो जाता है। ’घरघराहट, सूखी खांसी या गले में खराश होना। ’बदहजमी, दस्त होना ’गला खट्टा रहने लगता है। मितली आना भी इसके लक्षणों में शामिल है। जिसकी वजह से लगता है कि उल्टी आ रही है। ’पेट का फूलना। कई बार एसिटिडी की समस्या इतनी बढ़ जाती है कि समझ नहीं आता कि यह मोटापा है या फिर गैस की वजह से पेट फूल गया है।
जीवन शैली
ऐसी जीवनशैली जिसमें कम या कोई शारीरिक गतिविधि शामिल न हो, उससे लोगों में एसिडिटी की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। डेस्क जॉब या आठ से नौ घंटे कुर्सी पर बैठ कर काम करने वाले लोगों को कुछ अंतराल पर अपनी सीट से उठकर थोड़ा घुमना-फिरना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं में एसिडिटी
गर्भावस्था में महिलाओं को अक्सर एसिडिटी की समस्या होती है। कारण कि इस दौरान महिलाओं में शारीरिक और हार्मोनल बदलाव बहुत तेजी से होते हैं जिस वजह से गर्भाशय में प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन का निर्माण होता है जो गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय की मांसपेशियों और पेट के वॉल्व (पेट के भोजन को भोजन नली में आने से रोकता है) को आराम देने और गर्भाशय को बढ़ने में मदद करता है। मांसपेशियों में कम सक्रियता और गर्भाशय में वृद्धि होने के कारण वॉल्व खुला रह जाता है और पेट का भोजन एसिड के रूप में भोजन नली में प्रवेश करता है। यह स्थिति गर्भवती महिलाओं में अपच और एसिडिटी की समस्या उत्पन्न करती है। गर्भावस्था में महिलाओं को तैलीय, मसालेदार खाने के साथ बाहर के खाने से परहेज करना चाहिए, उन्हें घर का ही खाना खाना चाहिए। साथ ही रात का खाना जल्दी खाना चाहिए, ताकि खाना असानी से पच सके। अगर सोने में देरी हो जाए तो वे हल्का-फुल्का खा सकती हैं, लेकिन मुख्य खाना सोने से तीन घंटे पहले ही खाना चाहिए।
उपचार
’लखनऊ स्थित स्त्री रोग विशेषज्ञ ज्योत्सना मेहता का कहना है कि एसिडिटी का सबसे बड़ा इलाज अपनी दिनचर्या में बदलाव लाकर किया जा सकता है। दिनचर्या में बदलाव का मतलब समय पर खाने, सात्विक और संतुलित भोजन, समय पर सोने, जीवन में योग और कसरत को शामिल करने से है। ’एसिडिटी होने पर सौंफ खाएं या ठंडा दूध पिएं। ’फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड न खाएं।
’कॉफी-चाय की मात्रा कम लें। ’दिन में दस गिलास पानी पिएं। ’एलोपैथी मेडिसिन एसिडिटी में तुरंत परिणाम देती है, लेकिन अगर आप इस बीमारी को जड़ से खत्म करना चाहते हैं तो आर्युवेद या नेचुरोपैथी इलाज कराएं।