मानस मनोहर
गरमी का मौसम शुरू हो चुका है। इस मौसम में अधिक मसालेदार, तली हुई चीजें खाने का मन नहीं होता। उन्हें पचाने में चूंकि शरीर को अधिक ऊर्जा व्यय करनी पड़ती है, इससे शरीर का तापमान बढ़ता है। ऊपर से धूप और गरम हवाएं शरीर को तपाती हैं। ऐसे में स्वास्थ्य खराब होने की अशंका रहती है। इसलिए इस मौसम में कुछ हल्का-फुल्का और तरल बनाएं और खाएं, तो शरीर में फुर्ती बनी रहती है। धूप और लू से बचाव भी होता है।
दलिया छाछ
गेहूं के दलिया में भरपूर रेशे होते हैं, आटे की अपेक्षा इसमें चिकनाई भी कम होती है, इसलिए नाश्ते के रूप में दलिया का उपयोग अच्छा माना जाता है। आमतौर पर लोग दलिया को दूध में खीर की तरह पका कर खाते हैं। कुछ लोग इसे नमकीन भी बनाते हैं। कुछ लोग इसमें मूंग, चने आदि की दाल डाल कर खिचड़ी बना कर खाते हैं। इनमें से किसी भी तरीके से खाएं, गरमी में सुबह के नाश्ते के तौर पर दलिया उत्तम आहार है।
मगर गरमी में छाछ, पुदीने के पत्ते वगैरह पेट को ठंडक और आराम पहुंचाते हैं, इसलिए दलिया बनाते समय इसका उपयोग किया जाए, तो स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम होता है। यह राजस्थान में काफी लोकप्रिय पेय है। दलिया-छाछ बनाना बहुत आसान है। इसे बनाने के लिए न तो बहुत सामग्री चाहिए और न अधिक समय लगता है।
दलिया-छाछ बनाने के लिए पहले दलिया को आधा से एक घंटे के लिए भिगो कर रख दें। फिर कुकर में थोड़ा पानी डाल कर उसमें जरूरत भर का नमक डालें और एक सीटी आने तक उबाल लें। दलिया को पूरी तरह ठंडा हो जाने दें। फिर दलिया की बराबर मात्रा में छाछ लें। उसे मिक्सर में डालें। ऊपर से पुदीने के कुछ ताजा पत्ते, भुना जीरा और दो-तीन काली मिर्च कूट कर डालें। इन सारी चीजों को मिक्सर चला कर लस्सी की तरह फेंट लें। इससे पुदीने की पत्तियों का स्वाद छाछ में आ जाएगा।
अब उबले हुए दलिया को एक बड़े बर्तन में निकालें और उसमें छाछ डाल कर ठीक से फेंट लें। इसे ठंडा होने के लिए फ्रिज में रख दें। जब भी पीना हो एक बार चम्मच से हिला लें और गिलास में भर कर पी लें। चाहें तो यह दलिया रात में बना कर रख लें और अगले दिन सुबह नाश्ते के तौर पर पीएं।
सत्तू की लस्सी
चने और जौ का सत्तू आजकल हर जगह मिल जाता है। नमकीन बनाने वाली कई नामी कंपनियां भी अब पैकेट में सत्तू बेचने लगी हैं। यों बहुत सारे लोग लस्सी के लिए सिर्फ चने का सत्तू इस्तेमाल करते हैं, पर इसमें जौ का सत्तू भी मिला लिया जाए, तो पेट के लिए बहुत अच्छा रहता है। जौ की तासीर ठंडी होती है, इसलिए यह कब्ज और गैस की समस्या से परेशान लोगों को बहुत आराम पहुंचाता है।
सत्तू की लस्सी बनाना बहुत आसान है। आमतौर पर लोग इसे पानी में घोल कर अपने स्वाद के मुताबिक नमक या चीनी और नींबू मिला कर पी लेते हैं। पर इसे स्वादिष्ट और फायदेमंद बनाने के लिए थोड़ा अलग प्रयोग कर सकते हैं।
चने और जौ का सत्तू बराबर मात्रा में लें। इसे मिक्सर में डाल लें। ऊपर से नमक, भुने हुए जीरे का पाउडर, पुदीने की आठ-दस पत्तियां, आधा से एक नींबू का रस डालें। फिर पानी डाल कर मिक्सर को तब तक चलाएं, जब तक कि पुदीने की पत्तियां उसमें पिस न जाएं। सत्तू की लस्सी तैयार है। इसमें चाहें तो एक हरी मिर्च और थोड़ा-सा प्याज बारीक काट कर डाल सकते हैं। यह आपके स्वाद पर निर्भर है। यह सत्तू गरमी में संपूर्ण आहार का काम करेगा। इससे पेट भी भरेगा, पूरी ऊर्जा भी मिलेगी और पेट के लिए हल्का भी रहेगा। सेहत और स्वाद से भरपूर सत्तू की लस्सी।
सौंफ का शर्बत
सौंफ पेट के लिए बहुत गुणकारी औषधि है। जिन्हें कब्ज और गैस की समस्या है, वे अगर सुबह सौंफ का शर्बत पीएं, तो इस परेशानी से काफी हद तक मुक्ति मिल सकती है। सौंफ का शर्बत बनाना बहुत आसान है। इसे बनाने के दो तरीके हैं। एक तो यह कि शर्बत बनाने से आधा घंटा पहले सौंफ को भिगो दें, फिर उसे पानी समेत पीस लें। फिर इसमें चीनी या शहद मिला कर शर्बत बनाएं और पीएं।
दूसरा तरीका है कि दो और तीन की मात्रा में सौंफ और चीनी मिला कर एक साथ पीस लें। जैसे दो चम्मच सौंफ ली है, तो तीन चम्मच चीनी लें। दोनों को एक साथ ग्राइंड करके एक कांच की शीशी में भर कर रख लें। अगर चीनी से परहेज है, तो चीनी नहीं भी डाल सकते हैं।
फिर जब भी शर्बत पीना हो, एक गिलास में दो चम्मच सौंफ का मिश्रण डालें और घोल कर पी लें। चाहें तो इसमें आधा नींबू का रस भी निचोड़ सकते हैं। एक-दो पुदीने की पत्तियां भी डाल सकते हैं। इससे खुशबू भी अच्छी आती है।
