कहीं आपके बच्चे इंटरनेट पर आपत्तिजनक तस्वीरें या वीडियो तो नहीं देख रहे? आज के माता-पिता को यह चिंता बहुत सताती है। स्मार्टफोन और टेबलेट के आने से बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में सवाल उठाया जा रहा है कि क्या स्कूलों में यौन शिक्षा देना पोर्नोग्राफी की तरफ झुकाव को कम करने का कारगर तरीका है। इंग्लैंड में मिडलयौन यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक बड़ी संख्या में बच्चों की पहुंच पोर्नोग्राफी की तरफ बढ़ रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पोर्नोग्राफी से लोगों का यौन और रिश्तों के प्रति नजरिया बदल जाता है और इस वजह से कई बार किशोर बेहद कम उम्र में गलत दिशा में मुड़ जाते हैं।

भारत में यौन शिक्षा हो या न हो, इस पर एक लंबी बहस लंबे समय से छिड़ी हुई है। इसका बाजार हमेशा से गरम रहा है। आज पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति का तो अक्सर हर घर में समावेश हो ही गया है, लेकिन जहां स्कूलों में यौन शिक्षा की बात उठती है, वहां आज भी देश के अधिकांश लोग इसका विरोध करने लगते हैं। भारत के कई राज्यों में कराए गए सर्वे में बहुत-सी ऐसी बातें सामने आई हैं, जो भारतीय संस्कृति को बहुत ही तेजी से बदलने का संकेत देती है। सर्वे की सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि पंद्रह साल की उम्र तक विवाह से पूर्व यौन संबंध बनाने में लड़कियों ने लड़कों को पीछे छोड़ दिया है। सर्वे के मुताबिक यौन संबंधों के मामले में लड़कियां लड़कों से आगे निकल गई हैं। सर्वे के अनुसार पंद्रह प्रतिशत लड़कों और चार प्रतिशत लड़कियों ने कबूल किया कि उन्होंने शादी के पहले यौन अनुभव ले लिया है। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात तो यह रही कि इनमें से चौबीस प्रतिशत लड़कियों ने माना कि उन्होंने पंद्रह साल की उम्र से पहले ही यौन अनुभव ले लिया है। आज के दौर में ब्रिटेन में तेरह वर्ष की लड़कियां भी मां बन रही हैं, जिसका बुरा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।

आज भारत की युवा संस्कृति में आमूलचूल परिवर्तन आ चुका है। कच्ची उम्र में प्रेम और यौन संबंध को भले ही कुछ लोग नकार दें लेकिन सर्वे का यह नतीजा बता रहा है कि भारत में नाबालिग लड़के, लड़कियों में यौनवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। वे अपनी मर्जी से इसका अनुभव ले रहे हैं। जिसका असर यौन अपराध में बढ़ोतरी के रूप में देखा जा रहा है। कोई भी इनकी नासमझी का फायदा उठा कर दुष्कर्म करके चला जाता है और बच्चे को पता ही नहीं चलता कि क्या हो गया। परिवार का नजदीकी रिश्तेदार भी अब इस दुष्कर्म से अछूता नहीं रहा है। विडंबना तो यह है कि आज भी परिवार के लोग आपस में यौन संबंधी बातें बताने में बच्चों से कतराते हैं।
खासतौर पर बच्चों को इन बातों से दूर रखा जाता है और यही कारण है कि बच्चे जानकारी के अभाव में या तो स्वयं ही गलत कदम उठा लेते हैं या फिर यौन दुराचार के शिकार हो जाते हैं। दरअसल, उनके मन में यह जिज्ञासा बनी रहती है कि आखिर यह है क्या चीज, जो हमसे छिपाई जा रही है।

बच्चों की बढ़ती उम्र के साथ-साथ न सिर्फ हार्मोंस में बदलाव आता है, बल्कि शरीर में भी कई परिवर्तन होते हैं, जिसकी वजह से किशोरों में यौन के प्रति आकर्षण भी बढ़ता है। फिर वे छिपकर अपने दोस्तों या आजकल इंटरनेट से इसके बारे में जानने का प्रयास करने लगते हैं। जिसका नतीजा यह होता है कि वे गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं और बाद में उन्हें पछताना पड़ता है। यौन के बारे में सही जानकारी न मिलने के कारण वे गंभीर रोगों के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि स्कूली स्तर पर भी यौन शिक्षा उन्हें दी जाए जिससे वे बाल यौन शोषण से बच सकें।

आज के बदलते माहौल में बच्चों को यौन शिक्षा की सही जानकारी जरूरी है। इससे वे अपने अंगों और उनके कार्यों के बारे में जान सकेंगे। खासतौर से चौदह-पंद्रह साल की उम्र में उनके शरीर में बहुत सारे बदलाव आते हैं, जिसे वे समझ नहीं पाते। उन्हें यह भी नहीं पता होता कि आखिर उनके शरीर में यह हो क्या रहा है? वे इसके बारे में किससे पूछें, यह भी उन्हें पता नहीं होता। ऐसी स्थिति में वे छिपकर गंदी किताबों को पढ़ते हैं और उसे अपने जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं। बचपन में हुए उनके ऊपर यौन अत्याचार का प्रभाव मानसिक रूप में बहुत ज्यादा होता है।

दरअसल, यौन शिक्षा के जरिए यौन की समझ विकसित हो सकती है। फिर जब वे इस दौर से गुजरते हैं तो यही बातें उनके काम आती हैं। जब आप किशोरावस्था में यौन शिक्षा देंगे तो उनमें इसके प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ-साथ उत्सुकता कम होगी। इससे उनमें यौन के प्रति देर से सक्रिय होने की संभावना बढ़ जाती है। फिर उनमें कच्ची उम्र में यौन का खतरा कम हो जाता है। जब भी आप किसी चीज को बच्चों से छिपाने की कोशिश करेंगे तो वे उसे जरूर जानने की कोशिश करेंगे। इसलिए अच्छा रास्ता यही है कि उन्हें यौन के बारे में बचपन से ही हल्की जानकारी देनी प्रारंभ कर दी जाए। आप बच्चों के सवालों को टालने की भी कोशिश न करें। अगर आप उनकी जिज्ञासा को शांत नहीं करेंगे तो वे इसकी जानकारी कहीं और से लेने की कोशिश करेंगे। ऐसे में ही वे अपने ही लोगों से यौन शोषण का शिकार हो जाते हैं।

बाल यौन उत्पीड़न के सर्वाधिक मामले मध्यप्रदेश में दर्ज हो रहे हैं। दूसरा स्थान महाराष्ट्र और तीसरा उत्तर प्रदेश का है। असल में भारतीय समाज एक पारंपरिक समाज है। शादी से पहले शारीरिक संबंध कायम करना तो दूर उसके बारे में सोचना भी निषिद्ध है। इस दायरे को पार करने वालों को चरित्रहीन माना जाता है। इसलिए वक्त रहते संभलने की जरूरत है। (विजन कुमार पाण्डेय)