झोला यानी बैग एक ऐसी वस्तु है, जिसे हम सिर्फ जरूरत नहीं, शौक से भी अपने पास रखते हैं। कोई भी पहनावा इसके बिना अधूरा है। स्टाइल और सहूलियत का लंबा सफर तय किया है इस एक अदद झोले ने। पीढ़ी-दर-पीढ़ी इसके रूप, रंग, आकार को बदलती जरूरतों के लिहाज से बदलते रहे हैं ए बैग्स। एक चीज जो नहीं बदली है, वह है इनका आकर्षण। आजकल ‘माइक्रो पर्स’ के खूब चर्चे हो रहे हैं, हालांकि इस पर्स में इस्तेमाल की सहूलियत जैसा कुछ नहीं, पर हथेली में सिमटा यह गुड़िया पर्स स्टाइल के लिए लेकर चला जा रहा है। हालीवुड, बालीवुड अभिनेत्रियोें के स्टाइल को बेचता है बाजार। आजकल तरह-तरह के पर्स, वॉलेट, बैग फैशन का हिस्सा हैं।

फैशन सिर्फ पहनावे तक सीमित नहीं होता। वह सजने-संवरने, व्यक्तित्व निखारने, जीवन शैली से जुड़ी तमाम चीजों पर ध्यान केंद्रित करता है। इसलिए बैग जैसी रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाली छोटी-छोटी वस्तुओं में भी बदलाव होते रहते हैं। पहले अक्सर लड़कियां बैग लेकर चलती थीं, पर आजकल लड़कों में भी इसके प्रति खासा आकर्षण देखा जाता है। दफ्तर जाना हो, कहीं घूमने-फिरने या फिर खरीदारी करने, बैग एक जरूरी साधन है। बैग को लेकर फैशन के क्षेत्र में हो रहे बदलावों के बारे में बात कर रही हैं अनीता सहरावत।

बैगपैक : पट््िटयों की मदद से दोनों कंधों पर लटकता और कमर तक झूलता बैग, बैगपैक के नाम से मशहूर है। डिजाइन तो इसे लड़कों के लिए ही किया गया था, लेकिन इसकी सहूलियत और सुविधा ने इसे पढ़ाई करने वाले लड़के-लड़कियों की पहली पसंद बना दिया। बैगपैक का बड़ा आकार किताबें, सफर के दौरान सामान ढोने, खाना और पानी जैसी दूसरी चीजें रखने के लिहाज से एकदम उपयुक्त है। हांलाकि अब इनके छोटे आकार भी कंपनियां बाजार में उतार रही हैं। यह ऐसा बैग है, जो आज तकरीबन हर किसी की अलमारी में जरूर मिलेगा।

बेल्ट बैग : छोटे बैग, जो बेल्ट के जरिए जुड़े होते हैं, बेल्ट-बैग की श्रेणी में आते हैं। फैनी पैक और बेल्ट बैग में मोटा अंतर बेल्ट का ही होता है, फैनी पैक में बेल्ट बैग से अलग नहीं होती, जबकि बेल्ट बैग में बैग सिर्फ पाउच की तरह बेल्ट से लटका होता है। फैनी पैक के अलावा इन्हें कमर बैग भी कह सकते हैं, क्योंकि इनकी लंबाई कमर तक लटकती है।

साईकिल बैग : जैसाकि नाम से ही जाहिर है, ये बैग साइकिल सवारों की जरूरत के हिसाब से डिजाइन होते हैं और आमतौर पर धुलने लायक कपड़े से बने होते हैं। साइकिल पर टांगने के लिए इनमें लूप भी होते हैं। साइकिल से लंबी दूरी नापने वालों के लिए तैयार किया गया यह बैग सफर में सामान से परेशानी आड़े नहीं आने देता। तीन तरह के साइकिल बैग आजकल चलन में हैं- हैंडलर बैग, पैनियर बैग और फे्रम बैग।

बंडल बैग : पहले ये गरीबों के थैले कहे जाते थे। पश्चिम भारत में ये थैले खूब इस्तेमाल किए जाते रहे हैं। डिजाइनरों और बैग कंपनियों की नजर में आते ही ये फैशन का हिस्सा हो गए। कपड़े के इस थैले की खासियत यह है कि इसके दोनों छोर गांठ लगा कर जुड़े होते हैं। बाजार, हाट की शौकिया घुमक्कड़ी के लिए इसे कंधे पर लटकाने में हर्ज नहीं। इन्हें होबो बैग्स के नाम से भी जाना जाता है। मगर अब इनके भी ढेरों रंग, डिजाइन और पैटर्न बाजार में लुभा रहे है।

माइक्रो पर्स और मिनी पर्स : ये दोनों ही हथेली में सजने वाले पर्स हैं। माइक्रो हथेली से भी छोटा और मोबाइल के जैसा, मुट्ठी में बंद हो जाने वाला डिजाइन है। मिनी बैग माइक्रो बैग से बड़ा होता है, इसमें मोबाइल और कुछेक प्रसाधन सामग्री आसानी से रखी जा सकती है। क्लच पर्स के मुकाबले मिनी पर्स में पकड़ने के लिए हैंडल या पट््टी भी होती है।

मिनोडॉयर : इसे क्लच या इवनिंग बैग भी कह सकते हैं। ठोस पदार्थ से बना यह पर्स चाबी या फिर लिपस्टिक जैसा छोटा-मोटा सामान साथ रखने के लिए ही बनाया गया है। यह पूरी तरह से सिर्फ सजावटी पर्स है, जो आमतौर पर महिलाएं पार्टी और दूसरे मौकों पर साथ रखती हैं। इसे हथेली का आभूषण कह सकते हैं, क्योंकि सजने-धजने के बाद हथेली का खालीपन अखरता है और क्लच पर्स इसे भरता है।

कलाई बैग : कलाई पर लपेट कर पहना जाने वाला यह पर्स छोटे पर्स की श्रेणी में सबसे उम्दा कहा जा सकता है। स्टाइल के अलावा इसमें पैसे, कार्ड, फोन और दूसरे सामान रखने के लिए काफी जगह होती है। इसके अलावा यह हाथ में पूरी तरह से आरामदायक रहता है और हथेलियां आजाद रहती हैं।

पाउच पर्स : चेन या जिप से बंद होने वाला यह पाउच पर्स आसानी से कहीं भी साथ ले जाया जा सकता है। शाम को बाहर घूमने जाते वक्त या फिर दोस्तों के साथ घूमना हो, पैसे, मोबाइल को इसमें सहूलियत से संजोया और इस्तेमाल किया जा सकता है।

गोलाकार बैग : गोलाकार या राउंड बैग फैशन का ताजातरीन चलन है। अलग-अलग तरह के स्लिंज और क्लच बैग लिए युवतियां-लड़कियां आपको आसानी से बाजार, कॉफी-शॉप, मॉल, रेस्तरां में नजर आ जाएंगी।

सैडल या काठी बैग : सैडल बैग, जिसका निचला हिस्सा गोलाकार और उपरी हिस्सा समतल होता है। फ्लैप के साथ बंद होने वाले इस पर्स का फ्लैप घोड़े की काठी जैसे आकार का दिखने के कारण इसे सैडल या काठी बैग नाम मिला है। इसके अलग-अलग डिजाइन और पैटर्न के हिसाब से इसे घर, बाहर, दफ्तर के साथ मैच करें।

सैचल बैग : कामकाजी महिलाओं के लिए सैचल बैग एक उपयुक्त पसंद है। लैपटॉप से लेकर रोजाना इस्तेमाल के दूसरे सामान इसमें आसानी से रखे जा सकते हैं। इससे अलग-अलग जरूरतों के दो पर्स और बैग रखने की चिंता खत्म। लेकिन अच्छी गुणवत्ता के बैग में निवेश करके ही आप अपनी जरूरत पूरी कर सकते हैं।

स्लिंज बैग : एक स्लिंज बैग को सीधा या क्रॉस बॉडी स्टाइल से पहना जा सकता है। आराम और स्टाइल का खूबसूरत मेल। यह बैग खरीदारी करने से लेकर घूमने तक आसानी से काम आता है। अगर आपके साथ बच्चे हैं तो स्लिंज बैग एक उम्दा पसंद है। सबसे खास बात कि इसे आप अपनी जरूरत के हिसाब से अलग स्टाइल और आकार में चुन सकते हैं। इसके अलावा क्लिटेड बैग भी आपके व्यक्तित्व को पूरा करते हैं। इनकी अलहदा बनावट किसी भी पार्टी या समारोह में भारतीय या पाचात्य पहनावे के साथ बड़ी आसानी से मिल जाता है।

क्लच पर्स : किसी पार्टी या आयोजन में तैयारी के बाद भारी भरकम पर्स पहनावे के लुक को खराब कर सकता है। ऐसे में अकर्षक दिखने के लिए क्लच की ओर रुख किया जा सकता है। हांलाकि इनमें सुविधा के लिहाज से कुछ खास नहीं होता, लेकिन अब कई ब्रांड युवतियों की जरूरतों का खयाल रखते हुए इनमें पॉकेट पार्टीशन देने लगे हंै।

शॉपिंग बैग : ये बैग आमतौर पर ज्यादा सामान रखने के लिहाज से तैयार किए जाते हैं। कपड़े, जूट, चमड़े, बीच बैग, टोटे बैग की अनगिनत विविधता आपको इस श्रेणी में आसानी से मिल जाएगी।

वॉलेट या पर्स : सिर्फ लड़कियां नहीं, लड़कों के लिए भी एक बहुत जरूरी चीज है वॉलेट। यह एक सार्वकालिक, सबकी पसंद है। कितने ही चलन आएं और पुराने हो जाएं, लेकिन यह सदाबहार है, जो हर वार्डरोब की हमेशा जरूरत रहेगी। इसे चुनने के मामले में आप अपनी पसंद-नापसंद को ही तवज्जो दें, क्योंकि इसका स्टाइल और सहूलियत आपकी पसंद के जायके को दिखाता है।