अनिर्बाण लाहिड़ी के लिए तो यह किसी सपने के सच होने जैसा था ही, भारत के लिए भी यह ऐतिहासिक क्षण था। अनिर्बाण लाहिड़ी ने गोल्फ में अपना दबदबा साबित करते हुए पीजे, चैंपियनशिप में पांचवां स्थान हासिल कर नया इतिहास रचा। दुनिया भर के गोल्फरों में पीजी, टूर का अपना अलग महत्त्व है और अनिर्बाण ने वह करश्मिा कर दिखाया जो इससे पहले किसी भारतीय ने नहीं दिखाया था। इससे पहले जीव मिल्खा सिंह थे जो पीजी, टूर में नौवें स्थान पर रहे थे। लेकिन अट्ठाईस साल के अनिर्बाण ने शानदार कारनामा कर दिखाया और भारतीय गोल्फ को शिखर पर ला खड़ा किया। अपने इस प्रदर्शन के बूते अनिर्बाण का चयन प्रतिष्ठित प्रेसिडेंट्स कप की टीम में हो गया है। वे पहले भारतीय हैं, जिन्होंने प्रतिष्ठित प्रेसिडेंट्स कप के लिए क्वालीफाई किया है।

दुनिया के चालीसवें नंबर के खिलाड़ी लाहिड़ी सीधे क्वालीफाई करने वाले गोल्फरों में रहे। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय टीम में जगह बनाई जो कोरिया में होने वाले प्रेसिडेंट्स कप में अमेरिका से खेलेगी। मलेशिया ओपन और हीरो इंडियन ओपन विजेता लाहिड़ी ने कहा,‘ मैं अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकता क्योंकि बचपन से आप राइडर कप जैसे टूर्नामेंट देखते आए हैं, और यह देखकर दुख होता है कि आप वैसे किसी टूर्नामेंट का हिस्सा नहीं बन पाते।’ उन्होंने कहा कि प्रेसिडेंट्स कप जैसे टूर्नामेंट उनका लक्ष्य था और टीम में जगह बनाकर उन्हें काफी खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि जीव मिल्खा सिंह एक बार इसमें जगह बनाने के बहुत करीब थे जब वे दुनिया के शीर्ष 50 गोल्फरों में से थे लेकिन चोट के कारण वे जगह नहीं बना सके। अगर ऐसा होता तो सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि एशियाई गोल्फ के लिए यह बहुत अच्छा होता।

अठारह प्रोफेशनल खिताब जीत चुके अनिर्बाण 2007 में पेशेवर गोल्फर बने और यहीं से उनकी कामयाबी की दास्तान शुरू होती है। 2006 में विश्व जूनियर गोल्फ चैंपियनशिप में भारतीय टीम की उन्होंने नुमाइंदगी की और इसी साल वे दोहा एशियाई खेलों में उस टीम का हिस्सा थे जिसने रजत पदक जीता था। वे 2005 और 2006 में एमेच्योर गोल्फरों में टाप पर थे। अनिर्बाण ने पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब 2011 में जीता। इसके बाद वे हर साल खिताब जीतते रहे। 2011 में एशियाई टूर के तहत पैनासोनिक ओपन जीता। 2014 में इंडोनेशिया मास्टर्स और मकाऊ ओपन खिताब अपने नाम किया। 2015 में यूरोपीय टूर के तहत मलेशियाई ओपन और इंडियन ओपन खिताब उन्होंने अपने नाम किया है।

पीजीए चैंपियनशिप में संयुक्त पांचवां स्थान हासिल कर इतिहास बनाने वाले अनिर्बाण का सपना एक मेजर खिताब जीतने के साथ-साथ अगले वर्ष होने वाले रियो ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतना है। लाहिड़ी का कहना है कि हर खिलाड़ी का बचपन से एक ही सपना होता है कि वह खेलों के महाकुंभ ओलंपिक में खेले और देश के लिए पदक जीते। मेरा भी यही सपना है। मैं उस भाग्यशाली पीढ़ी में शामिल हूं जिसे ओलंपिक में गोल्फ में खेलने का मौका मिलेगा। गोल्फ को पहली बार रियो ओलंपिक में शामिल किया जा रहा है। विश्व में अड़तीसवें नंबर के खिलाड़ी लाहिड़ी ने कहा कि अगले ओलंपिक में विश्व रैंकिंग में दो शीर्ष भारतीय गोल्फरों को ओलंपिक में खेलने का मौका मिलेगा। रियो ओलंपिक में क्वालिफाई करने के लिए गोल्फ की कटआफ तारीख जुलाई 2016 है और विश्व रैंकिंग में दो शीर्ष भारतीयों को ओलंपिक में खेलने का मौका मिलेगा।

अपने कॅरिअर के अच्छे दौर से गुजर रहे अट्ठाईस वर्षीय लाहिड़ी ने इस साल हीरो इंडियन ओपन और मलेशियन ओपन के खिताब जीते और पीजीए चैंपियनशिप में संयुक्त पांचवां स्थान हासिल कर इतिहास बनाया। पीजीए चैंपियनशिप में अपने प्रदर्शन के सवाल पर लाहिड़ी ने कहा कि पीजीए चैंपियनशिप का उनका प्रदर्शन एक शुरुआत भर है और मुझे यहां से आगे ही बढ़ना है। मेरा लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा मेजर खेलना है और एक मेजर खिताब जीतना है।

पीजीए चैंपियनशिप के आखिरी राउंड की सुबह को याद करते हुए लाहिड़ी ने कहा कि मैं पूरे टूर्नामेंट के दौरान खुद को सहज महसूस करता रहा। जब मैं आखिरी राउंड खेलने सुबह गोल्फ क्लब जा रहा था तो मैं किसी स्थान के बारे में नहीं सोच रहा था। मेरा ध्यान सिर्फ इस बात पर लगा था कि मैं ज्यादा से ज्यादा कितनी बर्डी खेल सकता हूं। मेरा प्रयास हर पट और हर शाट को बेहतर खेलने पर था। वैसे में हर होल के बाद अपने कैडी से पूछ रहा था कि हम कहां पर हैं।

लाहिड़ी ने बताया कि वह लगातार छह मेजर खेल चुके हैं। उनका अगला टूर्नामेंट अमेरिका में वेबडाटकाम फाइनल है। यूरोपियन और एशियन टूर के विलय के सवाल पर लाहिड़ी ने कहा कि इसके पीछे एकमात्र मकसद एक मजबूत टूर बनाना है। इससे प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा और गोल्फ का व्यावसायीकरण मजबूत होगा। लेकिन इस विलय के बाद नए टूर का ढांचा कैसा होगा, यह कहना अभी कठिन है। फिलहाल लाहिड़ी का फोकस ओलंपिक खेलों में पदक जीतने पर है, अगर वे ऐसा कर पाते हैं तो देश में गोल्फ को एक अलग मुकाम हासिल होगा।