पराधिक घटनाओं की तुलना में पांच गुना अधिक लोगों की मौत सड़क हादसों में होती है। कहीं बदहाल सड़कों के कारण, तो कहीं अधिक सुविधापूर्ण अत्याधुनिक चिकनी सड़कों पर तेज रफ्तार अनियंत्रित वाहनों के कारण ये हादसे होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया के अठाईस देशों में ही सड़क हादसों पर नियंत्रण की दृष्टि से बनाए गए कानूनों का कड़ाई से पालन किया जाता है। वहीं भारत की तस्वीर इससे उलट है। यहां कानून के पालन में काफी ढिलाई बरती जाती है। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2014 में सड़क पर मरने वालों की संख्या 12,330 थी, जो 2017 में बढ़ कर 20,457 हो गई। लोकसभा में दी गई एक जानकारी में कहा गया है कि 2015-17 के बीच देश में सड़क हादसों में करीब 4.45 लाख लोगों की मौत हुई। वहीं 14.65 लाख लोग घायल हुए। यानी हर दिन करीब चार सौ या इससे अधिक लोगों की मौत की बड़ी वजह सड़क हादसे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पैदल यात्रियों के लिए भारत की सड़कें कितनी खतरनाक साबित हो रही हैं।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सदन में प्रस्तुत रिपोर्ट के हवाले से राज्यवार आंकड़े भी पेश किए। इनके मुताबिक पिछले इन तीन वर्षों में सबसे अधिक सड़क हादसे वाले राज्यों में पहले और दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु रहे। 2016-17 में सिर्फ इन्हीं दो राज्यों में हुए सड़क हादसे देखें तो मौत का आंकड़ा सभी मौतों का करीब पच्चीस फीसद है। संयुक्त राष्ट्र की सर्वाधिक हादसों वाले दस देशों की सूची में भारत सबसे ऊपर है। अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन के मुताबिक विश्व में वाहनों की कुल संख्या का करीब तीन फीसद हिस्सा भारत में है, लेकिन देश में होने वाले सड़क हादसों और इनमें जान गंवाने वालों के मामले में यह हिस्सेदारी 12.06 फीसद है। यही वजह है कि संयुक्त राष्ट्र ने 2020 तक सड़क हादसों में पचास फीसद तक की कमी लाने का लक्ष्य रखा है।
जिन्होंने हादसों से सीखा सबक
मुंबई के एक सब्जी विक्रेता दादरा राव बिल्हारे के बेटे की 2015 में सड़क हादसे में मौत हो गई थी। उसकी मोटरसाइकिल सड़क पर बने गड्ढों की जद में आने की वजह से वह मौत का शिकार हुआ था। अपने बेटे को हादसे में खोने वाले बिल्हारे ने इसके बाद सड़क के गड्ढों को भरना अपना मकसद ही बना लिया, ताकि कोई अन्य अपनी जान न गंवा बैठे। यही वजह है कि वह जहां भी सड़क पर गड्ढे देखते हैं उसे फावड़ा लेकर भरने में लग जाते हैं। उन्होंने छह सौ से अधिक गड्ढे भर कर लोगों को हादसों से बचाने की मुहिम छेड़ रखी है। उनका कहना है कि उन्हें जहां बिल्डिंग साइटों या अन्य जगहों पर रेत और कंक्रीट मिलती है, वह उससे गड्ढे भर देते हैं। बीते वर्ष राजस्थान के भरतपुर में तैनात एक महिला सब इंस्पेक्टर मंजू फौजदार ने अपने विवाह के कार्ड पर ही यातायात नियम लिखवा लिए, ताकि इस बहाने लोग यातायात नियमों को लेकर जागरूक हों और उनका पालन करें, ताकि सड़क दुर्घटनाओं में कमी आए। दरअसल, उनके पिता ईश्वर सिंह और भाई दोनों की ही सड़क हादसों में मौत हो गई थी। इसके बाद उन्होंने संकल्प लिया कि वह सड़क हादसों को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करेंगी।
अजब-गजब जागरूकता अभियान
यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पुलिस की ओर से भी कई जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। इसी क्रम में मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ में यातायात नियम तोड़ने पर लोगों का चालान करने के बजाय उनको लाल, पीले फूल देकर जागरूकता अभियान चलाया। वहीं उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में भी यातायात नियमों के प्रति लोगों को गुलाब का फूल देकर जागरूक किया गया। उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर में भी पुलिस ने यातायात जागरूकता अभियान के तहत बिना हेलमेट पहने लोगों का चालान काटने के बजाय उनको नि:शुल्क हेलमेट दिए और यातायात नियमों से अवगत कराया।
