किसी बड़े बवाल की तैयारी है। गहरी साजिश रची जा रही है। पहले जामिया में तमंचा चला, आज फिर चला है।
– अब उठ जाओ, ऐसा न हो कि भाजपा फायदा उठा ले!
– वातावरण में तनाव है। कुछ भी हो सकता है। बेहतर हो कि सब पार्टियां मिल कर सहमति बनाएं। इसका हल निकालें।
– पचास दिन हो गए। बहुत हुआ शाहीनबाग। अब बंद करो।
– अब तो शाहीनबाग में रिपोर्टरों का जाना मुश्किल होता जा रहा है। वे लोग मीडिया को हंकालते हैं।
– कल हिंदू सेना इसके विरोध में विरोध प्रदर्शन करने वाली है।
– अभिव्यक्ति की आजादी को जितना रोकोगे उतना ही वह अपना रास्ता बनाएगी।
– वे शाहीनबाग को बिरयानी खिलवाते हैं, हम आतंकवादियों को गोली खिलाते हैं।
– शरजील तेरे सपनों को हम मंजिल तक पहुंचाएंगे।
– गांधी का सत्याग्रह एक ड्रामा था। स्वतंत्रता आंदोलन ड्रामा था।
– वह अराजकतावादी है। अराजकतावादी और आतंकवादी में कोई फर्क नहीं होता।
– अगर वह आतंकवादी है, तो सरकार गिरफ्तार क्यों नहीं करती?
– ध्रुवीकरण उनका ‘एजेंडा’ है, वे ऐसा ही ‘नेरेटिव’ बनाएंगे!
– शाहीनबाग के पीछे षड्यंत्र है। शाहीनबाग संयोग नहीं प्रयोग है। ‘डिजाइन’ है।
– एक नेता कहता है ‘गोली मारो’… लोग गोली मारने निकल पड़ते हैं।
– क्या यह दिल्ली के चुनाव का परिवर्तन बिंदु है?
– बावन प्रतिशत लोग मानते हैं कि सीएए का विरोध अनुचित है। सिर्फ पचीस प्रतिशत विरोध को उचित मानते हैं।
– 1947 में भारत की ‘सॉइल’ (मिट्टी) विभाजित की। 2020 में भारत की ‘सोल’ (आत्मा) विभाजित की जा रही है।
– पहले उन्होंने हनुमान चालीसा पढ़ कर सुनाया फिर कहा: भाजपा ‘हनुमान चालीसा’ पढ़े।
– शाहीनबाग का गोलीबाज कपिल गूजर 1919 में ‘आप’ का सदस्य बना।
– ‘आप’ का होता तो शाहीनबाग के खिलाफ गोली क्यों चलाता? फिर पुलिस ने यह ‘सूचना’ मीडिया को क्यों बताई? बहुत लोग फोटो खिंचवाते हैं, हम रजिस्टर नहीं रखते, क्या पता वह भाजपा में चला गया हो…
– हमने दिल्ली में काम किया है। हमें बदनाम करने के लिए देखते जाइए अभी कितने और फोटो मिलेंगे? यह इनकी ‘डर्टी पॉलिटिक्स’ (गंदी राजनीति) है! ये फोटो मीडिया तक कैसे पहुंचे?
– ‘श्रीराम जन्मभूमि कीर्ति स्थल’ के निर्माण के लिए 67.7 एकड़ जमीन देने तथा मस्जिद के पांच एकड़ जमीन देने का प्रधानमंत्री द्वारा संसद में ऐलान! जय श्रीराम! (विपक्ष हतप्रभ!)
– एक युवती बुरके में कैमरा छिपा कर शाहीनबाग में घुसी और पकड़ी गई। पुलिस ने बचाया। वह कई बार टीवी बहसों में देखी गई थी, एंकर उसे पहचानते थे, लेकिन देर तक किसी ने उसका नाम न बताया।
– शाहीनबाग ‘केस इन स्टडी’ (अध्ययन का मामला) है ‘नेशन बिल्डिंग’ (राष्ट्र निर्माण) का यानी एक राष्ट्र के भीतर एक और ‘राष्ट्र निर्माण’ का, जहां प्रवेश से पहले कुरान पढ़ने को कहा जाता है।
– इन जालिमों का खात्मा जामिया से होगा। हम शरीआ बनेंगे इंशा अल्लाह! अल्लाह तय करेगा कौन हारेगा कौन जीतेगा?
– ‘आई काल राथ आफ अल्लाह टू डिफीट द डीमन लाइक भाजपा!’ (भाजपा जैसे दानव पर खुदा का कहर बरसे!)
– ‘ला इला इल्ललाह’ यानी और कोई ईश्वर नहीं सिर्फ अल्लाह है। यह लिखा है कुरान में। श्रीमान, पहले इसे समझिए। आपके एक नेता तो कहते हैं कि जो बच्चा पैदा होता है मुसलमान होता है।
– शाहीनबाग अब ‘मीडियम’ (माध्यम) बन गया है और ‘मीडियम इज मेसेज!’ माध्यम ही छवि है।
– ये जो प्रधानमंत्री बोलता रहते हैं, छह महीने बाद नौजवान इनके इतने डंडे मारेंगे कि बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा…
– मैंने भी तय कर लिया है कि रोज सुबह ‘सूर्य नमस्कार’ की बढ़ा दूं। बीस साल से गालियां सुन-सुन कर गाली प्रूफ हो गया हूं। अब सूर्य नमस्कार की संख्या बढ़ा दूंगा, ताकि अपनी पीठ मजबूत कर लूं… सीएए की बात नेहरू ने भी की थी, तो क्या वे सांप्रदायिक थे?… केरल के मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि सीएए के विरोध में प्रदर्शन करने वालों में अराजकतावादी शामिल हो गए है, लेकिन यहां उनके लोग सीएए के विरोध का समर्थन करते हैं… मैं तीस चालीस मिनट बोला, लेकिन करंट अब जाकर लगा… ट्यूबलाइट… संसद में हंसी का जोरदार ठहाका गूंजा…
– शाहीनबाग में आत्मघाती दस्ते बनाए जा रहे हैं।
– हमने बच्चों को ‘ट्विंकल ट्विंकल’ नहीं, ‘करबला’ पढ़ाया है। हमें डराओ मत। हमारी शुरुआत कुरबानी से होती है।
– घृणा वक्तव्य नौ सौ प्रतिशत बढ़े।
– उनको चाहिए था कि पीएम को उचित सम्मान देकर बात करते!
– लेकिन वे तो एक ‘साइकोसोमेटिक’ (मनोदैहिक) मामला है!
बीते छह-सात दिनों में विभिन्न नेताओं और जननेताओं के श्रीमुख से निकलीं और चैनलों में नित्य बजती रहीं। ये ‘बाइटें’ बताती हैं कि इन दिनों तो सभी अपनी अपनी ‘मनोदैहिकता’ से ग्रस्त हैं!
शायद, इसी ‘मनोदैहिकता’ के बारे में कभी कबीर ने कहा होगा : ‘सब जग जलता देखिया, अपनी अपनी आगि!’