कृष्णा सोबती

मुसलमीन और मसीही भाइयो! आप लोगों की घर वापसी का वक्त सिर पर आ गया है। आपकी हिफाजत करना हमारा इनसानी फर्ज है। कान खोल कर हमारी बात सुनो- सियासत के तराजू पर देश के बहुसंख्यक, अल्पसंख्यकों से डरते नहीं। फिर भी घर वापसी का इरादा आप सबके लिए लाजिमी है। आप बहुसंख्यकों में शामिल हो जाएंगे तो न विधर्मी कहलाएंगे, न ही अल्पसंख्यक।

जाहिरा तौर पर न हम अपने आप को आपसे ऊंचा समझेंगे और न ही आप अपने आप को हमसे नीचा समझेंगे। घर वापस पहुंच अपने आप को पहले से कहीं बेहतर समझने लगेंगे। हमारे बराबर से होकर आप हिंदुआनी बस्तियों की ओर कदम बढ़ाएं और एक बड़ी संपन्न बिरादरी का हिस्सा बन जाएं। प्रभु की कृपा से घर वापसी वालों के लिए शुभ घड़ी है।

याद रहे, हिंदू संतानों की संख्या दिन दूनी रात चौगुनी हो रही है- भगवान राम के आशीर्वाद से हिंदू प्रजा जैसे ही खुशहाल हो जाएगी, इतनी कि दुनिया आप पर रश्क करेगी। दिन दूनी रात चौगुनी रंग लाएगी आपकी बेहतरी। ऐसे में आप इस संपन्न भाईचारे से विलग क्यों रहें? सौतेले भाइयो- ऐसे वक्तों में घर वापसी का यह शुभ मुहूर्त है। न आप लोग हमसे गैर हैं, न हम आपसे। हम एक ही देश के निवासी हैं तो फिर घर लौटने में झिझक कैसी?

हिंदू जाति खानपान में शुद्धता बरतती है। अच्छी आदत है। और इसलिए कि हर जनेऊ वाला हिंदू बुद्धि से प्रबुद्ध है। इसीलिए सब धर्मों से हिंदू धर्म महान माना जाता है। कुरान और बाइबल पढ़ने वाले हिंदू-दर्शन और अध्यात्म पर सारे संसार को गर्व है। यह जानते हुए भी जाने क्यों तुम घर वापसी में देर लगा रहे हो! याद रहे यह मुल्क अब हमारी हुकूमत के कब्जे में है- सरकार हमारी है, कानून की साख भी हमारी है। तुम्हें अंदाजा नहीं कि प्यारे भारतवर्ष को हम क्या से क्या बना देंगे; रहे नाम हमारे देवी-देवताओं का, उनकी छत्रछाया में आपको भी भेंट मिलेगी। हम स्मार्ट नगर बनाने वाले हैं। उस ठेकेदारी में आप भी अपना हाथ बंटाएं तो भर-भर दौलत का वरदान पाएंगे। हमारा संकल्प है कि हम प्यारे भारत को एक शक्तिशाली हिंदू राष्ट्र बनाएंगे। ऐसे में बाहर के धर्मों के गुंबद और गिरजाघर की मीनारों के क्रॉस भला किस काम आएंगे?

हां ब्रादर, हिंदुत्व और हिंदुस्तान की पुरानी ऐतिहासिक उठा-पटक को भूल जाइए। आपके ईसाई विद्वानों का यह कहना कि हम हिंदू बार-बार पराजित हुए, गलत है। इतिहास साक्षी है कि भारत के वीर-योद्धा महान थे। इतिहास में दुश्मनों द्वारा झूठे, कड़वे मुगालते गढ़े गए हैं। पर अब उनका जिक्र क्यों? बेशक आपने हिंदू समाज को पीड़ा और यातनाएं दी हों। लेकिन आखिर सांस्कृतिक विजय तो भारतवर्ष की ही हुई। यह दुनिया भर में वैचारिक क्रांति का ही चमत्कार था। इंकलाब के नाम से इसकी भी जिंदाबादियां बुलाई गर्इं, जो किन्हीं भी क्रांति और इंकलाबी नारों से ऊंची थी।

आपने तो इन दिनों देखा, सुना है कि यहां की धन-संपत्ति और वैभवी महिमा बड़े-बड़े राष्ट्रों में फैल चुकी है। सो अल्पसंख्यक नागरिको! घर वापसी योजना और हमारी धार्मिक, राजनीति का लाभ उठाओ। यह संस्कारी क्रांति आपकी सामाजिक दिनचर्या को पहले से कहीं सुखद बनाएगी। इस पर तुर्रा यह कि खानपान में स्वाद चखने को सिर्फ केक, पेस्टरी और चॉकलेट न होंगे, बिरयानी, शामी और रोगन-नाश ही न होंगे, घर वापसी पर आपको मिलेंगी- मठरी, बेड़मी, कचौड़ी, पकौड़ी, दाल मोठ, नमक पारे, सिंघाड़े, लड्डू, पेड़े, बरफी, पिस्ते की लाज, बेसनी बालूशाही, रसगुल्ले, गुलाब जामुन, जलेबी, इमरती और संदेश, कलाकंद।
समझे श्रीमान, ऐसे संस्कारी कार्यक्रम में शामिल होकर मजे लूटिए। अपना मुंह मीठा करें और देश-प्रेम में हाथ बंटाएं। हम हिंदू राष्ट्र को गरीबी से उठा कर स्वर्ग बना देंगे। महाराज इंद्र भी हम पर अपनी कृपा बरसा देंगे।

हिंदू राष्ट्र को ऐसा बनाएंगे कि भारतवर्ष इंद्र का उपवन स्वप्निल लगेगा। पत्नियां घर-गृहस्थियों की देखभाल करेंगी। पकवान बनाएंगी और अप्सराएं सज-धज कर आपसे रंग-रलियां मनाएंगी। वातावरण को ऐसा गुंजाएंगी कि परिष्कृत धर्मकांड घुंघरुओं की छनछनाहट में तैरने लगेगा। आपको विश्वास दिलाते हैं कि देश में बलात्कार न होंगे।

अल्पसंख्यक बंधुओ! अब देर न करो, हमारे शामियाने तले आ जुटो। गलती करोगे तो पछताओगे। हिंदुओं की विशाल बिरादरी के बाहर खड़े रह जाओगे। हिंदुओं की संख्या तो जानते हो न! उसके बाहर रहने में भी भला तुम्हें क्या मिलेगा? गिरजाघर टूटेंगे। मीनारों और गुंबदों तले भगदड़ मचेगी। पादरी और उनकी नन देवदासियां बेहोश पाई जाएंगी। उनकी कारस्तानियां बाहर आएंगी। जल्दी फैसला करो और हममें आ मिलो। हमारी तरफ से सब कुछ आसान है। इस बात का प्रमाण है कि हम आपके हमदर्द हैं। इस खोमचे में से आपको सब कुछ मिल जाएगा- जो इनसान को चाहिए होता है। चंदन का टीका, पढ़ने को गीता, गले में डालने को जनेऊ, चाहो तो पांव के लिए खड़ाऊं और ओढ़ने के लिए रामनामी।

भाइयो! यहां पदार्पण कर अपना चोला बदल लो। आज की सदर बाजारी भीड़ में घर वापसी के खोमचे इसीलिए लगाए गए हैं कि आपका भी कल्याण हो।
लोकतंत्र में सभी धर्म और नागरिक बराबर हैं। इसीलिए हम चाहते हैं कि कोई अलग-थलग न हो। एक हो जाने का ही है यह, घर वापसी आंदोलन!
जय जन संस्कृति माता
पितृतुल्य विचार की जय
अखंड राष्ट्र की जय
लोकतंत्र अमर है-
यह लोकतंत्र का सियासी चमत्कार है…
– हशमत

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