क्षमा शर्मा
सलमान खान दुबारा अपनी फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ की शूटिंग करने कश्मीर लौट गए हैं। बेचारे निर्माता की जान में जान आई होगी। क्योंकि कहा जा रहा था कि सलमान अगर जेल जाएंगे, तो फिल्म उद्योग को दो सौ करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
आज सलमान फिल्म उद्योग में इतने ताकतवर हैं कि पल भर में किसी भी निर्माता का भविष्य बना या बिगाड़ सकते हैं। कई साल पहले शोभा डे ने उनके बारे में लिखा था कि फिल्मी दुनिया में सलमान जिस भी अभिनेत्री पर हाथ रख देते हैं, वह सफल न हो ऐसा हो नहीं सकता। शोभा ने यह बात कैटरीना कैफ के संबंध में कही थी। यहां सलमान के हाथ का मतलब उनकी अनुशंसा से था। लेकिन इसे पढ़ कर सलमान के भाई अरबाज बहुत नाराज हो गए थे।
जब सलमान को सजा सुनाई गई, तो ऐसा लगा कि फिल्म उद्योग में भूचाल आ गया। जिसको देखो वही सलमान के घर की तरफ दौड़ पड़ा। सोनाक्षी सिन्हा से लेकर करीना कपूर तक और आमिर खान से लेकर अनुपम खेर तक। ऐसा लगा कि अगर ये लोग सलमान के घर न पहुंचे तो वे सब भारी विपत्ति में फंस जाएंगे। बचे-खुचे टीवी पर आकर सलमान के पक्ष में बहस करने लगे। यहां तक बोले कि जो सड़क पर कुत्ते की तरह सोएगा, वह कुत्ते की मौत मरेगा।
संजय खान की गहने डिजाइन करने वाली बेटी फरहा अली खान ने कहा कि अगर ट्रेन सामने से आ रही होगी और आप रेलवे लाइन पार करेंगे तो मारे ही जाएंगे। कांग्रेस नेता बाबा सिद्दीकी तो उन्हें जमानत मिलने की बात पर एक अदालत से दूसरी अदालत की तरफ हांफते हुए दौड़े चले आए। जैसे कि सलमान को जमानत की खबर अगर वे सबसे पहले न दे पाए, तो राजनीति में विरोधी दल उन्हें पछाड़ कर ही रहेंगे।
इन सबकी विकलता देख कर महसूस होने लगा कि दोषी सलमान नहीं, वे लोग हैं जो उस ‘हिट ऐंड रन’ में मारे गए या घायल हुए। बॉलीवुड का एक सूरमा ऐसा नहीं निकला, जो इन गरीब लोगों के पक्ष में बोल सकता। वे सब भी नहीं, जो हमेशा गरीब के भले की कसमें खाते हैं। यहां तक कि सत्यमेव जयते कह कर, सत्य का झंडा लहराने का दावा करने वाले आमिर खान को भी सांप सूंघ गया। वे सलमान के घर दो घंटे तक रहे, मगर गरीब के लिए उनकी आंख में एक आंसू न आया। शायद वे इस सच्चाई को जानते हैं कि जब भी कोई सत्य की विजय की बात कहता है, तो अक्सर असत्य की विजय होते देखता है या उसका समर्थक बन जाता है।
सलमान के बारे में अरबपति जफर सरेशवाला ने कहा कि उनके साथ मुसलमान होने के कारण अन्याय हुआ है। सरेशवाला भूल गए कि इस घटना में मारा गया व्यक्ति और घायल होने वाले सब मुसलमान ही थे। मगर वे बेचारे गरीब मजदूर थे, जिनके बारे में अमीर लोग अगर भूले-बिसरे कभी सोचते भी हैं, तो सिर्फ इस खातिर कि उनकी खबर बने कि वे कितने बड़े रहनुमा और गरीबों की सुध लेने वाले हैं। उनका फोटो खिंचे, खबर बने। सरेशवाला यह भी भूल गए कि सलमान इस देश में सिर्फ मुसलमानों के हीरो नहीं हैं। दर्शकों में सभी धर्मों के लोग होते हैं, जो उनकी फिल्मों को सुपरहिट बनाते हैं।
बॉलीवुड के इन नामचीन लोगों ने कहा कि इस वक्त सलमान भाई मुसीबत में हैं, इसलिए उन्हें यह नहीं लगना चाहिए कि इस मुसीबत की घड़ी में वे अकेले हैं। और कि बॉलीवुड हमेशा से ऐसा करता आया है।
परदे पर एक साथ सैकड़ों को ठिकाने लगाने वाले नायक क्या इतने कमजोर होते हैं और क्या सचमुच फिल्म उद्योग मुसीबत के वक्त किसी के साथ खड़ा होता है। या यह देखा जाता है कि कौन कितना ताकतवर है, किसके शुभचिंतक बनने और दिखने, कहने से अच्छी भूमिकाएं मिल सकती हैं।
वरना तो आपको याद होगा कि मशहूर फिल्म अभिनेत्री प्रीति जिंटा ने अपने पूर्व मित्र नेस वाडिया के बारे में शिकायत की थी। एक क्रिकेट मैच के दौरान उन्होंने प्रीति के साथ अभद्र व्यवहार किया। गाली-गलौज की। उन्हें धक्का दिया। तब बॉलीवुड का शायद ही कोई व्यक्ति प्रीति के समर्थन में बोलने आया था। तब बॉलीवुड की यह एकता और अपने समुदाय के लिए पक्षधरता कहां गई थी। या यह मानें कि प्रीति सलमान जितनी ताकतवर नहीं थीं, जो निर्माताओं, वितरकों या फाइनेंसरों से जो कहें, उन्हें मानना पड़े। इसके अलावा यह भी तो है कि प्रीति के मुकाबले नेस वाडिया बहुत ताकतवर हैं। वे बड़े व्यापारिक घराने के वारिस हैं। बॉलीवुड का कोई भी सितारा प्रीति के कारण नेस से दुश्मनी क्यों मोल ले। क्या पता कब काम पड़ जाए। कब मदद मांगनी पड़े। हालांकि सलमान के घर पहुंचने वालों में प्रीति पहले कुछ लोगों में से एक थीं।
और सिर्फ प्रीति ही क्यों, राखी सावंत को जब मीका ने जबरदस्ती चूमा था! राखी ने इसका प्रतिरोध किया था, तब भी बॉलीवुड का कोई चमकता सितारा उनके पक्ष में बोलने के लिए दूर-दूर तक नजर नहीं आया था। शायद इसलिए कि राखी इन्हें अपने वर्ग की नहीं लगती हैं। वे बेहद गरीब परिवार से आती हैं और आजकल बॉलीवुड में गरीब पहचानने के योग्य नहीं होता। न ही कोई उसकी बात सुनता है।
वरना तो ऐसा कैसे हो गया कि बॉलीवुड की सारी सहानुभूति मारने वाले को मिली, मरने वाले को नहीं। पत्रकार मयंक शेखर ने कहा भी कि जिसने किसी को मारा है उसे जमानत मिलने पर लोग उत्सव मना रहे हैं।
शायद परदे का और राजनीति का सच हम देख रहे हैं। परदे पर जब नायक एक के बाद एक लोगों को मारता जाता है तो उसे कितनी तालियां मिलती हैं। इन्हीं तालियों की वजह से फिल्में हिट हो जाती हैं। राजनीति में जब किसी नेता को किसी अपराध में जेल जाना पड़ता है और बाद में वह जमानत पर छूट कर आता है तो अंगुलियों से अंगरेजी वी का निशान बनाया जाता है। मिठाइयां बंटती हैं। नेता अपने समर्थकों को धन्यवाद देता है। जितना बड़ा गुंडा-बदमाश, हत्यारा नेता होता है, उसके समर्थक भी उतने ही ज्यादा होते हैं। आखिर बेमौत कौन मरना चाहता है। इसके अलावा नेता की रॉबिनहुड जैसी छवि बनाई जाती है। जो अमीरों को लूट कर गरीबों की मदद करता है। नेता जेल जाकर अमर हो जाता है। अगले चुनाव में उसकी जीत तय हो जाती है।
फिल्मी दुनिया में भी लगता है अब यह रिवायत जोर पकड़ रही है। सलमान की भी रॉबिनहुड जैसी छवि पेश की जा रही है। कहा जा रहा है कि वे समाज के लिए बहुत कुछ करते हैं।
यहां गौर करने लायक एक बात और है। समाज में फैले अन्याय पर सामाजिक कार्यकर्ता किस्म के बहुत से अभिनेताओं ने शायद ही कभी इस बात पर कोई आवाज उठाई है कि वहां अभिनेता के मुकाबले अभिनेत्री को कम मेहनताना क्यों मिलता है। क्यों अभिनेत्री को तीस तक पहुंचते ही काम की कमी होने लगती है और अभिनेता पचास-साठ का होने पर भी छैल-छबीला बना इश्क लड़ाता रहता है। बॉलीवुड भी उसी भावना से परिचालित है, जो समझता है कि पुरुष कभी बूढ़ा नहीं होता।
यही नहीं, फिलहाल तक मेकअप आर्टिस्ट के रूप में औरतों को नहीं रखा जाता था। हाल ही में अदालत ने इस भेदभाव के खिलाफ फैसला दिया था। यानी कि क्रांतिवीरों के खाने के और दिखाने के दांत अलग-अलग हैं।
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