Budget 2020: छह साल, दो समितियां और दो लाख से अधिक सुझाव मिलने के बाद भी देश के लोगों को नई शिक्षा नीति का अभी भी इंतजार है। शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि राज्यों के शिक्षा मंत्रियों, सांसदों और अन्य हितधारकों के साथ शिक्षा नीति पर वार्ता हुई है। दो लाख से अधिक सुझाव मिले हैं। जल्द ही नई शिक्षा नीति की घोषणा की जाएगी। हालांकि उन्होंने इसके लिए कोई तारीख नहीं बताई। वित्त मंत्री ने शिक्षा के बजट के लिए 4,400 करोड़ रुपए से अधिक बढ़ाते हुए 99,300 करोड़ रुपए आबंटित किए हैं।
2014 के आम चुनाव में भाजपा ने नई शिक्षा नीति लाने का वादा किया था। चुनाव जीतने और केंद्र की सरकार में आने के बाद फरवरी 2015 में मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया। अक्तूबर 2015 में टीआरएस सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में समिति गठित की गई जिसने मई 2016 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। जून, 2017 में टीआरएस सुब्रमण्यम की रिपोर्ट से असहमत होते हुए के कस्तूरीरंगन की अध्यक्ष में समिति गठित की। इस समिति का कार्यकाल पांच बार बढ़ाया गया और दिसंबर 2018 में समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। उसके बाद से नई सरकार और नए एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के आने के बाद भी देश के लोगों को नई शिक्षा नीति का इंतजार अभी भी जारी है। अंतिम शिक्षा नीति 1986 में आई थी जिसे 1992 में संशोधित कर दिया गया था।
जनसंख्या के बदलते स्वरूप के मुताबिक विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा, नवोन्मेष और अनुसंधान के उद्देश्य से नई शिक्षा नीति लाई जा रही है ताकि भारत ज्ञान के क्षेत्र में शक्तिशाली बन सके और विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अकादमिक और उद्योग क्षेत्र में कुशल युवाओं की कमी न हो।
केंद्र सरकार, अगले वित्त वर्ष में शिक्षा क्षेत्र के लिए 99,300 करोड़ रुपए और कौशल विकास के लिए 3,000 करोड़ रुपए आबंटित करने का प्रस्ताव रखती है। सीतारमण ने घोषणा की कि उन विद्यार्थियों के लिए स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम आरंभ करने का प्रस्ताव रखा जाता है, जो समाज के वंचित तबके से संबंध रखते हैं और जिनकी उच्च शिक्षा तक पहुंच नहीं है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संस्थाओं की रैंकिंग में शीर्ष 100 संस्थान ही ये कार्यक्रम उपलब्ध कराएंगे और शुरुआत में कुछ ही संस्थानों को ऐसे कार्यक्रम उपलब्ध कराने को कहा जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारत उच्च शिक्षा के लिए पसंदीदा स्थल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘भारत में अध्ययन’ कार्यक्रम के तहत एशियाई और अफ्रीकी देशों में एक आइएनडी-एसएटी परीक्षा का प्रस्ताव रखा गया है ताकि भारतीय उच्च शैक्षणिक केंद्रों में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति पाने वाले विदेशी विद्यार्थियों के लिए मानक तय किया जा सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में बाह्य वाणिज्यिक उधारी और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) आकर्षित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
वित्त मंत्री ने कहा कि विज्ञान या तकनीक संबंधी विषयों की पढ़ाई करने वालों की तुलना में सामान्य विषयों के विद्यार्थियों के लिए रोजगार के अवसर सुधारे जाने की आवश्यकता है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार युवा इंजीनियरों को इंटर्नशिप का अवसर देने के उद्देश्य से शहरी स्थानीय निकायों के लिए एक कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रही है।
वित्त मंत्री ने घोषणा की कि शिक्षकों, नर्सों, पराचिकित्सा कर्मी और सेवा प्रदाताओं के कौशल में सुधार और अनुरूपता लाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, पेशेवर निकायों के साथ मिलकर विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू करेंगे।

