वेडिंग पुलाव

निर्देशक- बिनोद प्रधान

कलाकार -अनुष्का रंजन, दिगंत मनचले, करण ग्रोवर, ऋषि कपूर, सतीश कौशिक, परमीत सेठी, हिमानी शिवपुरी

सिनेमेटोग्राफ से निर्देशक बने बिनोद प्रधान की ये पहली फिल्म का मूल आइडिया है कि आप कभी कभी ये नहीं समझ पाते कि प्यार किससे करते हैं। इस चक्कर में जब किसी और लड़की या लड़के से शादी करने का वक्त आता है कि दिमाग में केमिकल लोचा होने लगता है और उलझने बढ़ जाती हैं कि ये क्या कर रहा हूं या क्या कर रही हूं?

आदित्य एक ऐसा ही लड़का है जिसकी रिया (सोनाली) से शादी हो रही है। शादी में शिरकत करने आदित्य की पुरानी दोस्त अनुष्का (अनुष्का रंजन) आती है। उसके बाद तो दोनो के दिमाग में हलचलें शुरू हो जाती है। दोनों- आदित्य और अनुष्का – अपने दिल के भीतर कुछ आहटें सुनते हैं लेकिन शुरू में उसे नजरअंदाज करने की कोशिश करते हैं।

मगर वो प्यार क्या जो कभी न कभी सिर पर चढ़कर न बोले। तो दोनों के सिर वो चढ़ता है। अब सवाल ये है कि क्या ऐसे में आदित्य और रिया की शादी हो सकेगी? या फिर आदित्य और अनुष्का ही एक दूजे के होंगे। इसी मगजमारी में मध्यांतर के बाद पूरा वक्त निकल जाता है।

फिल्म में पारंपरिक भारतीय यानी हिंदू विवाह-पद्धति के कई दृश्य हैं।अपने यहां गावों और छोटे शहरों में प्रथा है कि शादी के वक्त लड़के और लड़कियों के शरीर पर हल्दी लगाई जाती है।

इस फिल्म में इस प्रथा का पालन किया गया है। लेकिन हिंदू विवाह पद्धति के विचार की खिल्ली उड़ाते हुए शादी के मामले में पश्चिमी विचार हावी हैं। खटकनेवाली बात ये है कि फिल्म में ज्यादातर घटनाएं थाईलैंड में हो रही हैं पर कुछ गाने में दुबई हे दृश्य दिखते हैं। शाददार सिनेमोटोग्राफी के चक्कर मे विनोद प्रधान लोकेशन का व्याकरण भूल गए हैं।

इस विषय पर कुछ और फिल्में में इधर आई हैं इसलिए फिल्म में कहानी के स्तर पर नयापन नहीं है। इसलिए दर्शक का मनोरंजन सिर्फ इस बात से होता है कि वो कितने नयनाभिराम दृश्य देख रहा हैं। अगर इसे भरपूर मनोरंजन मानि लिया जाए तो।