फिल्म का नाम ‘हाउसफुल’ हो और उसमें अक्षय कुमार हों तो हंसी का पूरा सामान मौजूद है, इतना तो पहले से अनुमान कर लेना चाहिए। तो जान लीजिए कि यह अक्षय कुमार मार्का कॉमेडी फिल्म है। अक्षय की कॉमेडी सेंस का लोहा तो सब मानते हैं। फिल्म में रितेश देशमुख ने कई जगहों पर मजेदार छौंक लगा दी है। जहां तक बात अभिषेक बच्चन की है तो इतना तो सभी मानते हैं कि उनका कॉमिक टाइमिंग बहुत अच्छा नहीं है लेकिन तिकड़ी में होने की वजह से वे भी खप जाते हैं। एक चुटकुला सुनकर जोर से हंसी आए और दूसरे को सुनकर हल्की हंसी तो तीसरा चुटकुला कमजोर हो तो मुस्कुराया तो जाया ही सकता है। कुछ वैसा ही मामला है।
बोमन ईरानी यहां पहले की तरह बटुक पटेल की भूमिका में हैं। बटुक पटेल नाम का यह शख्स लंदन में रहता है और उसकी तीन बेटियां हैं-गंगा (जैक्लीन फर्नांडीस), जमुना (लिजा हेडेन) और सरस्वती (नर्गिस फाकरी)। तीनों बेटियां पढ़ी लिखी हैं। गंगा मनोवैज्ञानिक है और जमुना वैक्स मेकर है और सरस्वती ऐसे लोगों की संस्था में काम करती है जो शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण हैं। (हिदी में विकलांगता और दिव्यांगता शब्द सटीक नही हैं।) इन लड़कियों का बायोडेटा पढ़ने के बाद कोई सोचेगा कि ये अपनी निजी जिंदगी में बोल्ड होंगी। कुछ हद तक हैं भी लेकिन तीनों अपने पिता की ऐसी प्यारी बेटियां है जो ऊपरी तौर पर अपनी मर्जी से नहीं जीतीं।
कुछ वजह है कि पिता नहीं चाहता कि इनकी शादी हो। ज्योतिष से जन्मे अंधविश्वास की घुट्टी वाला मामला है। पर तीनों छिपे छिपे इश्क भी लड़ाती हैं। पिता से छिपकर ग्लैमर की जिंदगी जीती हैं। इस रूप में उनके नाम भी अलग हैं। गंगा ग्रेसी है, जमुना जेनी बन जाती है और सरस्वती सारा। तीनों को सैंडी अक्षय कुमार, बंटी (अभिषेक बच्चन) और टेडी (रितेश देशमुख) से प्यार हो जाता है। सैंडी फुटबालर है लेकिन विभाजित व्यक्तित्व वाला है। उसे गुस्सा बहुत आता है। बंटी रैपर म्यूजिशियन है और टेडी कार रेसर है। ये तीनों भी अपनी प्रेमिका को पाने और उनसे शादी करने के लिए अपने मिजाज और व्यक्तित्व को बदल लेते हैं। कोई यह दिखाता है कि वह चल नहीं सकता, कोई ये जताता है कि वो बोल नहीं सकता तो कोई ये साबित करने में लग जाता है कि वो देख नहीं सकता। जाहिर है कि ऐसे में शारीरिक अक्षमताओं का भी मजाक उड़ाया गया है और इस तरह ये फिल्म इस मामले में आपत्तिजनक भी है।
पश्चिम में शारीरिक और मानसिक अक्षमता वालों पर मजाक फिल्मों में नहीं चलते पर भारत में चल जाते हैं। हमारे यहां इस मामले पर असंवेदनशीलता है। इस बारे में निर्देशक को सावधानी बरतनी चाहिए थी जो नहीं रखी गई है। फिल्म में उज्रा नागरे (जैकी श्रॉफ) जैसा चरित्र भी है जो डॉन रह चुका है। उसके आगमन से कहानी में ट्विस्ट पैदा होता है। चंकी पांडे ज्योतिषी बने हैं और इस रूप में वे काफी हंसाते हैं।
‘हाउसफुल 3’ हंसानेवाले कॉमेडी जरूर है और इस शृंखला की पहले की दोनों फिल्में बॉक्स ऑफिस पर काफी पैसे कमा चुकी है और हो सकता है इसके साथ भी ऐसा ही हो। लेकिन साथ ही ये भी सच है कि इसकी हंसी में भदेसपन अधिक है और इसके चुटकुले और संवाद भी सोशल मीडिया से लिए गए हैं और कुछ कुछ बनावटी हैं। हालांकि सोशल माडिया के तत्व लेना अपने में गलत नहीं है पर इतना जरूर लगता है कि कॉमेडी को स्वस्थ बनाने पर ध्यान नहीं रखा गया। तीनों अभिनेत्रियां भी सजावट के रूप में आती हैं और उनके लिए अभिनय के नाम पर कुछ खास करने को नहीं है। संगीत या गीतों में दम नहीं। हंसी का पूरा मसाला या तो दृश्यों से बनाया गया है या संवादों से। जो लोग किसी तरह की कॉमेडी देखना चाहते हैं उनके लिए काफी चीजें हैं।