हीरो
निर्देशक- निखिल आडवाणी
कलाकार-सूरज पंचोली, आथिया शेट्टी, तिग्मांशु धूलिया, आदित्य पंचोली
इस फिल्म में सलमान खान घराने की हीरोगीरी है। आप पूछेंगे कि इस घराने की खासियत क्या है? जवाब वही है जो आप जानते हैं। यानी यह कि जैसे सलमान खान अपनी फिल्मों में कमीज उतारगर फाइट करते हैं वैसा सूरज पंचोली ने भी इस फिल्म में किया है।
ऐसा लगता है कि सूरज पंचोली भी सलमान की तरह ही जिमबाज हैं यानी जिम में काफी समय बिताते हैं। इसीलिए उनका शारीरिक सौष्ठव, खासकर सीना, वैसा है जैसा जिमबाजों का होता है। आखिर सलमान खान इस फिल्म के प्रोड्यूसर यूं ही नहीं बने हैं। एक गाना भी उन्होंने गाया है। सूरज पंचोली को वे वैसे ही प्रोजेक्ट कर रहे हैं जैसे किसी अखाड़े का खलीफा अपने शागिर्द को करता है। तो हुई न यह सलमान घराने की फिल्म।
पर घरानेबाजी यहीं तक सीमित नहीं है। यहां पंचोली घराना भी है। सूरज, आदित्य पंचोली और जरीना वहाब के बेटे हैं और फिल्म की हीरोइन आथिया शेट्टी बीत अभिनेता सुनील शेट्टी की बेटी हैं। सूरज पंचोली ने इस फिल्म में सूरज नाम के एक ऐसे जवान का किरदार निभाया है जो मजबूत कदकाठी का है और पाशा (आदित्य पंचोली) नाम के कुख्यात बदमाश के लिए काम करता है। वह उसके बेटे जैसा है।
पाशा के कहने पर सूरज राधा (आथिया शेट्टी) का अपहरण कर लेता है जो एक पुलिस अधिकारी (तिग्मांशु धूलिया) की बेटी है। राधा आइजी के पद पर आसीन पुलिस अफसर की बेटी ही नहीं है बल्कि एक अन्य पुलिस अधिकारी की बहन भी है। यानी एक ही घर में दो-दो पुलिसवाले हैं। लेकिन वह इतनी भोली-भाली है कि सूरज को अपहरणकर्ता नहीं बल्कि अपना रखवाला मानती है और उससे प्यार करने लगती है।
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इधर आइजी अपनी बेटी को ढूंढ़ने के लिए जमीन-आसमान एक कर देता है। उधर बेटी राधा सूरज के साथ गाने गा रही होती है। लेकिन हिंदी फिल्मों का आशिक अपनी माशूक के बाप से कब तक बचेगा? कभी न कभी उसके पास उसकी बेटी का हाथ मांगने जाएगा ही। ऐसा इस फिल्म में भी होता है और सूरज आत्मसमर्पण करने अदालत जाता है। लेकिन यह सब इतना आसान नहीं है। आइजी की बेटी इतनी आसानी से किसी गुंडे से शादी कर ले! आखिर हीरो को थोड़ा देवदास भी बनना होता है। वह सब भी होता है और फिल्म में फाइटिंग, नाचगाने और जज्बाती दृश्यों के माहौल बनते रहते हैं।
‘हीरो’ सुभाष गई की 1983 की फिल्म ‘हीरो’ का रीमेक है। पुरानी कहानी में फेरबदल किया गया और उसे इक्कीसवीं सदी के ढांचे में ढालने की कोशिश की गई है। लेकिन इतना तय है कि पुरानी फिल्म की तरह यह नई फिल्म दर्शकों के दिलों में स्थायी जगह नहीं बना पाएगी।
निर्देशक निखिल आडवाणी ने फिल्म की कहानी पर विस्तार से काम नहीं किया। इसलिए रोमांटिक होने के बावजूद यह हृदय को छूनेवाली नहीं बन पाई है। हां, फिल्म के लोकेशन में बर्फानी जगहें हैं इसलिए सिनेमेटोग्राफर को लिए काफी सहूलियते हैं। लेकिन लगता है कि यहां भी निर्देशक को फिल्म के बजट में कटौती करनी पड़ी है। इसलिए कहानी की मांग होने के बावजूद विदेश में शूटिंग नहीं कई गई है।
कहानी के मुताबिक राधा डेढ़ साल के लिए पेरिस जाती है, डांस सीखने के लिए। लेकिन पेरिस के दृश्य कहीं नहीं है। दूसरे, राधा को एक डांसर के रूप में पेश किया गया है। लेकिन इस पहलू को दिखाने के लिए एक बहुत अच्छे डांस कोरियोग्राफर की जरूरत थी। अहमद खान इस फिल्म में कोरिग्राफर हैं। लेकिन कुछ फिल्में करने के बावजूद इस क्षेत्र में सितारा नहीं बने हैं। आखिर डांस के दृश्यों को यों ही चलताऊ ढंग से कैसे दिखा सकते हैं?
राधा डांसर के रूप में फिल्म में स्थापित नहीं होती। सलमान खान के शब्दकोश में जिमबाजी के लिए जितनी जगह है उतनी डांसबाजी के लिए नहीं। आखिर सलमान का पूरा ध्यान सूरज पर था। वैसे सूरज निराश नहीं करते। उनका शरीर कसरती दिखता है और चेहरे पर मासूमियत भी है। इसलिए युवा पीढ़ी को अच्छे लगेंगे।