fast and furious 9 Movie Review and Rating:  ये वैसे तो `फास्ट एंड फ्यूरियस’ श्रृंखला की फिल्म नहीं है लेकिन मार्केटिंग के लिहाज से इस तरह परोसी गई है कि दर्शकों को लगे कि इसका रिश्ता उसी से है। ये कॉमेडी- एक्शन तरह की फिल्म है जो दो चरित्रों ल्यूक हॉब्स (ड्वेन जानसन) और डेकर्ड शॉ (जेसन स्टेथम) पर केंद्रित है। दोनों वैसे तो छटे हुए हैं और एक दूसरे को नापसंद भी करते हैं। लेकिन हालात ऐसे बनते हैं कि दोनों ब्रिटिश और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के लिए काम करने के लिए बाध्य हो जाते हैं।

इसी वजह से दोनों एक ऐसे मिशन पर साथ- साथ काम करने के इकट्ठे हुए हैं जो एक ऐसे अनाम पर ताकतवर ग्रुप के खिलाफ है जो दुनिया में वायरस फैलाकर तबाही मचाना चाहता है। इस समूह का चेहरा है ब्रिक्शटन (इद्रिस एल्बा) जो कम्प्यूटर जेनेरेटेड सिस्टम है पर आदमी की तरह हरकतें करता है। वानेशा किर्बी ने हैटी नाम का जो किरदार निभाया है जो शॉ की बहन है और जिसके शरीर में वायरस प्रवेश कर गया है।

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फिल्म में दो तरह के संसार है। एक तो वो उत्तर आधुनिक दुनिया है जिसमें मीडिया से लेकर विज्ञान पर उन ताकतों का कब्जा है जो दुनिया पर नियंत्रण चाहते हैं। इसीलिए हॉब्स और शॉ को मीडिया आतंकवादी घोषित कर देता है हालांकि दोनों दुनिया की भलाई के लिए काम कर रहे हैं। दूसरी तरह फिल्म के आखिरी हिस्से मे हॉब्स और शॉ इस अदृश्य ताकत और ब्रिक्सटन से जिस तरह की लड़ाई लड़ते हैं उनमें भाले और लाठियां जैसे पारंपरिक हथियार का प्रयोग हुआ है।

विचित्र किंतु सत्य की तरह हॉब्स तो उडते हुए हेलिकॉप्टर को हाथ से पकड़ कर नीचे गिरा देता है। इस तरह एक्शन सिक्वेस अविश्वसनीय पर रोचक हैं। वैसे तो ये हॉलीवुड की फिल्म है लेकिन डबिंग में इसमे जिस तरह की हिंदी का इस्तेमाल हुआ है वो कुछ कुछ ठेठ मुंबइया है और कुछ कुछ देसी। इसलिए हिंदी के दर्शकों को अजनबी नहीं लगेगी।

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