Angrezi Medium Movie Review, Rating: अगर आप शरारती दिमाग के हैं तो कह सकते हैं `अंग्रेजी मीडियम’ `बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ जैसे किसी अभियान के लिए बनी फिल्म है। पर इस शरारत को छोड़िए। असल बात तो ये है कि ये बाप-बेटी के रिश्ते की फिल्म है। इस रिश्ते में होने वाले प्यार और कभी-कभी तकरार की कहानी। लेकिन इसे इतने मजाकिया तरीके से दिखाया गया है कि कई जगहों में हंसते-हंसते पेट फूल जाता है। हां, कुछ जगहों में आंसू भी निकल जाते हैं। अगर दर्शक जज्बाती हुआ तो। इरफान खान और दीपक डोबरियाल की जोड़ी ने और निर्देशक होमी अडजानिया ने ऐसा कमाल किया है कि ढाई घंटे की लंबी कही जा सकने वाली इस फिल्म कों देखते हुए अंत में लगता है कि अरे, ये इतनी जल्दी कैसे खत्म हो गई!

तीन साल पहले यानी 2017 में इरफान की फिल्म `हिंदी मीडियम’आई थी। इस फिल्म ने भी दर्शकों को खूब हंसाया था और दिल को छुआ भी था। उसके बाद इरफान कैंसर ग्रस्त हो गए। कुछ समय के लिए फिल्मों से बाहर भी। इसलिए `अंग्रेजी मीडियम’ उनके लिए कई अपेक्षाओं से भरी है। क्या ये अपेक्षाएं पूरी होंगी?

फिल्म में इरफान ने उदयपुर के रहने वाले चंपक बंसल की भूमिका निभाई है जो घसीटेराम नाम के मिष्ठान भंडार का मालिक है। लेकिन घसीटे राम की विरासत पर झगड़ा है और चंपक का भाई गोपी (दीपक डोबरियाल) भी अलग से इसी नाम से मिठाई की दुकान खोले हुए है। कौन है घसीटेराम का असली वारिस? मामला अदालत में है। उधर, चंपक की बेटी तारिका (राधिका मदान) अपनी पढ़ाई के लिए इंग्लैड जाना चाहती है। चंपक चाहता है कि बेटी अधिक से अधिक जयपुर जाकर पढ़ ले लेकिन बेटी तो मानती नहीं। तारिका के लिए स्कूल से अनुशंसा लेकर इंग्लैंड जाने का एक अवसर है लेकिन वो चंपक की एक कारस्तानी की वजह से खटाई में पड़ जाता है। बेटी तो रूआंसी हो जाती है।

आखिर में पिता से हमेशा झगड़नेवाले भाई गोपी के साथ अपनी बेटी को लेकर लंदन जाता है। बेटी तो एयर पोर्ट से बाहर निकल जाती है लेकिन दोनों भाइयों को बीच रास्ते से ही वापस हिंदुस्तान भेज दिया जाता है। फिर दोनों अपने नाम बदलकर दुबई के रास्ते लंदन पहुंचते हैं और वहां ऐसे-ऐसे वाकये होते हैं कि पूछिए मत, सिर्फ हंसिए और हंसते रहिए। अंग्रेजी मीडियम एक पारिवारिक फिल्म है। सिर्फ एक स्तर पर नहीं बल्कि तीन स्तरों पर। एक तो चंपक और तारिका के संबंधों के स्तर पर। पिता अपनी बेटी पर जान झिड़कता है और बेटी की पढ़ाई के लिए जमीन जायदाद बेच देता है।

लंदन में दोनों के रिश्तों में कुछ देर के लिए खिंचाव भी होता है क्योंकि बेटी अपनी आजाद जिंदगी चाहती है और पिता हमेशा उस पर अपने प्यार के साथ हावी रहना चाहता है। बेटी को लगता है कि पिता उसकी जिंदगी मे हस्तक्षेप कर रहा है। दूसरा पारिवारिक ऱिश्ता चंपक और गोपी का है जो एक दूसरे से झगड़ते भी हैं और प्यार भी करते हैं। तीसरा रिश्ता इंगैंलेड में रहने वाली मिसेज कोहली (डिंपल कपाड़िया) और उनकी बेटी पुलिस अफसर नैना (करीना कपूर) के बीच है जिसमें तनाव की तनाव है। पर आखिर में तीनों रिश्ते संपूर्ण पारिवारिक मिलन के विंदु पर समाप्त होते है।

फिल्म में एक महीन बात ये भी है कि इसमें दिखाया गया है कि भारत और इंग्लैड (पश्चिम) के बीच पारिवारिक रिश्तों में फर्क है। पश्चिम में पिता-पुत्र या मां-बेटी का रिश्ता अठारह साल की उम्र के बाद दूसरी दिशा में चला जाता है। अठारह का युवा अपने माता-पिता से स्वतंत्र हो जाता और अपनी राह पर चल पड़ता है। फिल्म सूक्ष्म तरीके से कहती है कि भारतीय परिवार व्यवस्था में पारिवारिक रिश्ते ज्यादा घने हैं बनिस्पत कि पश्चिमी समाज के। इस तरह ये फिल्म पूरब और पश्चिम में एक फर्क दिखाती है। फर्क तो है। लेकिन क्या इसीलिए पश्चिम हमारे यहां से कुछ कमतर है? `अंग्रेजी मीडियम’ यही कहती है। लेकिन हौले हौले से।

अंग्रेजी मीडियम
निर्देशक- होमी अडजानिया
कलाकार- इरफान खान, राधिका मदान, दीपक डोब्रियाल, करीना कपूर, पंकज त्रिपाठी, डिंपल कापड़िया, कीकू शारदा, रणबीर शौरे