हिंदू धर्म में तीर्थ यात्रा करने का चलन काफी लंबे समय से रहा है। हमारे देश में हर समय कुछ लोग तीर्थ यात्रा पर गए हुए होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तार्थ यात्रा क्यों की जाती है? और शास्त्रों में इसके क्या लाभ बताए गए हैं? आज हम इसी बारे में विस्तार से बात करने वाले हैं। सामान्य तौर पर कहें तो तीर्थ यात्रा पर जाकर लोग खुद को धन्य महसूस करते हैं। उन्हें इससे भगवान का आशीर्वाद मिलने की अनुभूति होती है। ऐसा कहा जाता है कि तीर्थ करने से व्यक्ति को उसके पाप कर्मों से मुक्ति मिल जाती है। और वह अपने शेष जीवन में धर्म के रास्ते पर चलने लगता है।
मान्यता है कि तीर्थ स्थलों पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो रहा होता है। यह ऊर्जा व्यक्ति की मानसिक परेशानियों को दूर करती है और उनके जीवन में खुशियों का आगमन होता है। कहते हैं कि तीर्थ पर जाने से व्यक्ति के स्वास्थ्य में भी सुधार आता है। कुछ लोग इस आस्था से भी तीर्थ करते हैं कि इससे उनकी बीमारियां ठीक हो जाएंगी। वैज्ञानिक तौर पर इसकी पुष्टि तो नहीं की गई है। लेकिन तीर्थ के दौरान घूमने-फिरने और खुश रहने से सेहत में निश्चित तौर पर सुधार आता है। सामान्य तौर पर यह देखा गया है कि तीर्थ से लोग काफी ताजा होकर लौटते हैं और अपनी जिंदगी नई ऊर्जा से शुरू करते हैं।
मालूम हो कि तीर्थ के रूप में लोग मंदिर, नदी या घाट पर जाना पसंद करते हैं। इन जगहों का भक्तिमय माहौल लोगों में एक सकारात्मक विश्वास लाता है। इससे उनकी उदासी दूर होती है और जीवन में खुशियों की फिर से शुरुआत होती है। बता दें कि लोभ भावना से तीर्थ पर जाना गलत माना जाता है। इससे तीर्थ का फल नहीं मिलने की मान्यता है। कहते हैं कि तीर्थ भक्तिमय माहौल में परिवार वालों के साथ की जाए तो बेहतर फल मिलता है।