व्यक्ति अपने जीवन में सफलता पाने के लिए बहुत कोशिश करता है लेकिन जब उसे सफलता नहीं मिलती है, तो वह इसका दोष किस्मत पर डाल देता है। क्या हमेशा किस्मत को दोष देना सही है? सद्गुरु अपने एक प्रवचन में कहते हैं कि आपने अपने जीवन में जो भी बेवकूफियां की हैं यह उससे बचने का सबसे आसान तरीका है। किस्मत उन सभी बेवकूफियों से भागने का सबसे सरल रास्ता होता है जो आप अपने जीवन में करते हैं। आप जिसे किस्मत मानते हैं वो भी आपकी खुद की बनाई हुई होती है। आप इसे अनजाने में बनाते हैं आप चाहें तो इसे जागरुकता के साथ भी बना सकते हैं।

आगे सद्गुरु कहते हैं कि आपके जीवन के कुछ पैरामीटर होते हैं। इंसान ने अनजाने में ही सही अपने लिए एक सॉफ्टवेयर लिखा होता है इसलिए आपका झुकाव भी उस और होता है। आप चाहें कितनी भी कोशिश कर लें यह आपको उसी दिशा में ले जाता है जहां आप जाना चाहते हैं। इसका यह मतलब नहीं होता कि आप अपनी दिशा नहीं बदल सकते हैं। इसे बदलने के लिए आपको शरीर और मन से भी काफी मजबूत होना पड़ेगा और इसे बदलने के लिए पूरी कोशिश करनी होगी। आप जो कर रहे हैं उसका पूरा विज्ञान यही है कि अगर आप अपनी ऊर्जा को थोड़ा और लचीला बना लें, अपने शरीर और मन पर थोड़ी और महारत हासिल कर लें, तो आप देखेंगे कि आप 100 प्रतिशत अपनी किस्मत के मालिक बन जाएंगे। हम एक ऐसे विज्ञान की बात कर रहे हैं जिससे आप अपने लिए उस गर्भ को भी चुन सकते हैं जिससे आप पैदा हुए हैं। अभी आप ही इसे चुन रहे हैं लेकिन अभी आप अनजाने में इसे चुन रहे हैं। आप चाहें तो इसे जागरूकता के साथ भी चुन सकते हैं। लेकिन यह उस पर निर्भर करता है कि आपने अपने जीवन के कितने हिस्से को अपने हाथ में लिया हुआ है।

अगर शरीर पर महारत हासिल हो जाए तो 15 से 20 प्रतिशत किस्मत आपके हाथ में होगी। अगर मन पर आपकी महारत हासिल हो जाए तो आपकी किस्मत का करीब 50 से 60 प्रतिशत आपके हाथ में होगा। अगर जीवन की ऊर्जाओं पर आपकी महारत हो जाए तो आपकी किस्मत 100 प्रतिशत आपके हाथों में होगी।