हिंदू धर्म में शरीर के दाहिने हिस्से को काफी शुभ माना गया है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले दाहिने हाथ से ही परंपराओं को निभाने की सलाह दी जाती है। पूजा-पाठ में भी शरीर के दाएं अंग का ही सर्वप्रथम इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही आरती व हवन के लिए भी दाहिने हाथ का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा हमें सदैव अपने सीधे हाथ(दाहिना) से भोजन करने के लिए कहा जाता है। क्या आप जानते हैं कि ये सब क्यों है? हिंदू धर्म में शरीर के दाहिने अंगों को इतना शुभ क्यों माना गया है? यदि नहीं तो हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि मनुष्य शरीर का बायां भाग स्त्रियों का प्रतिनिधित्व करता है। और दायां भाग पुरुषों का प्रतीक माना गया है। इसकी पुष्टि के लिए भगवान शंकर के अर्धनारीश्वर रूप को देखा जा सकता है। शिव जी के इस रूप में दाएं हिस्से में स्वयं भगवान शंकर व बाएं हिस्से में माता पार्वती को दर्शाया गया है। हिंदू धर्म में भोजन करने की तुलना हवन से की गई है। शास्त्रों की मानें तो हम मनुष्य भोजन के रूप में शरीर का हवन करते हैं। यह भी एक कारण है कि भोजन के लिए दाहिने हाथ के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है।

दाहिने हाथ पर सूर्य नाड़ी का प्रतिनिधित्व माना गया है। इसलिए सीधे हाथ से भोजन करने से शरीर को अधिकतम ऊर्जा की प्राप्ति होती है। साथ ही भोजन शरीर में जल्दी पच जाता है। माना जाता है कि बाएं हाथ से भोजन करने पर शरीर को संपूर्ण भोजन की प्राप्ति नहीं होती। ऐसी मान्यता है कि कोई भी शुभ कार्य करने से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इसलिए हमें दाहिने हाथ का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है, ताकि उस ऊर्जा को शरीर पूरी तरह से ग्रहण कर ले।